थरालीः पिंडर घाटी में अवैध खनन का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. माफिया पिंडर नदी में बेखौफ खनन के कारोबार को अंजाम दे रहे हैं. इतना ही नहीं उन्हें पुलिस प्रशासन तक का खौफ नहीं है. जबकि, प्रशासन भी लंबे समय से सक्रिय खनन माफिया पर शिकंजा कसने में बौना साबित हो रहा है. वहीं, लगातार शिकायत मिलने के बाद तहसील प्रशासन की नींद टूटी है. टीम ने कार्रवाई करते हुए अवैध खनन से भरे दो ट्रकों को सीज किया है.
बता दें कि, बीते तीन सालों से पिंडर नदी में खनन पर रोक लगाई गई है. पहले तो खनन माफिया रात में खनन करते थे, लेकिन अब दिनदहाड़े ही धड़ल्ले से खनन कर रहे हैं. इतना ही नहीं खनन थराली-ग्वालदम-कर्णप्रयाग मोटर मार्ग से लगे क्षेत्रों में किया जा रहा है. स्थानीय लोग मामले को लेकर कई बार शासन प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं. जबकि, अवैध खनन को लेकर कई बार मीडिया ने बड़े खुलासे भी किए, लेकिन प्रशासन ने कोई बड़ी कार्रवाई अबतक नहीं की.
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स्थानीय लोगों का कहना है कि माफिया खनन सामग्री को स्थानीय क्रशर में पहुंचा रहे हैं. जहां पर वे महंगे दामों में भी बेच रहे हैं. डेढ़ घन मीटर का मूल्य ₹5000, 5 घन मीटर का मूल्य ₹12000 और 10 घन मीटर का मूल्य ₹21000 तक वसूल रहे हैं. आरोप लगाया कि माफिया अवैध खनन कार्य को जारी रखने के लिए तहसील प्रशासन पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं.
उधर, लगातार शिकायत मिलने के बाद तहसील प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कुलसारी के पास अवैध खनन के साथ दो ट्रक को सीज किया है. थराली के उप जिलाधिकारी किशन सिंह नेगी का कहना है कि आरबीएम से भरे इन ट्रकों के पास सामग्री को ले जाने के लिए निर्धारित रवन्ने नहीं थे. जिस कारण उन्हें सीज किया गया है. उधर, तहसील प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद खनन माफिया में हड़कंप मचा हुआ है.
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बहरहाल, ऐसे में सवाल उठना भी लाजिमी है कि जब तीन सालों से पिंडर नदी में खनन के पट्टे बंद हैं तो यहां स्वीकृत भंडारों में खनन सामग्री कहां से आई है? खनन के लिए रवन्नों का इस्तेमाल हो भी रहा है तो पिंडर नदी के सीने को चीरा जा रहा है. जिसकी तस्दीक नदी के किनारे पर बने बड़े-बड़े गड्ढे दे रहे हैं. जो इस बात को भी पुख्ता करते हैं कि पिंडर नदी में खनन माफिया का राज बेखौफ जारी है.