चमोली: उत्तराखंड चाय बोर्ड के नौटी, कालीमाटी व जंगलचट्टी बागान की चायपत्ती की डिमांड भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक है. बागानों से चुनी गई चाय लोगों को काफी भा रही है. कम समय में ही चाय चमोली की पहचान बन चुकी है और जिसकी डिमांड देश-विदेशों में खूब होती रही है.
बागान से चुनी चाय पत्तियों को गैरसैंण हाईवे पर स्थित भटोली गांव के पास उत्तराखंड चाय बोर्ड की यूनिट पर लाकर मशीनों द्वारा प्रसंस्करण किया जाता है, फिर पैकिंग कर बिक्री के लिए देश और विदेशों के लिए भेजा जाता है. बता दें कि, पहले भी 2 हजार, 800 किलो चायपत्ती ईरान, ईराक और रूस पहुंचाई गई थी. उस दौरान इस खेप से उत्तराखंड चाय बोर्ड के नौटी बागान को 4 लाख, 20 हजार रुपये की आय प्राप्त हुई थी. 156 हेक्टेयर वाले नौटी चाय बागान के नौ बागानों में उगाई गई ऑर्थोडॉक्स ब्लैक-टी अपने खास स्वाद और खुशबू के लिए प्रसिद्ध है. इस चायपत्ती की प्रदेश के साथ-साथ देश- विदेश में भी डिमांड बढ़ गई है.
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गैरसैंण स्थित कालीमाटी, जंगलचट्टी, नौटी के बागानों से चुनकर भटोली यूनिट में चायपत्ती तैयार की जाती हैं. यहां अलग-अलग ग्रेडों में 130 रुपए से 1400 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से चायपत्ती को विक्रय किया जाता है. चाय के बढ़ते उत्पादन को देखते हुए उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने चमोली के थराली, पोखरी और जखोली में भी 25 हेक्टेयर में 5 से 7 लाख चायपत्ती के पौधे रोपे हैं.