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चमोली: ट्राउट फिश के लिए नहीं मिल रहा बाजार, काश्तकारों में निराशा - ट्राउट फिश के जरिए आर्थिकी

पहाड़ों में किसानों की अधिक आय अर्जित हो, इसके लिए प्रदेश सरकार के द्वारा ट्राउट फिश के पालन पर जोर दिया जा रहा है.

farmers disappointed in chamoli
ट्राउट फिश के नहीं मिल रहा बाजार.
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Published : Aug 2, 2021, 6:27 AM IST

Updated : Aug 2, 2021, 7:19 AM IST

चमोली: प्रदेश सरकार की बहुद्देशीय योजना के तहत इन दिनों गांव-गांव में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है. जनपद चमोली के कई गांवों में भी काश्तकार तालाब बनाकर ट्राउट मछली का पालन कर रहे हैं. लेकिन ट्राउट फिश की बिक्री के लिए स्थायी बाजार न होने के कारण काश्तकार निराश भी हैं. काश्तकारों का कहना है कि ट्राउट मछली की बिक्री के लिए स्थायी बाजार न होने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पहाड़ों में किसानों की अधिक आय अर्जित हो इसके लिए प्रदेश सरकार के द्वारा ट्राउट फिश के पालन पर जोर दिया जा रहा है. जिसके लिए गांव गांव में मत्स्य विभाग के द्वारा मछली तालाब बनाने के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है. चमोली में सरकारी योजना का लाभ लेते हुए कई काश्तकारों ने गांव गांव में मछली तालाब बनाकर ट्राउट फिश का उत्पादन भी किया, लेकिन ट्राउट फिश की बिक्री के लिए स्थाई बाजार न होने के कारण काश्तकारों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

काश्तकारों का कह्नना है कि ट्राउट फिश की पहाड़ी बाजारों में मांग न होने के कारण वह मछली को औने पौने दामो पर बेचने को मजबूर हैं. वह तालाब में मछलियों को लंबे समय तक पालते हैं तो उनको खिलाने के लिए दाना प्रतिदिन देना होता है. जिससे लागत अधिक आ जाती है और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.

पढ़ें- 'टोपीवार' के बीच हरदा की बलूनी को खुली चुनौती, रोजगार और विकास पर करें बहस

इस मामले पर सहायक निदेशक मत्स्य विभाग चमोली जगदम्बा प्रसाद का कहना है कि ट्राउट मछली की बिक्री के लिए फिश आउटलेट की व्यवस्था की गई है. साथ ही मछलियों की बिक्री के लिए देहरादून और दिल्ली में भी संपर्क किया जा रहा है, ताकि काश्तकारों को नुकसान न उठाना पड़े.

चमोली: प्रदेश सरकार की बहुद्देशीय योजना के तहत इन दिनों गांव-गांव में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है. जनपद चमोली के कई गांवों में भी काश्तकार तालाब बनाकर ट्राउट मछली का पालन कर रहे हैं. लेकिन ट्राउट फिश की बिक्री के लिए स्थायी बाजार न होने के कारण काश्तकार निराश भी हैं. काश्तकारों का कहना है कि ट्राउट मछली की बिक्री के लिए स्थायी बाजार न होने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पहाड़ों में किसानों की अधिक आय अर्जित हो इसके लिए प्रदेश सरकार के द्वारा ट्राउट फिश के पालन पर जोर दिया जा रहा है. जिसके लिए गांव गांव में मत्स्य विभाग के द्वारा मछली तालाब बनाने के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है. चमोली में सरकारी योजना का लाभ लेते हुए कई काश्तकारों ने गांव गांव में मछली तालाब बनाकर ट्राउट फिश का उत्पादन भी किया, लेकिन ट्राउट फिश की बिक्री के लिए स्थाई बाजार न होने के कारण काश्तकारों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

काश्तकारों का कह्नना है कि ट्राउट फिश की पहाड़ी बाजारों में मांग न होने के कारण वह मछली को औने पौने दामो पर बेचने को मजबूर हैं. वह तालाब में मछलियों को लंबे समय तक पालते हैं तो उनको खिलाने के लिए दाना प्रतिदिन देना होता है. जिससे लागत अधिक आ जाती है और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.

पढ़ें- 'टोपीवार' के बीच हरदा की बलूनी को खुली चुनौती, रोजगार और विकास पर करें बहस

इस मामले पर सहायक निदेशक मत्स्य विभाग चमोली जगदम्बा प्रसाद का कहना है कि ट्राउट मछली की बिक्री के लिए फिश आउटलेट की व्यवस्था की गई है. साथ ही मछलियों की बिक्री के लिए देहरादून और दिल्ली में भी संपर्क किया जा रहा है, ताकि काश्तकारों को नुकसान न उठाना पड़े.

Last Updated : Aug 2, 2021, 7:19 AM IST
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