चमोली: लामबगड़ स्लाइडिंग जोन में पहाड़ी में पड़ी दरार ने प्रशासन की चिंता बढा दी है. जिसको लेकर प्रशासन ने लामबगड़ पहाड़ी के जियोलॉजिकल सर्वे की मांग उठाई है. वहीं, लामबगड़ स्लाइडिंग जोन के ऊपर जंगलों के बीच से गुजरने वाला पैदल रास्ता भी भूस्खलन की चपेट में आने से पूरी तरह टूटकर बंद हो चुका है. तीर्थयात्री जान जोखिम में डालकर अलकनंदा नदी के किनारे से बनाये गए वैकल्पिक रास्ते से आवाजाही करने को मजबूर हैं.
इन दिनों क्षेत्र में हुई बारिश से लामबगड़ पहाडी के शिर्ष भाग में दरार पड़ी हुई है,इस स्थिति में पहाड़ी का बड़ा हिस्सा कभी भी दरक कर बदरीनाथ हाइवे पर गिर सकता है, जिससे बदरीनाथ हाइवे लंबे समय तक बाधित रह सकता है. लामबगड़ में बदरीनाथ हाईवे 3 दिन बंद रहने के बाद खोल दिया गया है. बीते 29 अगस्त को लामबगड़ में पेड़ गिरने और पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा से हाइवे बंद हो गया था.
लामबगड़ भूस्खलन जोन पिछले दो दशक से बदरीनाथ धाम की सुचारू तीर्थयात्रा में तीर्थयात्रियों और प्रशासन के लिए रोड़ा बना हुआ है. यंहा थोड़ी सी बारिश होने पर चट्टान से भूस्खलन होने लगता है, लेकिन आज तक इसका स्थाई ट्रीटमेंट नहीं किया जा सका है. पूर्व में यहां हाईवे के सुधारीकरण का कार्य (बीआरओ) सीमा सड़क संगठन को सौंपा गया था. जब भूस्खलन जोन का स्थाई समाधान नहीं निकाला जा सका तो प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में लामबगड़ स्लाइडिंग क्षेत्र का करीब 800 मीटर का हिस्सा लोक निर्माण विभाग के एनएच खंड को सौंप दिया. एनएच के द्वारा अलकनंदा नदी के किनारे से ही लामबगड़ ट्रीटमेंट का कार्य किया जा रहा है, लेकिन पहाड़ी से हो रहे लगातार भूस्खलन के कारण निर्माण कार्य में दिक्कतें आ रही हैं.
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जोशीमठ के उप जिलाधिकारी अनिल कुमार चन्याल ने बताया कि प्रशासन की ओर से चट्टान के शीर्ष भाग में पड़ी दरार का स्थलीय निरीक्षण किया जा चुका है. इसकी रिपोर्ट भी उच्च अधिकारियों को सौंप दी गई है. प्रशासन ने उच्चाधिकारियों से जल्द ही लामबगड़ का जियोलॉजिकल सर्वे कर ट्रीटमेंट की मांग की है.