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स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित होगा बदरीनाथ धाम, 100 करोड़ का MOU साइन - बदरीनाथ धाम न्यूज

श्री बदरीनाथ धाम को एक स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से गुरुवार को महत्वपूर्ण कदम उठाया गया. इसके तहत श्री बदरीनाथ उत्थान ट्रस्ट और तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के बीच 100 करोड़ के कामों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये.

Badrinath
बदरीनाथ धाम का होगा कायाकल्प
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Published : May 6, 2021, 4:54 PM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में गुरुवार को श्री बदरीनाथ उत्थान ट्रस्ट व तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के बीच करार किया गया. इस करार का मकसद बदरीनाथ धाम को स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित करना है.

श्री बदरीनाथ धाम को एक स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से गुरुवार को महत्वपूर्ण कदम उठाया गया. इसके तहत श्री बदरीनाथ उत्थान ट्रस्ट और तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के बीच 100 करोड़ के कामों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये. समझौता पत्र पर पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से सचिव तनु कपूर और उत्तराखंड की तरफ से पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने हस्ताक्षर किए.

सचिवालय में वर्चुअल रूप से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में साल 2013 में आई आपदा के बाद पुनर्निर्माण के कार्यों को शुरू किया गया था, जो अब अपने अंतिम चरणों में हैं. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बदरीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया है. बदरीनाथ धाम में आने वाले 100 सालों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास कुल 85 हेक्टेयर भूमि में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा.

पढ़ें- केदारनाथ धाम की व्यवस्थाओं का जायजा लेने देवस्थानम बोर्ड का दल रवाना

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि बदरीनाथ धाम में यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. इसी के साथ यहां पर व्यास गुफा, गणेश गुफा व चरण पादुका आदि का भी पुनर्विकास किया जाना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बदरीनाथ धाम के विकास में तेल कंपनियों का योगदान सराहनीय है. राज्य सरकार होमस्टे को बढ़ावा देने पर ज्यादा फोकस कर रही है. ताकि श्रद्धालुओं को यहां आने पर सस्ती सुविधाएं उपलब्ध हो सकें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी तीन सालों में बदरीनाथ धाम के कायाकल्प के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने बदरीनाथ धाम में किये जा रहे कार्यों के लिए विशेष तौर पर प्रधानमंत्री व पेट्रोलियम मंत्री का विशेष आभार जताया.

इस अवसर पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड के चार धामों का विशेष महत्व है. बदरीनाथ धाम के कायाकल्प को लेकर तेल कंपनियां प्रतिबद्ध हैं. आने वाले समय में बदरीनाथ व केदारनाथ धामों की भांति ही उत्तरकाशी में गंगोत्री व यमुनोत्री धामों के लिए भी कुछ कार्य कराए जाएंगे.

पढ़ें- हिमालयन ग्लेशियर पिघलने से भारत में खाद्य संकट का खतरा : अध्ययन

उन्होंने कहा कि बदरीनाथ धाम को प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित किया जाएगा. यहां पर अलकनंदा नदी के तटबंध कार्यों के अलावा प्लाजा, जल निकासी, सीवेज, लाइट, सीसीटीवी, पिट सिस्टम, शौचालय, पुल आदि के सौंदर्यीकरण व पुनर्निर्माण के कार्य प्रस्तावित हैं.

प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि बदरीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है. यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है. पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे. प्रथम चरण में यहां पर अस्पताल के विस्तारीकरण का कार्य प्रस्तावित है. इसके अलावा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, तटबंधों में सुदृढ़ीकरण, लैंडस्केपिंग, भीड़ होने पर होल्डिंग एरिया और पुलों की रेट्रोफिटिंग आदि कार्य होने हैं.

देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में गुरुवार को श्री बदरीनाथ उत्थान ट्रस्ट व तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के बीच करार किया गया. इस करार का मकसद बदरीनाथ धाम को स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित करना है.

श्री बदरीनाथ धाम को एक स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से गुरुवार को महत्वपूर्ण कदम उठाया गया. इसके तहत श्री बदरीनाथ उत्थान ट्रस्ट और तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के बीच 100 करोड़ के कामों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये. समझौता पत्र पर पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से सचिव तनु कपूर और उत्तराखंड की तरफ से पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने हस्ताक्षर किए.

सचिवालय में वर्चुअल रूप से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में साल 2013 में आई आपदा के बाद पुनर्निर्माण के कार्यों को शुरू किया गया था, जो अब अपने अंतिम चरणों में हैं. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बदरीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया है. बदरीनाथ धाम में आने वाले 100 सालों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास कुल 85 हेक्टेयर भूमि में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा.

पढ़ें- केदारनाथ धाम की व्यवस्थाओं का जायजा लेने देवस्थानम बोर्ड का दल रवाना

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि बदरीनाथ धाम में यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. इसी के साथ यहां पर व्यास गुफा, गणेश गुफा व चरण पादुका आदि का भी पुनर्विकास किया जाना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बदरीनाथ धाम के विकास में तेल कंपनियों का योगदान सराहनीय है. राज्य सरकार होमस्टे को बढ़ावा देने पर ज्यादा फोकस कर रही है. ताकि श्रद्धालुओं को यहां आने पर सस्ती सुविधाएं उपलब्ध हो सकें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी तीन सालों में बदरीनाथ धाम के कायाकल्प के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने बदरीनाथ धाम में किये जा रहे कार्यों के लिए विशेष तौर पर प्रधानमंत्री व पेट्रोलियम मंत्री का विशेष आभार जताया.

इस अवसर पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड के चार धामों का विशेष महत्व है. बदरीनाथ धाम के कायाकल्प को लेकर तेल कंपनियां प्रतिबद्ध हैं. आने वाले समय में बदरीनाथ व केदारनाथ धामों की भांति ही उत्तरकाशी में गंगोत्री व यमुनोत्री धामों के लिए भी कुछ कार्य कराए जाएंगे.

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उन्होंने कहा कि बदरीनाथ धाम को प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप स्मार्ट स्प्रिचुअल टाउन के रूप में विकसित किया जाएगा. यहां पर अलकनंदा नदी के तटबंध कार्यों के अलावा प्लाजा, जल निकासी, सीवेज, लाइट, सीसीटीवी, पिट सिस्टम, शौचालय, पुल आदि के सौंदर्यीकरण व पुनर्निर्माण के कार्य प्रस्तावित हैं.

प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि बदरीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है. यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है. पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे. प्रथम चरण में यहां पर अस्पताल के विस्तारीकरण का कार्य प्रस्तावित है. इसके अलावा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, तटबंधों में सुदृढ़ीकरण, लैंडस्केपिंग, भीड़ होने पर होल्डिंग एरिया और पुलों की रेट्रोफिटिंग आदि कार्य होने हैं.

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