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पहाड़ी में पड़ी दरार लोगों के लिए बन सकती है आफत, प्रशासन ने की जियोलॉजिकल सर्वे की मांग - लामबगड़ पहाड़ी का जियोलॉजिकल सर्वे

लामबगड़ स्लाइडिंग जोन में पहाड़ी में आई ददार पर प्रशासन की चिंता बढ़ गई है. प्रशासन से जियोलॉजिकल सर्वे की मांग की है. इस बीच तीर्थयात्री जान जोखिम में डालकर अलकनंदा नदी के किनारे से बनाये गए वैकल्पिक रास्ते से आवाजाही करने को मजबूर है.

लामबगड़ पहाड़ी में आई दरारें
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Published : Sep 2, 2019, 1:15 PM IST

Updated : Sep 2, 2019, 2:54 PM IST

चमोली: लामबगड़ स्लाइडिंग जोन में पहाड़ी में पड़ी दरार ने प्रशासन की चिंता बढा दी है. जिसको लेकर प्रशासन ने लामबगड़ पहाड़ी के जियोलॉजिकल सर्वे की मांग उठाई है. वहीं, लामबगड़ स्लाइडिंग जोन के ऊपर जंगलों के बीच से गुजरने वाला पैदल रास्ता भी भूस्खलन की चपेट में आने से पूरी तरह टूटकर बंद हो चुका है. तीर्थयात्री जान जोखिम में डालकर अलकनंदा नदी के किनारे से बनाये गए वैकल्पिक रास्ते से आवाजाही करने को मजबूर हैं.

लामबगड़ पहाड़ी में आई दरारें

इन दिनों क्षेत्र में हुई बारिश से लामबगड़ पहाडी के शिर्ष भाग में दरार पड़ी हुई है,इस स्थिति में पहाड़ी का बड़ा हिस्सा कभी भी दरक कर बदरीनाथ हाइवे पर गिर सकता है, जिससे बदरीनाथ हाइवे लंबे समय तक बाधित रह सकता है. लामबगड़ में बदरीनाथ हाईवे 3 दिन बंद रहने के बाद खोल दिया गया है. बीते 29 अगस्त को लामबगड़ में पेड़ गिरने और पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा से हाइवे बंद हो गया था.

Geological survey of Lambgarh hill
लामबगड़ स्लाइडिंग जोन

लामबगड़ भूस्खलन जोन पिछले दो दशक से बदरीनाथ धाम की सुचारू तीर्थयात्रा में तीर्थयात्रियों और प्रशासन के लिए रोड़ा बना हुआ है. यंहा थोड़ी सी बारिश होने पर चट्टान से भूस्खलन होने लगता है, लेकिन आज तक इसका स्थाई ट्रीटमेंट नहीं किया जा सका है. पूर्व में यहां हाईवे के सुधारीकरण का कार्य (बीआरओ) सीमा सड़क संगठन को सौंपा गया था. जब भूस्खलन जोन का स्थाई समाधान नहीं निकाला जा सका तो प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में लामबगड़ स्लाइडिंग क्षेत्र का करीब 800 मीटर का हिस्सा लोक निर्माण विभाग के एनएच खंड को सौंप दिया. एनएच के द्वारा अलकनंदा नदी के किनारे से ही लामबगड़ ट्रीटमेंट का कार्य किया जा रहा है, लेकिन पहाड़ी से हो रहे लगातार भूस्खलन के कारण निर्माण कार्य में दिक्कतें आ रही हैं.

पढ़ें- स्कूल की जमीन पर भूमाफिया का कब्जा, लोगों ने दी आंदोलन की चेतावनी

जोशीमठ के उप जिलाधिकारी अनिल कुमार चन्याल ने बताया कि प्रशासन की ओर से चट्टान के शीर्ष भाग में पड़ी दरार का स्थलीय निरीक्षण किया जा चुका है. इसकी रिपोर्ट भी उच्च अधिकारियों को सौंप दी गई है. प्रशासन ने उच्चाधिकारियों से जल्द ही लामबगड़ का जियोलॉजिकल सर्वे कर ट्रीटमेंट की मांग की है.

चमोली: लामबगड़ स्लाइडिंग जोन में पहाड़ी में पड़ी दरार ने प्रशासन की चिंता बढा दी है. जिसको लेकर प्रशासन ने लामबगड़ पहाड़ी के जियोलॉजिकल सर्वे की मांग उठाई है. वहीं, लामबगड़ स्लाइडिंग जोन के ऊपर जंगलों के बीच से गुजरने वाला पैदल रास्ता भी भूस्खलन की चपेट में आने से पूरी तरह टूटकर बंद हो चुका है. तीर्थयात्री जान जोखिम में डालकर अलकनंदा नदी के किनारे से बनाये गए वैकल्पिक रास्ते से आवाजाही करने को मजबूर हैं.

लामबगड़ पहाड़ी में आई दरारें

इन दिनों क्षेत्र में हुई बारिश से लामबगड़ पहाडी के शिर्ष भाग में दरार पड़ी हुई है,इस स्थिति में पहाड़ी का बड़ा हिस्सा कभी भी दरक कर बदरीनाथ हाइवे पर गिर सकता है, जिससे बदरीनाथ हाइवे लंबे समय तक बाधित रह सकता है. लामबगड़ में बदरीनाथ हाईवे 3 दिन बंद रहने के बाद खोल दिया गया है. बीते 29 अगस्त को लामबगड़ में पेड़ गिरने और पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा से हाइवे बंद हो गया था.

Geological survey of Lambgarh hill
लामबगड़ स्लाइडिंग जोन

लामबगड़ भूस्खलन जोन पिछले दो दशक से बदरीनाथ धाम की सुचारू तीर्थयात्रा में तीर्थयात्रियों और प्रशासन के लिए रोड़ा बना हुआ है. यंहा थोड़ी सी बारिश होने पर चट्टान से भूस्खलन होने लगता है, लेकिन आज तक इसका स्थाई ट्रीटमेंट नहीं किया जा सका है. पूर्व में यहां हाईवे के सुधारीकरण का कार्य (बीआरओ) सीमा सड़क संगठन को सौंपा गया था. जब भूस्खलन जोन का स्थाई समाधान नहीं निकाला जा सका तो प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में लामबगड़ स्लाइडिंग क्षेत्र का करीब 800 मीटर का हिस्सा लोक निर्माण विभाग के एनएच खंड को सौंप दिया. एनएच के द्वारा अलकनंदा नदी के किनारे से ही लामबगड़ ट्रीटमेंट का कार्य किया जा रहा है, लेकिन पहाड़ी से हो रहे लगातार भूस्खलन के कारण निर्माण कार्य में दिक्कतें आ रही हैं.

पढ़ें- स्कूल की जमीन पर भूमाफिया का कब्जा, लोगों ने दी आंदोलन की चेतावनी

जोशीमठ के उप जिलाधिकारी अनिल कुमार चन्याल ने बताया कि प्रशासन की ओर से चट्टान के शीर्ष भाग में पड़ी दरार का स्थलीय निरीक्षण किया जा चुका है. इसकी रिपोर्ट भी उच्च अधिकारियों को सौंप दी गई है. प्रशासन ने उच्चाधिकारियों से जल्द ही लामबगड़ का जियोलॉजिकल सर्वे कर ट्रीटमेंट की मांग की है.

Intro:चमोली जनपद में स्थित बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में 3 दिन बंद रहने के बाद वाहनो की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है,बीते 29 अगस्त को लामबगड़ में पहाड़ी से भारी मात्रा में मलवा और पेड़ आने से हाइवे बाधित हो गया था।लेकिन अभी भी बद्रीनाथ हाइवे लंबे समय के लिए अवरुद्ध हो सकता है ।दरअसल लामबगड़ स्लाइडिंग जॉन में पहाड़ी के शिर्ष से भाग पर पड़ी दरार ने प्रशासन की चिंता बढा दी है।जिसको लेकर प्रशासन ने लामबगड़ पहाड़ी के जायलॉजिकल सर्वे की मांग उठाई है।वंही लामबगड़ में हाइवे बंद होने की दशा में स्लाइडिंग ज़ोन के ऊपर जंगलो के बीच से गुजरने वाले पैदल रास्ता भी भूस्खलन की चपेट में आने से पूरी तरह टूटकर बंद हो चुका है,तीर्थयात्री जान जोखिम में डालकर अलकनंदा नदी के किनारे से बनाये गए बैकल्पिक रास्ते से आवाजाही करने को मजबूर है।

इन दिनों क्षेत्र में हुई बारिश से लामबगड़ पहाडी के शिर्ष भाग में दरार पड़ी हुई है,इस स्थिति में पहाड़ी का बड़ा हिस्सा कभी भी दरक कर बदरीनाथ हाइवे पर गिर सकता है,जिससे बदरीनाथ हाइवे लंबे समय तक बंद रह सकता है।

विस्वल बाईट मेल से भेजी है।


Body: लामबगड़ भूस्खलन जॉन पिछले दो दशक से बद्रीनाथ धाम की सुचारू तीर्थयात्रा में तीर्थयात्रियों और प्रशासन के लिए रोड़ा बना हुआ है।यंहा थोड़ी सी बारिश होने पर चट्टान से भूस्खलन होने लगता है ।लेकिन आज तक इसका स्थाई ट्रीटमेंट नहीं किया जा सका है। पूर्व में यहां हाईवे के सुधारीकरण का कार्य (बीआरओ) सीमा सड़क संगठन को सौंपा गया था। जब भूस्खलन जॉन का स्थाई समाधान नहीं निकाला जा सका तो प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में लामबगड़ स्लाइडिंग क्षेत्र का करीब 800 मीटर का हिस्सा लोक निर्माण विभाग के एनएच खंड को सौंपा है।एनएच के द्वारा अलकनंदा नदी के किनारे से ही लामबगड़ ट्रीटमेंट का कार्य किया जा रहा है,लेकिन पहाड़ी से हो रहे लगातार भूस्खलन के कारण निर्माण कार्य मे दिक्कते सामने आ रही है।


Conclusion:जोशीमठ के उप जिलाधिकारी अनिल कुमार चन्याल ने बताया कि प्रशासन की ओर से चट्टान के शीर्ष भाग में पड़ी दरार का स्थलीय निरीक्षण किया जा चुका है ।इसकी रिपोर्ट भी उच्च अधिकारियों को सौंप दी गई है। प्रशासन ने उच्चाधिकारियों से शीघ्र लामबगड़ का जियोलॉजिकल सर्वे कर इसके ट्रीटमेंट की मांग की है।

बाईट-अनिल चन्याल-उपजिलाधिकारी जोशीमठ।
Last Updated : Sep 2, 2019, 2:54 PM IST
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