चमोलीः कर्णप्रयाग विधानसभा सीट राजनीतिक दलों के लिए हॉट सीट बनी हुई है. इस सीट पर सबसे पहले भाकपा (माले) ने अपने प्रत्याशी के तौर पर इंद्रेश मैखुरी को मैदान में उतारा है. हालांकि बीजेपी, कांग्रेस, आप, यूकेडी समेत अन्य दल अपने प्रत्याशियों की घोषणा करने पर अभी चुप्पी साधे हुए हैं. बीजेपी-कांग्रेस में टिकट को लेकर दावेदारों की सूची लंबी है. ऐसे में ये भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रत्याशी घोषित करने पर कहीं पार्टी में बगावत न हो. इसलिए पार्टियां रणनीति के तहत ही टिकट आवंटन पर विचार कर रही हैं.
बता दें कि कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से भाकपा (माले) के घोषित उम्मीदवार इंद्रेश मैखुरी कर्णप्रयाग ब्लॉक के ही मैखुरा गांव के निवासी हैं. चमोली के साथ पूरे प्रदेश में जन आंदोलनों के नायक कहे जाने वाले इंद्रेश मैखुरी साल 1994 में कक्षा 12वीं में रहते हुए उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय रहे. साथ ही जेल भी गए. हाल ही में नंदप्रयाग-घाट सड़क आंदोलन में भी इंद्रेश मैखुरी की अहम भूमिका रही.
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साल 2006 से लेकर 2008 तक इंद्रेश मैखुरी छात्र संगठन आईसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. वहीं, मैखुरी साल 2000 में गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए. वर्तमान समय में इंद्रेश मैखुरी भाकपा (माले) राज्य कमेटी के सदस्य और गढ़वाल सचिव भी हैं. अगर विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो मैखुरी कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से साल 2000, 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं.
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साल 2017 के चुनाव में मैखुरी बीजेपी-कांग्रेस के प्रत्याशियों के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे. एक बार फिर आगामी विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) ने इंद्रेश मैखुरी पर भरोसा जताते हुए अपना प्रत्याशी घोषित किया है. इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि बीते 21 सालों में सत्ता बदली, लेकिन स्थायी राजधानी गैरसैंण, शिक्षा और स्वास्थ्य, जल-जंगल-जमीन आदि की आवाज विधानसभा तक नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में वो जमीन से जुड़े मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं.