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श्राद्ध पक्ष: बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने से मिलता है मोक्ष

इस बार श्राद्ध पक्ष 1 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेंगे. अपने पितरों के मोक्ष के लिए श्रद्धालु बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्मकपाल पहुंच रहे हैं. कहा जाता है कि यहां एक बार पितरों का पिंडदान करने के बाद किसी भी दूसरे स्थान पर पिंडदान करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है.

Badrinath Dham Brahmakpal
बदरीनाथ धाम ब्रह्मकपाल
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Published : Sep 11, 2020, 4:10 PM IST

चमोली: इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग अपने पितरों का श्राद्ध और पिंडदान करने के लिए बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं. कहते हैं बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्म कपाल में पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने से मिलता है मोक्ष.

शास्त्रों में बदरीनाथ धाम को भू बैकुण्ठ भी कहा गया है. यह पृथ्वी का सबसे बड़ा मोक्ष धाम भी है. कहा जाता है कि एक बार यहा पितरों का पिंडदान करने के बाद किसी भी दूसरे स्थान पर पिंडदान करने की आवश्यकता नहीं होती है. बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्मकपाल को गया, काशी से भी सर्वोच्च मोक्ष धाम का दर्जा प्राप्त है.

पढ़ें- घर बैठे कीजिए पितरों का श्राद्ध, ऐसे होता है ऑनलाइन पिंडदान

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप चढ़ा था, तो वह इसी स्थान पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. श्राद्ध पक्ष में लोग देश-विदेश से अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए बदरीनाथ धाम पहुंचते हैं, लेकिन इस समय कोरोना काल के चलते श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करने पहुंचे लोगों की संख्या में कमी देखी गई है, लेकिन स्थानीय लोग और कुछ नजदीकी राज्यों के लोग भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के साथ-साथ अपने पितरों का पिंडदान भी ब्रह्मकपाल के तीर्थपुरोहितों से करवा रहे हैं.

चमोली: इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग अपने पितरों का श्राद्ध और पिंडदान करने के लिए बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं. कहते हैं बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्म कपाल में पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने से मिलता है मोक्ष.

शास्त्रों में बदरीनाथ धाम को भू बैकुण्ठ भी कहा गया है. यह पृथ्वी का सबसे बड़ा मोक्ष धाम भी है. कहा जाता है कि एक बार यहा पितरों का पिंडदान करने के बाद किसी भी दूसरे स्थान पर पिंडदान करने की आवश्यकता नहीं होती है. बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्मकपाल को गया, काशी से भी सर्वोच्च मोक्ष धाम का दर्जा प्राप्त है.

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप चढ़ा था, तो वह इसी स्थान पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. श्राद्ध पक्ष में लोग देश-विदेश से अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए बदरीनाथ धाम पहुंचते हैं, लेकिन इस समय कोरोना काल के चलते श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करने पहुंचे लोगों की संख्या में कमी देखी गई है, लेकिन स्थानीय लोग और कुछ नजदीकी राज्यों के लोग भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के साथ-साथ अपने पितरों का पिंडदान भी ब्रह्मकपाल के तीर्थपुरोहितों से करवा रहे हैं.

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