देहरादून: लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के बाद बीजेपी के केंद्रीय कैबिनेट के लिए देश भर के संसादों में उम्मीदों की बयार है. देश के अलग-अलग राज्यों से कैबिनेट के लिए मोदी कैबिनेट ने भी एक्ससाइज शुरू कर दी है. वहीं, मोदी कैबिनेट से उत्तराखंड के हिस्से में क्या आयेगा. इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं. तो आइए एक नजर डालते हैं उत्तराखंड से जीते सासंदो के मोदी कैबिनेट में शामिल होने के सभी समीकरणों पर.
लोकसभा चुनावों में बीजेपी की प्रचंड बहुमत की जीत के बाद पूरे देश में तमाम पॉलिटिकल डेवलपमेंट होने शुरू हो चुके हैं. उत्तराखंड की बात करें तो यहां लोकसभा की पांचों सीट पर बीजेपी ने बम्पर जीत हासिल की है. जिसके बाद अब जीतकर आये सांसदों में किसे मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी, इसकी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. उत्तराखंड की पांचों सीट पर अगर नजर दौड़ाए तो उत्तराखंड से मोदी कैबिनेट का तोहफा किसे मिलेगा, इसे लेकर अभी से सियासी गलियारों में सवाल तैरने लगे हैं. पांचों सीटों पर एक सरसरी नजर दौड़ाएं तो कुछ इस तरह के समीकरण निकलकर सामने आ रहे हैं.
टिहरी लोकसभा सीट: मालाराज्य लक्ष्मी
टिहरी सीट से दूसरी बार संसद में पहुंची माला राज्य लक्ष्मी के लिए टिहरी सीट पारम्परिक सीट है. विरासत के रूप में मिली टिहरी सीट माला राज्य लक्ष्मी के लिए अस्तित्व का सवाल है. बात अगर मंत्री पद की करें तो इसके लिए माला राज्य लक्ष्मी में इतनी रुचि देखने को नहीं मिलती है. इसके अलावा देश में लीडरों की लम्बी फेहरिस्त में रानी का नम्बर आना बहुत मुश्किल दिखता है. बात अगर फैक्टर की करें तो महिला फैक्टर को देखते हुए भी परफॉर्मेंस के मामले में रानी का नम्बर दूर-दूर तक नजर नहीं आता है.
गढ़वाल लोकसभा सीट: तीरथ सिंह रावत
गढ़वाल सीट से पहली बार जीत कर संसद पहुंचे तीरथ सिंह रावत के लिए भले ही उनके समर्थकों में केंद्रीय मंत्रीमडल की आस हो, लेकिन फिर भी उनका मोदी कैबिनेट में शामिल होना मुश्किल नजर आता है. पहली बार सांसद बने तीरथ को भले ही संगठन का अच्छा खासा अनुभव हो. लेकिन बीजेपी में बड़े नेताओं की फेहरिस्त और प्रचंड बहुमत के कारण मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले चेहरों की बढ़ी हुई संख्या के चलते भी तीरथ सिंह का केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल होना मुश्किल नजर आता है. वहीं, अगर बात ठाकुर फैक्टर की करें तो प्रदेश में मुख्यमंत्री ठाकुर मूल से हैं, तो ठाकुर मूल से ही मंत्री पद मिलना वैसे भी थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है. जो कि तीरथ की रही सही उम्मीदों पर भी पानी फेर सकता है.
आल्मोड़ा लोकसभा सीट: अजय टम्टा
अल्मोड़ा लोकसभा सीट से अजय टम्टा एक बार फिर जीत कर संसद पहुंचे हैं. अजय टम्टा पहले से ही मोदी कैबिनेट में कपड़ा राज्यमंत्री थे.अगर उत्तराखंड में भाजपा की जीत पर नजर दौड़ाए तो उत्तराखंड में सबसे कम अंतर से अजय टम्टा जीत कर आये हैं. बतौर केन्द्रीय राज्य कपड़ा मंत्री भी उनकी परफॉर्मेंस कुछ खास नहीं रही है, लेकिन इसके बावजूद भी अगर मोदी कैबिनेट उत्तराखंड के लिए दलित चेहरा तलाशती है. तो रेस में टम्टा सबसे आगे नजर आते हैं.
नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट: अजय भट्ट
पिछले कई सालों से उत्तराखंड में बतौर प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कई चुनाव में जीत के हीरो रहे अजय भट्ट ने अब संसद में नैनीताल लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करेंगे. लोकसभा चुनावों में अजय भट्ट की जीत की सबसे खास बात ये रही कि उन्होंने सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की है. अब बात अगर केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल होने की करें, तो सांसद के तौर पर भट्ट की पहली पारी उनकी दावेदारी को कहीं न कहीं कम करती है. वहीं, फैक्टर की बात करें तो ब्राह्मण मूल फैक्टर उत्तराखंड के लिए जरुर महत्वपूर्ण हो सकता है और अगर मोदी की नई कैबिनेट में उत्तराखंड के लिए ब्राह्मण फैक्टर चलता है तो फिर अजय भट्ट के लिए एक मजबूत चुनौती के रूप में अनिल बलूनी सामने खड़े हैं.
हरिद्वार सीट: रमेश पोखरियाल निशंक
रमेश पोखरियाल निशंक की संसद में ये दूसरी पारी है. जिससे केंद्रीय मंत्रिमण्डल में उनकी मजबूत दावेदारी मानी जा रही है. पहले भी मोदी कैबिनेट में निशंक की दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन पिछली बार उन्हें मौका नहीं मिल पाया. जिसके बाद इस बार भी कयास लगाये जा रहे थे अगर निशंक जीतते है तो इस बार उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिलना तय है. लेकिन निशंक के जीत के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो शुरुआती रुझानों में निशंक पिछड़ते दिखे. शाम तक आये परिणामों के बाद ही निशंक की जीत साफ हो पाई. निशंक की जीत का अंतर भी अन्य सांसदों की तुलना में कम रहा. जो कि कहीं न कहीं उनके केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की राह में रोड़ा साबित हो सकता है. बहरहाल, निशंक से जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने को लेकर सवाल किया गया तो उनकी बातों से साफ जाहिर हुआ की वे मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए बेकरार हैं. हालांकि, निशंक ने यह भी माना की ये उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. लेकिन साथ में उन्होंने अपनी उपलब्धियों को भी गिनाई.
तो क्या अनिल बलूनी को मिलेगी मोदी कैबिनेट में जगह ?
अब अगर ओवरऑल की बात करें तो उत्तराखंड के लिए केंद्रीय नेतृत्व के सबसे करीबी और सबसे पहली पंसद अनिल बलूनी ही हैं. यह कहना इस मायने में भी जरुरी है क्योंकि पूरे चुनाव कैंपेन में अनिल बलूनी ने मीडिया मेनेजमेंट को बखूबी निभाया है. वहीं, इसके अलावा उत्तराखंड में बतौर राज्यसभा सांसद भी अनिल बलूनी की परफोर्मेंस में किसी से छुपी नहीं है. ऐसे में अनिल बलूनी केंद्रीय नेतृत्व की पहली पंसद होंगे, इससे बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता है. वहीं, बात अगर ब्राह्मण फैक्टर की करें तो उत्तराखंड के लिए ब्राह्मण फैक्टर सबसे ज्यादा प्रबल है. ऐसे में उत्तराखंड के लिए अगर ब्राह्मण फैक्टर ने काम किया तो अनिल बलूनी मोदी कैबिनेट में रेगुलर मंत्री बन सकते हैं.
उत्तराखंड भाजपा की बात करें तो भाजपा के तमाम नेताओं को उम्मीद है कि इस बार जरूर उत्तराखंड के किसी न किसी सांसद को मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक खजान दास का कहना है कि उत्तराखंड के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष लगाव है. ऐसे में निश्चित तौर से उत्तराखंड के सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी. वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विरेंद्र बिष्ट का कहना है कि उत्तराखंड के लोगों को और भाजपा संगठन को पूरी तरह से उम्मीद है कि इस बार मोदी कैबिनेट में उत्तराखंड के सांसदों को जगह मिलेगी.