चमोली: दो दिवसीय संतान दायनी माता सती अनुसूया मेला विधि विधान के साथ शुरू हो गया है. चमोली-ऊखीमठ मोटर मार्ग पर स्थित अनुसूया मंदिर गेट पर पांच देवियों की मौजूदगी में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मेले का शुभारंभ किया. वहीं देर शाम तक करीब 4 सौ बरोही (निःसंतान दम्पतियों) ने अनुसूया देवी मंदिर में पंजीकरण करवा लिया है.
अनुसूया मेला शुरू: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशोली ब्लॉक के बणद्वारा, खल्ला, सगर, देवलधार और कठूड़ मंदिरों में सती मां अनुसूया की पांच बहनों की पूजा-अर्चना की गई. जिसके बाद सभी गांवों के ग्रामीण दोपहर में ढोल दामाऊं के साथ देव डोलियों ने सती अनुसूया मंदिर के लिये प्रस्थान किया. सभी डोलियां मंडल में स्थित अनुसूया देवी मंदिर के पैदल मार्ग के मुख्य द्वार पर एक-दूसरे से मिलीं. इस दौरान पांचों देव डोलियों के मिलन को देखने बड़ी संख्या में देव भक्त यहां पहुंचे थे.
अनुसूया मंदिर मार्ग के लिए 15 लाख की घोषणा: यहां भक्तों ने मां अनुसूया और ज्वाला के जयकारों के साथ देव डोलियों का भव्य स्वागत किया. जिसके बाद यहां देव डोलियों की मौजूदगी में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मेले (chamoli fair news) का विधिवत शुभारंभ किया. यहां आयोजित कार्यक्रम के दौरान पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि जिले में धार्मिक मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं. जिनके संरक्षण के लिये हर स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने ग्रामीणों को अनुसूया देवी मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर के विकास के लिये 15 लाख रुपए देने की घोषणा की.
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संतान प्राप्ति के लिए पहुंचते हैं दंपति: संतानदायिनी माता अनुसूया को लेकर ग्रामीणों की मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर आयोजित समारोह में जो भी निःसंतान दम्पति यहां पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. यहां दत्तात्रेय जयंती के पर्व क्षेत्र की सगर, बणद्वारा, देवलधार, कठूड़ और खल्ला की देव डोलियां अनुसूया मंदिर पहुंचती हैं. यहां विशेष पूजाओं के बाद निःसंतान महिला को रात्रि के समय आयोजित अनुष्ठान में भाग लेना होता है. जिसके बाद यहां आने वाले स्वप्न के बाद महिला अपने पति के साथ स्नान कर लौट आती है. मान्यता है महिला को स्वप्न में फल दिखाई देने पर संतान की प्राप्ति होती है.