देहरादून: उत्तराखंड में शादी से लेकर भंडारा कराने वालों को अब टैक्स देना होगा. कूड़ा प्रबंधन के नाम से लिया जाने वाला यह टैक्स शादी के कार्यक्रमों, भंडारे के आयोजनों समेत उत्तराखंड में यात्रियों के रुकने को भी महंगा कर देगा. यही नहीं राज्य में काम कर रही बड़ी कंपनियों को भी अब निकायों की कूड़ा निस्तारण की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी. साथ ही प्रदेश में आने वाले यात्रियों को भी कूड़ा निस्तारण के लिए टैक्स देना होगा. सोमवार को पर्यावरण विभाग ने नगर निकायों के साथ मिलकर ये फैसला लिया है.
हाल में ही पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने प्लास्टिक के बुके देने पर अधिकारियों की फटकार लगाई थी. जिसके बाद सोमवार को पर्यावरण विभाग ने कूड़ा निस्तारण को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के तहत उत्तराखंड में वेस्ट मैनेजमेंट के लिए सभी लोगों से टैक्स लिया जाएगा. यह टैक्स उत्तराखंड में ठहरने वाले यात्रियों पर होटल और धर्मशालाओं द्वारा लगाया जाएगा. वहीं शादी समारोह करने पर वेडिंग प्वाइंट द्वारा इस टैक्स की वसूली की जाएगी. जबकि भंडारे के आयोजनों और प्याऊ लगाने पर नगर निकाय सीधे तौर पर आयोजनकर्ताओं से टैक्स वसूलेगा.
उत्तराखंड में वेस्ट मैनेजमेंट के नाम पर लगाए गए इस नए टैक्स का मकसद कूड़ा निस्तारण के क्षेत्र में बेहतर काम करना है. इसके तहत नगर निकाय होटलों धर्मशालाओं और वेडिंग प्वाइंट समेत भंडारा आयोजकों से वेस्ट मैनेजमेंट के तहत टैक्स वसूली करेगा. इस वसूली के जरिए कूड़ा प्रबंधन पर पैसा खर्च किया जाएगा.
इस नये टैक्स की खास बात यह है कि उत्तराखंड में मौजूद बड़ी कंपनियों को भी अब निकायों की जिम्मेदारी लेनी होगी. पर्यावरण विभाग ने फैसला लिया है कि संबंधित कंपनी द्वारा जितना प्लास्टिक राज्य में उत्पादों के साथ लाया जाएगा उतने ही प्लास्टिक के कूड़े के निस्तारण की जिम्मेदारी निकायों में कंपनी को दी जाएगी. यही नहीं नगर निकायों द्वारा इस निर्णय पर हीलाहवाली करने पर मुकदमे भी दर्ज किए जाएंगे.