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चमोली में लहलहा रहा न्यूजीलैंड का कीवी, लेकिन दाम मिल रहा सिर्फ 100 रुपए किलो - कीवी का उत्पादन

उत्तराखंड के चमोली जिले में कीवी की खेती अब बड़े पैमाने पर होने लगी है. उद्यान विभाग के प्रयासों से काश्तकारों का रुझान अब कीवी की खेती की ओर बढ़ा है. इसी का नतीजा है कि चमोली जिले में 25 क्विंटल से अधिक कीवी का उत्पादन इस साल हुआ है.

Kiwi cultivation in Chamoli
चमोली जिले में कीवी की खेती
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Published : Dec 13, 2021, 6:47 PM IST

Updated : Dec 13, 2021, 6:55 PM IST

चमोलीः सीमांत जनपद चमोली में ट्यूलिप की खेती के बाद उद्यान विभाग और चमोली के काश्तकारों की मेहनत से न्यूजीलैंड के राष्ट्रीय फल कीवी का उत्पादन किया जा रहा है. गोपेश्वर के पास मंडल, दशोली ब्लॉक के बछेर, जोशीमठ, थराली के ग्वालदम में काश्तकार कीवी का उत्पादन कर रहे हैं. कीवी उत्पादन से काश्तकारों की आजीविका सुधरते देख उद्यान विभाग गदगद है. साथ ही काश्तकारों को कीवी के पौधे भी गांव-गांव में वितरित किए जा रहे हैं. हालांकि काश्तकारों को कीवी के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इससे काश्तकार थोड़ा निराश भी हैं.

बता दें कि कीवी का फल एक झाड़ीनुमा पेड़ पर होता है. इसके पेड़ जोड़े (नर व मादा) में होते हैं. समुद्रतल से 600 से लेकर 1800 मीटर की ऊंचाई पर पैदा होने वाला कीवी का फल औषधीय गुणों के साथ सभी प्रकार के पोषक तत्वों का भी भंडार है. यह फल न्यूजीलैंड के साथ साथ चीन, फ्रांस, चिली, ब्राजील आदि देशों में भी अच्छी मात्रा में उगाया जाता है. भारत में हिमाचल प्रदेश के बाद अब इसकी खेती उत्तराखंड के चमोली जिले में भी बड़ी तादाद में की जा रही है.

चमोली में लहलहा रहा न्यूजीलैंड का कीवी.

ये भी पढ़ेंः काश्तकारों की आय बढ़ाएगी कीवी, बागवानी को लेकर कवायद तेज

अकेले चमोली जिले में इस साल 25 क्विंटल से अधिक कीवी का उत्पादन (Kiwi cultivation in Chamoli) हुआ है. हालांकि, चमोली में कीवी के फल को बाजार न मिल पाने के कारण काश्तकार ओने पौने दामों में कीवी बेचने को मजबूर (farmers not getting price of kiwi in chamoli) हैं. शहरों में 40 से 60 रुपए प्रति फल के दाम से बिकने वाला कीवी चमोली में 100 रुपये प्रति किलो बेचने को काश्तकार मजबूर हैं.

चमोली जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह के मुताबिक, कीवी 600 से लेकर 1800 की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है. चमोली में उद्यान विभाग की ओर से कई काश्तकारों को कीवी के उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. चमोली जिले में बीते साल मंडल, ग्वालदम, जोशीमठ, बछेर समेत कई गांवों में कीवी की पौध वितरित की गई थी. कई बागानों में कीवी के फल पककर भी तैयार हुए हैं. अन्य किसानों को भी कीवी उगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. जिला प्रशासन की ओर से भी कीवी उत्पादन को लेकर विशेष जोर दिया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः टिहरी: कीवी को बनाया खेती का आधार, बढ़ने लगा कारोबार

कीवी खाने के फायदे-

  • विटामिन सी से भरपूर कीवी में पर्याप्त एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. ये कई तरह के इंफेक्शन से सुरक्षित रखने में सहायक होता है.
  • कीवी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक होता है. इसके नियमित सेवन से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है. दिल से जुड़ी कई बीमारियों में भी फायदेमंद होता है.
  • कीवी में इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है. अर्थराइटिस की शिकायत में कीवी का नियमित सेवन काफी फायदेमंद रहता है. इसके अलावा ये शरीर के अंदरूनी घावों को भरने और सूजन को कम करने में मदद करता है.
  • कीवी में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है. कीवी के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या में भी फायदा होता है. फाइबर की मौजूदगी से पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है.

ये भी पढ़ेंः बागेश्वर: कीवी की खेती कर किसान बना लखपति, लोगों को भी दे रहा रोजगार

चमोलीः सीमांत जनपद चमोली में ट्यूलिप की खेती के बाद उद्यान विभाग और चमोली के काश्तकारों की मेहनत से न्यूजीलैंड के राष्ट्रीय फल कीवी का उत्पादन किया जा रहा है. गोपेश्वर के पास मंडल, दशोली ब्लॉक के बछेर, जोशीमठ, थराली के ग्वालदम में काश्तकार कीवी का उत्पादन कर रहे हैं. कीवी उत्पादन से काश्तकारों की आजीविका सुधरते देख उद्यान विभाग गदगद है. साथ ही काश्तकारों को कीवी के पौधे भी गांव-गांव में वितरित किए जा रहे हैं. हालांकि काश्तकारों को कीवी के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इससे काश्तकार थोड़ा निराश भी हैं.

बता दें कि कीवी का फल एक झाड़ीनुमा पेड़ पर होता है. इसके पेड़ जोड़े (नर व मादा) में होते हैं. समुद्रतल से 600 से लेकर 1800 मीटर की ऊंचाई पर पैदा होने वाला कीवी का फल औषधीय गुणों के साथ सभी प्रकार के पोषक तत्वों का भी भंडार है. यह फल न्यूजीलैंड के साथ साथ चीन, फ्रांस, चिली, ब्राजील आदि देशों में भी अच्छी मात्रा में उगाया जाता है. भारत में हिमाचल प्रदेश के बाद अब इसकी खेती उत्तराखंड के चमोली जिले में भी बड़ी तादाद में की जा रही है.

चमोली में लहलहा रहा न्यूजीलैंड का कीवी.

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अकेले चमोली जिले में इस साल 25 क्विंटल से अधिक कीवी का उत्पादन (Kiwi cultivation in Chamoli) हुआ है. हालांकि, चमोली में कीवी के फल को बाजार न मिल पाने के कारण काश्तकार ओने पौने दामों में कीवी बेचने को मजबूर (farmers not getting price of kiwi in chamoli) हैं. शहरों में 40 से 60 रुपए प्रति फल के दाम से बिकने वाला कीवी चमोली में 100 रुपये प्रति किलो बेचने को काश्तकार मजबूर हैं.

चमोली जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह के मुताबिक, कीवी 600 से लेकर 1800 की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है. चमोली में उद्यान विभाग की ओर से कई काश्तकारों को कीवी के उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. चमोली जिले में बीते साल मंडल, ग्वालदम, जोशीमठ, बछेर समेत कई गांवों में कीवी की पौध वितरित की गई थी. कई बागानों में कीवी के फल पककर भी तैयार हुए हैं. अन्य किसानों को भी कीवी उगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. जिला प्रशासन की ओर से भी कीवी उत्पादन को लेकर विशेष जोर दिया जा रहा है.

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कीवी खाने के फायदे-

  • विटामिन सी से भरपूर कीवी में पर्याप्त एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. ये कई तरह के इंफेक्शन से सुरक्षित रखने में सहायक होता है.
  • कीवी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक होता है. इसके नियमित सेवन से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है. दिल से जुड़ी कई बीमारियों में भी फायदेमंद होता है.
  • कीवी में इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है. अर्थराइटिस की शिकायत में कीवी का नियमित सेवन काफी फायदेमंद रहता है. इसके अलावा ये शरीर के अंदरूनी घावों को भरने और सूजन को कम करने में मदद करता है.
  • कीवी में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है. कीवी के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या में भी फायदा होता है. फाइबर की मौजूदगी से पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है.

ये भी पढ़ेंः बागेश्वर: कीवी की खेती कर किसान बना लखपति, लोगों को भी दे रहा रोजगार

Last Updated : Dec 13, 2021, 6:55 PM IST
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