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पहली बार सेना के बैंड के साथ रवाना हुई बाबा रुद्रनाथ की डोली, 20 मई को ब्रह्म मुहूर्त में खुलेंगे कपाट

पंच केदारों में एक बाबा रुद्रनाथ धाम के कपाट 20 मई को ब्रह्म मुहूर्त में खोले जाएंगे. आज 17 मई को बाबा रुद्रनाथ की डोली शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर से कैलाश के लिए रवाना हुई.

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Published : May 17, 2023, 3:36 PM IST

Updated : May 17, 2023, 3:47 PM IST

पहली बार सेना के बैंड के साथ रवाना हुई बाबा रुद्रनाथ को डोली

चमोली: चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की डोली आज बुधवार 17 मई को अपने शीतकालीन गद्दी स्थल गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर से कैलाश के लिए रवाना हो गई. श्रद्धालुओं और भारतीय सेना के बैंड बाजों की मधुर ध्वनि के बीच भगवान रुद्रनाथ अपने ग्रीष्मकालीन प्रवास कैलाश को रवाना हुए. हिमालय के मखमली बुग्यालों के मध्य स्थित पंच केदार में शामिल भगवान रुद्रनाथ के कपाट 20 मई को ब्रह्म मुहूर्त में खुलेंगे.

इस दौरान हंस कल्चरल सेंटर ने तीन दिवसीय भंडारे का भी आयोजन किया. आभूषण और फूलों से सजी चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की उत्सव डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ रवाना हुई. पहली बार स्थानीय लोगों की पहल पर सेना के बैंड की मधुर ध्वनि के बीच भगवान रुद्रनाथ की डोली की विदाई की गई.
पढ़ें- Hemkund Sahib Yatra: ऋषिकेश से रवाना हुआ तीर्थयात्रियों का पहला जत्था, सीएम धामी ने दिखाई हरी झंडी

सैकड़ों की संख्या में श्रद्वालु उत्सव डोली के साथ रुद्रनाथ तक गए. दो दिनों की कठिन पैदल यात्रा में उत्सव डोली पहले दिन ल्वींठी बुग्याल और अगले दिन 18 मई को रुद्रनाथ पहुंचेगी. भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 20 मई को पौराणिक राीति रिवाजों और परंपराओं के बीच ग्रीष्मकाल के लिए श्रद्वालुओं के दर्शनों को खोले जाएंगे.

बता दें कि शीतकाल के दौरान भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद भगवान रुद्रनाथ जी की पूजा भगवान के शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ में की जाती है. चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ जी में भगवान शिव के मुख दर्शन होते हैं.
पढ़ें- 200 साल की होने जा रही 'पहाड़ों की रानी', सेलिब्रेशन का काउंटडाउन आज से शुरू

बता दें कि भारत में ये इकलौता मंदिर है, जहां भगवान शिव के मुख की पूजा होती है. बताया जाता है कि एकानन के रूप में रुद्रनाथ, चतुरानन के रूप में पशुपतिनाथ नेपाल और पंचानन विग्रह के रूप में इंडोनेशिया में भगवान शिव के मुखबिंदु यानी मुख के दर्शन होते हैं. भगवान रुद्रनाथ की यात्रा गोपेश्वर के पास सगर गांव से शुरू होती है. शीतकाल में जब भगवान रुद्रनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं, तब उनकी पूजा गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में होती है.

कैसे पहुंचें रुद्रनाथ मंदिर: देश के किसी भी कौने से यदि आप रुद्रनाथ मंदिर आना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको ऋषिकेश आना होगा. ऋषिकेश तक सड़क और रेल मार्ग दोनों के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं. यदि आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं तो ऋषिकेश के सबसे पास देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट है, जहां से ऋषिकेश की दूरी करीब 30 किमी है. ऋषिकेश से आपको चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर का रुख करना होगा, जो ऋषिकेश से करीब 212 किमी है. इसके बाद आपको गोपेश्वर के पास सगर गांव से रुद्रनाथ के लिए 22 किमी का लंबा ट्रेक करना पड़ेगा.

पहली बार सेना के बैंड के साथ रवाना हुई बाबा रुद्रनाथ को डोली

चमोली: चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की डोली आज बुधवार 17 मई को अपने शीतकालीन गद्दी स्थल गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर से कैलाश के लिए रवाना हो गई. श्रद्धालुओं और भारतीय सेना के बैंड बाजों की मधुर ध्वनि के बीच भगवान रुद्रनाथ अपने ग्रीष्मकालीन प्रवास कैलाश को रवाना हुए. हिमालय के मखमली बुग्यालों के मध्य स्थित पंच केदार में शामिल भगवान रुद्रनाथ के कपाट 20 मई को ब्रह्म मुहूर्त में खुलेंगे.

इस दौरान हंस कल्चरल सेंटर ने तीन दिवसीय भंडारे का भी आयोजन किया. आभूषण और फूलों से सजी चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की उत्सव डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ रवाना हुई. पहली बार स्थानीय लोगों की पहल पर सेना के बैंड की मधुर ध्वनि के बीच भगवान रुद्रनाथ की डोली की विदाई की गई.
पढ़ें- Hemkund Sahib Yatra: ऋषिकेश से रवाना हुआ तीर्थयात्रियों का पहला जत्था, सीएम धामी ने दिखाई हरी झंडी

सैकड़ों की संख्या में श्रद्वालु उत्सव डोली के साथ रुद्रनाथ तक गए. दो दिनों की कठिन पैदल यात्रा में उत्सव डोली पहले दिन ल्वींठी बुग्याल और अगले दिन 18 मई को रुद्रनाथ पहुंचेगी. भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 20 मई को पौराणिक राीति रिवाजों और परंपराओं के बीच ग्रीष्मकाल के लिए श्रद्वालुओं के दर्शनों को खोले जाएंगे.

बता दें कि शीतकाल के दौरान भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद भगवान रुद्रनाथ जी की पूजा भगवान के शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ में की जाती है. चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ जी में भगवान शिव के मुख दर्शन होते हैं.
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बता दें कि भारत में ये इकलौता मंदिर है, जहां भगवान शिव के मुख की पूजा होती है. बताया जाता है कि एकानन के रूप में रुद्रनाथ, चतुरानन के रूप में पशुपतिनाथ नेपाल और पंचानन विग्रह के रूप में इंडोनेशिया में भगवान शिव के मुखबिंदु यानी मुख के दर्शन होते हैं. भगवान रुद्रनाथ की यात्रा गोपेश्वर के पास सगर गांव से शुरू होती है. शीतकाल में जब भगवान रुद्रनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं, तब उनकी पूजा गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में होती है.

कैसे पहुंचें रुद्रनाथ मंदिर: देश के किसी भी कौने से यदि आप रुद्रनाथ मंदिर आना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको ऋषिकेश आना होगा. ऋषिकेश तक सड़क और रेल मार्ग दोनों के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं. यदि आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं तो ऋषिकेश के सबसे पास देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट है, जहां से ऋषिकेश की दूरी करीब 30 किमी है. ऋषिकेश से आपको चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर का रुख करना होगा, जो ऋषिकेश से करीब 212 किमी है. इसके बाद आपको गोपेश्वर के पास सगर गांव से रुद्रनाथ के लिए 22 किमी का लंबा ट्रेक करना पड़ेगा.

Last Updated : May 17, 2023, 3:47 PM IST
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