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चमोली में बैसाखी के मेलों पर भी दिखा कोरोना का असर

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Published : Apr 13, 2020, 5:16 PM IST

Updated : Apr 13, 2020, 6:54 PM IST

चमोली जिले की पिण्डर घाटी में भी बैसाखी से शुरू होने वाला मेलों का महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना ने बैसाखी के पावन पर्व में खलल डाल दिया है.

Chamoli
बैशाखी के मेलों पर भी दिखा कोरोना का असर

चमोली: आज बैसाखी का पावन पर्व है, पंजाब में जिस तरह धूमधाम से बैसाखी का पर्व मनाया जाता है, उसी तरह चमोली जिले की पिण्डर घाटी में भी बैसाखी से शुरू होने वाले मेलों का महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, पांच दिनों तक अलग अलग स्थानों पर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित ये मेले अपनी अलग ही पहचान बयां करते हैं.

बैशाखी के मेलों पर भी दिखा कोरोना का असर

बता दें, प्रथम मेला 13 अप्रैल को कुलसारी और पंती में, 14 को मींग और नाखोली माल में, 15 को खेनौली और कोब में, 16 को असेड में व 17 अप्रैल को मलियाल और हंसकोटी में तथा कुछ दिन बाद बुद्ध पूर्णिमा को कुलसारी के भटियाणा में मां कुमारी के मेले के साथ ही इन मेलों का महोत्सव संपन्न होता है.

लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना ने बैसाखी के पावन पर्व में खलल डाल दिया है. कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन है, जिसकी वजह से सभी धार्मिक अनुष्ठान बंद हैं. ऐसे में पिण्डर घाटी में इन मेलों के आयोजन पर भी कोरोना इफेक्ट का प्रभाव देखा जा सकता है.

पढ़े- लॉकडाउनः टैक्सी संचालकों को भारी नुकसान, सरकार से लगाई मदद की गुहार

वहीं, कोरोना के चलते आज स्थानीय लोग प्रशासन से अनुमति लेकर कुलसारी मंदिर प्रांगण में बैसाखी पर्व पर देव डोलियों को स्नान कराने पहुंचे, सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए बारी बारी अलग अलग जगह से महज 5 ही लोग देव झंडों, महादेव की मूर्तियों और डोलियों को लेकर कुलसारी काली मंदिर में पहुंचे, जहां पिण्डर नदी से कलश में पवित्र जल लेकर देव झंडों, मूर्तियों और देव डोलियों को स्नान कराकर सामान्य रूप में पूजा अनुष्ठान का कार्य सम्पन्न कराया गया.

पढ़े- चौथे दिन भी उत्तराखंड में नहीं मिला कोरोना का मरीज, 7 लोग स्वस्थ होकर घर लौटे

वहां आए लोगों ने बताया कि देश इस वक्त महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में लॉकडाउन के चलते मेलों का आयोजन सम्भव नहीं है. लिहाजा सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए प्रशासन की अनुमति लेकर केवल मूर्तियों को स्नान इत्यादि कराकर ही पूजा अनुष्ठान कार्य किया जा रहा है, सभी स्थानों पर लगने वाले मेलों के लिए देव झंडो, डोलियों और नारायण की मूर्तियों का पवित्र स्नान 13 अप्रैल यानी बैसाखी को ही हो जाता है.

चमोली: आज बैसाखी का पावन पर्व है, पंजाब में जिस तरह धूमधाम से बैसाखी का पर्व मनाया जाता है, उसी तरह चमोली जिले की पिण्डर घाटी में भी बैसाखी से शुरू होने वाले मेलों का महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, पांच दिनों तक अलग अलग स्थानों पर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित ये मेले अपनी अलग ही पहचान बयां करते हैं.

बैशाखी के मेलों पर भी दिखा कोरोना का असर

बता दें, प्रथम मेला 13 अप्रैल को कुलसारी और पंती में, 14 को मींग और नाखोली माल में, 15 को खेनौली और कोब में, 16 को असेड में व 17 अप्रैल को मलियाल और हंसकोटी में तथा कुछ दिन बाद बुद्ध पूर्णिमा को कुलसारी के भटियाणा में मां कुमारी के मेले के साथ ही इन मेलों का महोत्सव संपन्न होता है.

लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना ने बैसाखी के पावन पर्व में खलल डाल दिया है. कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन है, जिसकी वजह से सभी धार्मिक अनुष्ठान बंद हैं. ऐसे में पिण्डर घाटी में इन मेलों के आयोजन पर भी कोरोना इफेक्ट का प्रभाव देखा जा सकता है.

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वहीं, कोरोना के चलते आज स्थानीय लोग प्रशासन से अनुमति लेकर कुलसारी मंदिर प्रांगण में बैसाखी पर्व पर देव डोलियों को स्नान कराने पहुंचे, सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए बारी बारी अलग अलग जगह से महज 5 ही लोग देव झंडों, महादेव की मूर्तियों और डोलियों को लेकर कुलसारी काली मंदिर में पहुंचे, जहां पिण्डर नदी से कलश में पवित्र जल लेकर देव झंडों, मूर्तियों और देव डोलियों को स्नान कराकर सामान्य रूप में पूजा अनुष्ठान का कार्य सम्पन्न कराया गया.

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वहां आए लोगों ने बताया कि देश इस वक्त महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में लॉकडाउन के चलते मेलों का आयोजन सम्भव नहीं है. लिहाजा सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए प्रशासन की अनुमति लेकर केवल मूर्तियों को स्नान इत्यादि कराकर ही पूजा अनुष्ठान कार्य किया जा रहा है, सभी स्थानों पर लगने वाले मेलों के लिए देव झंडो, डोलियों और नारायण की मूर्तियों का पवित्र स्नान 13 अप्रैल यानी बैसाखी को ही हो जाता है.

Last Updated : Apr 13, 2020, 6:54 PM IST
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