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यूं ही कामयाबी के शिखर पर नहीं पहुंचे निशंक, बेटियों ने निभाई बड़ी भागीदारी

राजनीति के उंचे पायदान पर पहुंचने वाले डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के जीवन में उनकी बेटियों की अहम भागीदारी रही है. निशंक की बेटियां हर कदम पर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही.

'निशंक' की कामयाबी में भागीदार बनी बेटियां.
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Published : May 31, 2019, 10:56 PM IST

Updated : May 31, 2019, 11:44 PM IST

देहरादून: मोदी कैबिनेट में जगह पाने वाले हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक संघर्ष से गुजरकर कामयाबी के शिखर तक पहुंचे हैं. उनकी कामयाबी का ये सफर बेहद कठिन चुनौतियों से भरा रहा. राजनीति के पहले पायदान से लेकर केंद्रीय मंत्री तक के दौर में निशंक को कई मुश्किलों के दौर झेलने पड़े. हालांकि, इस दौरान निशंक ने कभी हिम्मत नहीं हारी. इसकी एक बड़ी वजह उनकी बेटियां भी रही. जो हर बार उनकी ताकत बनकर उनके साथ खड़ी दिखाई दी. बात चाहे पारिवारिक परेशानियों से जुड़ी हो या राजनीति चुनौतियों से हर जगह निशंक की बेटियों ने मोर्चा संभालकर उन्हें पहाड़ जैसे ऊंचा बनाए रखा.

'निशंक' की कामयाबी में भागीदार बनी बेटियां.

पढ़ेंमोदी कैबिनेट में निशंक को मिली अहम जिम्मेदारी, मानव संसाधन विकास मंत्री का मिला पद

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का राजनीतिक सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा. एक शिक्षक, एक पत्रकार और फिर एक राजनेता बनने तक निशंक को ऐसी कई सीढ़ियां पर चढ़नी पड़ी, जहां पहुंचना बेहद कठिन था. हालांकि, इस सबके बाद भी डॉ. निशंक विधायक बनकर उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे. इसके बाद उनका राजनीतिक सफर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री और फिर मुख्यमंत्री तक पहुंचा. लेकिन 2 साल में ही राजनीतिक और पारिवारिक परेशानियों ने उन्हें घेर लिया.

पढ़ें- कुपोषण पर सरकार की पहल, आंगनबाड़ी में बच्चों को मिलेगा विटामिन युक्त दूध

साल 2011 में भ्रष्टाचार के आरोप के चलते उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा. 11 नवंबर 2012 को उनकी जीवन संगिनी उनकी पत्नी कुसुम कांत पोखरियाल भी उन्हें छोड़ कर चली गई. यह बहुत कठिन पल था जब रमेश पोखरियाल निशंक पूरी तरह से टूट गए, लेकिन फिर उन्हें बेटियों का ऐसा साथ मिला की वह न केवल खुद को संभाले बल्कि, राजनीति में बैकफुट पर जाने के बावजूद भी एक बार फिर उन्होंने ऊंचाइयों को छुआ.

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की तीन बेटियां हैं. जिसमें सबसे बड़ी आरुषि निशंक, दूसरी श्रेयसी निशंक और सबसे छोटी विदुषी हैं. यूं तो मां के जाने के बाद तीनों बेटियों ने ही अपने पिता का न केवल ध्यान रखा बल्कि, दु:ख की घड़ी में उनका सहारा भी बनी.

nishank daughter
कैप्टन श्रेयसी निशंक.

डॉ. निशंक की सबसे बड़ी बेटी आरुषि निशंक ने अपने पिता को पारिवारिक परेशानियों से उठ खड़ा होने के साथ राजनीतिक रूप से भी पूरी तरह से सहयोग किया. 2011 में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले डॉ. निशंक राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे लेकिन, कोई अहम जिम्मेदारी न मिलने के चलते निशंक को राजनीतिक रूप से बैकफुट पर ही देखा गया.

पढ़ें-पूरा हुआ हरिद्वार सांसद का सपना, बोले- 'मैं रमेश पोखरियाल निशंक...ईश्वर की शपथ लेता हूं...'

इस दौरान उनकी बड़ी बेटी आरुषि निशंक ही थी जो लगातार अपने पिता को राजनीतिक रूप से सहयोग करती हुई दिखाई दी. चाहे बात चुनाव प्रचार-प्रसार में खुद को झोंकने की हो या फिर राजनीतिक रूप से विचार-विमर्श करने की. सभी जगह आरुषि अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाए खड़ी रही. आरुषि निशंक एक फिल्म निर्माता के साथ ही कथक नृत्यांगना और कवियत्री भी हैं. निशंक की दूसरी बेटी श्रेयसी सेना में कैप्टन हैं और मेडिकल फील्ड में सेना के लिए काम कर रही हैं.

देहरादून: मोदी कैबिनेट में जगह पाने वाले हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक संघर्ष से गुजरकर कामयाबी के शिखर तक पहुंचे हैं. उनकी कामयाबी का ये सफर बेहद कठिन चुनौतियों से भरा रहा. राजनीति के पहले पायदान से लेकर केंद्रीय मंत्री तक के दौर में निशंक को कई मुश्किलों के दौर झेलने पड़े. हालांकि, इस दौरान निशंक ने कभी हिम्मत नहीं हारी. इसकी एक बड़ी वजह उनकी बेटियां भी रही. जो हर बार उनकी ताकत बनकर उनके साथ खड़ी दिखाई दी. बात चाहे पारिवारिक परेशानियों से जुड़ी हो या राजनीति चुनौतियों से हर जगह निशंक की बेटियों ने मोर्चा संभालकर उन्हें पहाड़ जैसे ऊंचा बनाए रखा.

'निशंक' की कामयाबी में भागीदार बनी बेटियां.

पढ़ेंमोदी कैबिनेट में निशंक को मिली अहम जिम्मेदारी, मानव संसाधन विकास मंत्री का मिला पद

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का राजनीतिक सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा. एक शिक्षक, एक पत्रकार और फिर एक राजनेता बनने तक निशंक को ऐसी कई सीढ़ियां पर चढ़नी पड़ी, जहां पहुंचना बेहद कठिन था. हालांकि, इस सबके बाद भी डॉ. निशंक विधायक बनकर उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे. इसके बाद उनका राजनीतिक सफर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री और फिर मुख्यमंत्री तक पहुंचा. लेकिन 2 साल में ही राजनीतिक और पारिवारिक परेशानियों ने उन्हें घेर लिया.

पढ़ें- कुपोषण पर सरकार की पहल, आंगनबाड़ी में बच्चों को मिलेगा विटामिन युक्त दूध

साल 2011 में भ्रष्टाचार के आरोप के चलते उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा. 11 नवंबर 2012 को उनकी जीवन संगिनी उनकी पत्नी कुसुम कांत पोखरियाल भी उन्हें छोड़ कर चली गई. यह बहुत कठिन पल था जब रमेश पोखरियाल निशंक पूरी तरह से टूट गए, लेकिन फिर उन्हें बेटियों का ऐसा साथ मिला की वह न केवल खुद को संभाले बल्कि, राजनीति में बैकफुट पर जाने के बावजूद भी एक बार फिर उन्होंने ऊंचाइयों को छुआ.

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की तीन बेटियां हैं. जिसमें सबसे बड़ी आरुषि निशंक, दूसरी श्रेयसी निशंक और सबसे छोटी विदुषी हैं. यूं तो मां के जाने के बाद तीनों बेटियों ने ही अपने पिता का न केवल ध्यान रखा बल्कि, दु:ख की घड़ी में उनका सहारा भी बनी.

nishank daughter
कैप्टन श्रेयसी निशंक.

डॉ. निशंक की सबसे बड़ी बेटी आरुषि निशंक ने अपने पिता को पारिवारिक परेशानियों से उठ खड़ा होने के साथ राजनीतिक रूप से भी पूरी तरह से सहयोग किया. 2011 में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले डॉ. निशंक राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे लेकिन, कोई अहम जिम्मेदारी न मिलने के चलते निशंक को राजनीतिक रूप से बैकफुट पर ही देखा गया.

पढ़ें-पूरा हुआ हरिद्वार सांसद का सपना, बोले- 'मैं रमेश पोखरियाल निशंक...ईश्वर की शपथ लेता हूं...'

इस दौरान उनकी बड़ी बेटी आरुषि निशंक ही थी जो लगातार अपने पिता को राजनीतिक रूप से सहयोग करती हुई दिखाई दी. चाहे बात चुनाव प्रचार-प्रसार में खुद को झोंकने की हो या फिर राजनीतिक रूप से विचार-विमर्श करने की. सभी जगह आरुषि अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाए खड़ी रही. आरुषि निशंक एक फिल्म निर्माता के साथ ही कथक नृत्यांगना और कवियत्री भी हैं. निशंक की दूसरी बेटी श्रेयसी सेना में कैप्टन हैं और मेडिकल फील्ड में सेना के लिए काम कर रही हैं.

Intro:खबर से जुड़े कुछ विसुअल ftp पर भेजे गए हैं जबकि ptc live u से भेजी गई है। फोल्डर नाम-nishank daughter

केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाने वाले डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की ये कामयाबी बेहद कठिन चुनोतियों भरी रही...राजनीति शुरू करने से लेकर ऊंचाइयां पाने के बाद तक भी उन्हें कई मुश्किल दौर झेलने पड़े हालाकिं निशंक कभी हिम्मत हारते नही दिखाई दिए और न ही बेहद मुश्किल समय मे उनके चेहरे पर कभी कोई सिकन रही....इसकी एक बड़ी वजह उनकी बेटियां थी जो हर बार उनकी ताकत बनी...बात चाहे पारिवारिक परेशानियों से जुड़ी हो या राजनीति चुनौतियों से... हर जगह बेटियों ने मोर्चा संभालकर डॉ निशंक को पहाड़ जैसे ऊंचा बनाये रखा।


Body:डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का राजनीतिक सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा... एक शिक्षक, एक पत्रकार और फिर एक राजनेता तक पहुंचने के लिए निशंक को ऐसी कई सीढ़ियों को चढ़ना पड़ा जिसपर पैर रखना बेहद कठिन था। हालाकिं इस सब के बाद डॉ निशंक विधायक बनकर उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल तक अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे... इसके बाद उनका राजनीतिक सफर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री और फिर मुख्यमंत्री तक भी पहुंचा... लेकिन 2 साल में ही राजनीतिक और पारिवारिक परेशानियों ने उन्हें घेर लिया। 2011 में जहां उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा तो 11 नवंबर 2012 को उनकी जीवन संगिनी उनकी पत्नी कुसुम कांत पोखरियाल भी उन्हें छोड़ कर चली गई। यह वह कठिन पल था जब रमेश पोखरियाल निशंक पूरी तरह से टूट गए लेकिन फिर उन्हें बेटियों का ऐसा साथ मिला की वह न केवल खुद को संभाल पाए बल्कि राजनीति में बैकफुट पर जाने के बावजूद भी एक बार फिर ऊंचाइयों तक पहुंच सके।

डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की तीन बेटियां है जिसमें सबसे बड़ी आरुषि निशंक, दूसरी श्रेयसी निशंक और सबसे छोटी विदुषी है। यूं तो मां के जाने के बाद तीनों बेटियों ने ही अपने पिता का न केवल ध्यान रखा बल्कि उन्हें इस दुख के पलों में सहारा भी दिया। लेकिन डॉ निशंक की सबसे बड़ी बेटी आरुषि निशंक ने अपने पिता को पारिवारिक परेशानियों से उठ खड़ा होने के साथ राजनीतिक रूप से भी पूरी तरह से सहयोग किया। 2011 में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले डॉ निशंक राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे लेकिन कोई अहम जिम्मेदारी न मिलने के चलते निशंक को राजनीतिक रूप से बैकफुट पर ही देखा गया। इस दौरान उनकी बड़ी बेटी आरुषि निशंक ही थी जो लगातार अपने पिता को राजनीतिक रूप से सहयोग करती हुई दिखाई दी चाहे बात चुनाव प्रचार प्रसार में खुद को झोंकने की हो या राजनीतिक रूप से विचार-विमर्श करने की सभी जगह आरुषि ने अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाये रखा। आरुषि निशंक वैसे तो एक फिल्म निर्माता, कत्थक को पूरी दुनिया में ले जाने वाली एक नृत्यांगना और कवित्री भी हैं। लेकिन राजनीति में भी उन्होंने अपने पिता का पूरा साथ दिया है। उनकी देश दूसरी बेटी श्रेयसी सेना में कैप्टन है और मेडिकल फील्ड में सेना के लिए काम करती है।


Conclusion:
Last Updated : May 31, 2019, 11:44 PM IST
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