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उत्तराखंडः फूलों से सजा बदरी विशाल का दरबार, आज शाम 5.13 बजे बंद होंगे धाम के कपाट

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Published : Nov 16, 2019, 6:18 PM IST

Updated : Nov 17, 2019, 9:32 AM IST

चारधाम में तीनों धाम के कपाट बंद होने के बाद बदरी धाम के कपाट रविवार यानी 17 नवंबर को कर्क लग्न में शाम 5 बजकर 13 मिनट पर बंद हो जाएंगे. कपाट बंद होने के लिए पंच पूजा 13 नवंबर से शुरू हो गई थी.

कर्क लग्न में बंद होंगे बदरीनाथ के कपाट.

देहरादून/चमोली: चारधाम में शामिल बदरी धाम के कपाट रविवार 17 नवंबर को कर्क लग्न में शाम 5 बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिये बंद हो जाएंगे. कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ मंदिर को भव्यरूप से फूलों से सजाया गया है. धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत पंच पूजायें 13 नवंबर से शुरू हो गयी थीं. बता दें कि 10 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे.

विजयदशमी पर्व पर बदरीनाथ धाम के परिक्रमा मंडप में पंचांग गणना के बाद आचार्य ब्राह्मणों की उपस्थिति में बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की थी.

फूलों से सजा बदरी विशाल का दरबार.

पंच पूजायें-

  • 13 नवंबर को प्रातः श्री गणेश जी की पूजा आराधना एवं देर शाम को भगवान गणेश जी के कपाट बंद हुए.
  • 14 नवंबर को मंदिर में भोग लगने के पश्चात दिन में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा पूजा-अर्चना के बाद भगवान आदि केदारेश्वर को अन्नकूट अर्थात पके चावलों का भोग चढ़ाया गया. आरती और दीप प्रज्वलन के बाद दिन में 2 बजे आदिकेदारेश्वर एवं आदि गुरू शंकराचार्य मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये बंद हुए.
  • 15 नवंबर वेदों एवं धार्मिक पुस्तकों की पूजा के बाद देर शाम से श्री बद्रीनाथ धाम में वेद ऋचाओं का पाठ बंद कर दिया गया.
  • 16 नवंबर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा भगवान बदरीविशाल को भोग लगाने के बाद पूजा-अर्चना कर मां लक्ष्मी को न्यौता दिया गया.
  • 17 नवंबर प्रात:काल भगवान का श्रृंगार एवं रावल जी द्वारा स्त्री भेष धारण कर मां लक्ष्मी को भगवान बदरी विशाल के सानिध्य में विराजमान कर दिया जायेगा.
  • अपराह्न पश्चात भगवान बदरी विशाल को घृतकंबल ओढ़ाने सहित रावल जी द्वारा कपाट बंद करने की प्रक्रिया के साथ शाम 5 बजकर 13 मिनट पर भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये जायेंगे.
  • 18 नवंबर श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी का पांडुकेश्वर तथा आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी का नृसिंह मंदिर में प्रस्थान एवं रात्रि विश्राम योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में होगा.
  • 19 नवंबर को आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल जी का पांडुकेश्वर से नृसिंह मंदिर जोशीमठ आगमन होगा.

ये भी पढ़ें: अलकनंदा-मंदाकिनी के संगम पर चल रही पांडव लीला, बाणों का कौथिग बना आकर्षण

कपाट बंद होने से पहले मंदिर को भव्यरूप से सजाया गया है. गौर कि साल 2019 यात्रा सीजन में अबतक के सभी रिकॉर्ड को तोड़ते हुये बदरीनाथ मंदिर में 15 नवंबर तक कुल 11 लाख 80 हजार 420 श्रद्धालुओं ने दर्शन किये हैं. कपाट बंद होने तक आंकड़ा और बढ़ेगा. बदरीनाथ से पहले बाकी तीनों धामों के कपाट बंद हो चुके हैं. 29 अक्टूबर को केदारनाथ के कपाट बंद होने तक कुल 10 लाख 21 यात्रियों ने दर्शन किये थे. यमुनोत्री धाम के कपाट भी 29 अक्टूबर भैयादूज पर बंद किये गए थे. यमुना मैय्या के धाम में इस वर्ष कुल 4 लाख 65 हजार 534 श्रद्धालुओं ने दर्शन किये. वहीं, गंगोत्री धाम के कपाट दीपावली के अगले दिन 28 अक्तूबर को अन्नकूट पर्व पर बंद किये गए थे. गंगोत्री धाम में 5 लाख 30 हजार 334 यात्री पहुंचे थे.

देहरादून/चमोली: चारधाम में शामिल बदरी धाम के कपाट रविवार 17 नवंबर को कर्क लग्न में शाम 5 बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिये बंद हो जाएंगे. कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ मंदिर को भव्यरूप से फूलों से सजाया गया है. धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत पंच पूजायें 13 नवंबर से शुरू हो गयी थीं. बता दें कि 10 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे.

विजयदशमी पर्व पर बदरीनाथ धाम के परिक्रमा मंडप में पंचांग गणना के बाद आचार्य ब्राह्मणों की उपस्थिति में बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की थी.

फूलों से सजा बदरी विशाल का दरबार.

पंच पूजायें-

  • 13 नवंबर को प्रातः श्री गणेश जी की पूजा आराधना एवं देर शाम को भगवान गणेश जी के कपाट बंद हुए.
  • 14 नवंबर को मंदिर में भोग लगने के पश्चात दिन में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा पूजा-अर्चना के बाद भगवान आदि केदारेश्वर को अन्नकूट अर्थात पके चावलों का भोग चढ़ाया गया. आरती और दीप प्रज्वलन के बाद दिन में 2 बजे आदिकेदारेश्वर एवं आदि गुरू शंकराचार्य मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये बंद हुए.
  • 15 नवंबर वेदों एवं धार्मिक पुस्तकों की पूजा के बाद देर शाम से श्री बद्रीनाथ धाम में वेद ऋचाओं का पाठ बंद कर दिया गया.
  • 16 नवंबर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा भगवान बदरीविशाल को भोग लगाने के बाद पूजा-अर्चना कर मां लक्ष्मी को न्यौता दिया गया.
  • 17 नवंबर प्रात:काल भगवान का श्रृंगार एवं रावल जी द्वारा स्त्री भेष धारण कर मां लक्ष्मी को भगवान बदरी विशाल के सानिध्य में विराजमान कर दिया जायेगा.
  • अपराह्न पश्चात भगवान बदरी विशाल को घृतकंबल ओढ़ाने सहित रावल जी द्वारा कपाट बंद करने की प्रक्रिया के साथ शाम 5 बजकर 13 मिनट पर भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये जायेंगे.
  • 18 नवंबर श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी का पांडुकेश्वर तथा आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी का नृसिंह मंदिर में प्रस्थान एवं रात्रि विश्राम योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में होगा.
  • 19 नवंबर को आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल जी का पांडुकेश्वर से नृसिंह मंदिर जोशीमठ आगमन होगा.

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कपाट बंद होने से पहले मंदिर को भव्यरूप से सजाया गया है. गौर कि साल 2019 यात्रा सीजन में अबतक के सभी रिकॉर्ड को तोड़ते हुये बदरीनाथ मंदिर में 15 नवंबर तक कुल 11 लाख 80 हजार 420 श्रद्धालुओं ने दर्शन किये हैं. कपाट बंद होने तक आंकड़ा और बढ़ेगा. बदरीनाथ से पहले बाकी तीनों धामों के कपाट बंद हो चुके हैं. 29 अक्टूबर को केदारनाथ के कपाट बंद होने तक कुल 10 लाख 21 यात्रियों ने दर्शन किये थे. यमुनोत्री धाम के कपाट भी 29 अक्टूबर भैयादूज पर बंद किये गए थे. यमुना मैय्या के धाम में इस वर्ष कुल 4 लाख 65 हजार 534 श्रद्धालुओं ने दर्शन किये. वहीं, गंगोत्री धाम के कपाट दीपावली के अगले दिन 28 अक्तूबर को अन्नकूट पर्व पर बंद किये गए थे. गंगोत्री धाम में 5 लाख 30 हजार 334 यात्री पहुंचे थे.

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Last Updated : Nov 17, 2019, 9:32 AM IST
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