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चमोली में अभी नहीं टली आफत, कई दुकानों पर मंडरा रहा खतरा - चमोली अपदा न्यूज

सुरक्षा के लिहाज से घाट बाजार में नदी के किनारे करीब 30 दुकानों को खाली किया गया है. दुकानदारों ने रस्सी के सहारे चुफलागाड नदी में उतरकर मलबे में दबे सामान को जान जोखिम में डालकर बाहर निकाला.

बादल फटने के बाद भी पटरी पर नहीं उतर पाया जनजीवन.
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Published : Aug 13, 2019, 2:36 PM IST

चमोली: देवभूमि उत्तराखंड में बारिश ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. वहीं चमोली के घाट क्षेत्र में बादल फटने की घटना के बाद लोगों का जीवन पटरी पर नहीं आ पाया है. घाट क्षेत्र में चुफलागाड नदी के उफान पर आने से घाट बाजार स्थित चार दुकानें नदी में समा गई थीं. अभी भी करीब 10 दुकानों पर खतरा बना हुआ है. कई मकान अभी भी नदी के ऊपर हवा में झूल रहे हैं. थोड़ी सी बारिश होने पर इन मकानों का नदी में समा जाने का खतरा अभी भी बना हुआ है.

गौर हो कि सुरक्षा के लिहाज से घाट बाजार में नदी के किनारे करीब 30 दुकानों को खाली किया गया है. दुकानदारों ने रस्सी के सहारे चुफलागाड नदी में उतरकर मलबे में दबे सामान को जान जोखिम में डालकर बाहर निकाला. साथ ही खतरे को देखते हुए क्षतिग्रस्त भवनों के आगे लाल रिबन लगाकर प्रशासन के द्वारा लोगों को क्षतिग्रस्त भवनों के आसपास जाने से रोका जा रहा है.

बादल फटने के बाद भी पटरी पर नहीं उतर पाया जनजीवन.

पढ़ें-चार दिनों से बंद है केदारनाथ हाईवे, बारिश की वजह से रुद्रप्रयाग के कई इलाकों का संपर्क कटा

स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद प्रशासन से कई बार चुफलागाड नदी के किनारे सुरक्षा दीवार बनाने की गुहार लगाई गई थी, लेकिन आज तक सुरक्षा दीवार नहीं बनी. जिस कारण चुफलागाड नदी के उफान पर आने से कई दुकानों और भवनों पर अभी भी खतरा बना हुआ है.

चमोली: देवभूमि उत्तराखंड में बारिश ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. वहीं चमोली के घाट क्षेत्र में बादल फटने की घटना के बाद लोगों का जीवन पटरी पर नहीं आ पाया है. घाट क्षेत्र में चुफलागाड नदी के उफान पर आने से घाट बाजार स्थित चार दुकानें नदी में समा गई थीं. अभी भी करीब 10 दुकानों पर खतरा बना हुआ है. कई मकान अभी भी नदी के ऊपर हवा में झूल रहे हैं. थोड़ी सी बारिश होने पर इन मकानों का नदी में समा जाने का खतरा अभी भी बना हुआ है.

गौर हो कि सुरक्षा के लिहाज से घाट बाजार में नदी के किनारे करीब 30 दुकानों को खाली किया गया है. दुकानदारों ने रस्सी के सहारे चुफलागाड नदी में उतरकर मलबे में दबे सामान को जान जोखिम में डालकर बाहर निकाला. साथ ही खतरे को देखते हुए क्षतिग्रस्त भवनों के आगे लाल रिबन लगाकर प्रशासन के द्वारा लोगों को क्षतिग्रस्त भवनों के आसपास जाने से रोका जा रहा है.

बादल फटने के बाद भी पटरी पर नहीं उतर पाया जनजीवन.

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स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद प्रशासन से कई बार चुफलागाड नदी के किनारे सुरक्षा दीवार बनाने की गुहार लगाई गई थी, लेकिन आज तक सुरक्षा दीवार नहीं बनी. जिस कारण चुफलागाड नदी के उफान पर आने से कई दुकानों और भवनों पर अभी भी खतरा बना हुआ है.

Intro:घाट क्षेत्र में बादल फटने की घटना के बाद लोगों का जीवन अभी भी पटरी पर नहीं आ पाया है। घाट क्षेत्र में चुफलागाड नदी के उफान पर आने से घाट बाजार स्थित चार दुकानें नदी में समा गई थी ।अभी भी करीब 10 दुकानों को चुफलागाड नदी से खतरा बना हुआ है ।कई मकाने अभी भी नदी के ऊपर हवा में झूल रही है ।थोड़ी सी बारिश होने पर इन मकानों का नदी में समा जाने का खतरा अभी भी बना हुआ है । वीडियो बाईट मेल से भेजी है।


Body: सुरक्षा के लिहाज से घाट बाजार में नदी के किनारे की करीब 30 दुकानों को खाली किया गया है। आज सुबह भी दुकानदारों के द्वारा रस्सी के सहारे चुफलागाड नदी में उतरकर मलबे में दबे सामान को जान जोखिम में डालकर निकाला गया ।साथ ही खतरे को देखते हुए क्षतिग्रस्त भवनों के आगे लाल रिबन लगाकर प्रशासन के द्वारा लोगों को क्षतिग्रस्त भवनों के आसपास जाने से रोका जा रहा है।


Conclusion:स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद प्रशासन से कई बार चुफलागाड नदी के किनारे सुरक्षा दीवार लगाने की गुहार लगाई गई थी। लेकिन आज तक भी सुरक्षा दीवार प्रशासन के द्वारा नहीं लगाई गई ।और जिस कारण चुफलागाड नदी के उफान पर आने से कई दुकानों और भवनों को अभी भी खतरा बना हुआ है। बाईट-दौलत सिंह-प्रभावित। बाईट-संदीप-प्रभावित। बाईट-संजय-प्रभावित।
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