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उत्तराखंड महिला मंच ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ खोला मोर्चा - उत्तराखंड न्यूज

सरकारी स्कूलों की बदहाली और प्राइवेट स्कूलों की लूट-खसोट को लेकर उत्तराखंड महिला मंच ने धरना दिया.

उत्तराखंड महिला मंच
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Published : May 13, 2019, 12:08 AM IST


देहरादूनः सूबे में सरकारी स्कूलों की बदहाली और प्राइवेट स्कूलों की लूट-खसोट को लेकर उत्तराखंड महिला मंच की कार्यकर्ताओं ने रविवार को गांधी पार्क के मुख्य गेट पर धरना प्रदर्शन किया. इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार से नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य गठन के बाद से अभीतक लगातार सरकार ने सरकारी स्कूलों के प्रति जो बेरुखी दिखाई है. उसके चलते सूबे में प्राइवेट स्कूलों में मनमानी और लूट खसोट को बढ़ावा मिला है.

सरकारी स्कूलों की बदहाली को लेकर उत्तराखंड महिला मंच ने धरना दिया.


उत्तराखंड महिला मंच की प्रमुख मांगें-

  • सभी प्राइवेट स्कूलों की सालाना फीस सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए.
  • सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य रूप से लागू होनी चाहिए.
  • प्रत्येक जिले में जांच कमेटी बनाई जाए जो समय-समय पर इन स्कूलों में जांच कर सके.
  • सुविधाओं के नाम पर विभिन्न मदों के अंतर्गत किए जाने वाले शुल्क को बंद किया जाना चाहिए.
  • सरकारी अध्यापकों की तरह इन स्कूलों की अध्यापकों की भर्ती भी शिक्षक पात्रता परीक्षा के आधार पर होनी चाहिए.
  • शिक्षा के अलावा अगर कोई अन्य सुविधा स्कूल देना चाहता है तो उसका बोझ अभिभावकों पर नहीं पड़ना चाहिए.
  • फीस प्रत्येक माह में ही ली जानी चाहिए ना कि 3 माह की एडवांस में.

उत्तराखंड महिला मंच की कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वृद्धि और एनुअल चार्जेस के रूप में अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है. कई सालों से लगातार निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं लेकिन, बावजूद इसके सरकार इन प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय अभिभावकों पर बोझ पर ही बोझ डाल रही है.


देहरादूनः सूबे में सरकारी स्कूलों की बदहाली और प्राइवेट स्कूलों की लूट-खसोट को लेकर उत्तराखंड महिला मंच की कार्यकर्ताओं ने रविवार को गांधी पार्क के मुख्य गेट पर धरना प्रदर्शन किया. इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार से नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य गठन के बाद से अभीतक लगातार सरकार ने सरकारी स्कूलों के प्रति जो बेरुखी दिखाई है. उसके चलते सूबे में प्राइवेट स्कूलों में मनमानी और लूट खसोट को बढ़ावा मिला है.

सरकारी स्कूलों की बदहाली को लेकर उत्तराखंड महिला मंच ने धरना दिया.


उत्तराखंड महिला मंच की प्रमुख मांगें-

  • सभी प्राइवेट स्कूलों की सालाना फीस सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए.
  • सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य रूप से लागू होनी चाहिए.
  • प्रत्येक जिले में जांच कमेटी बनाई जाए जो समय-समय पर इन स्कूलों में जांच कर सके.
  • सुविधाओं के नाम पर विभिन्न मदों के अंतर्गत किए जाने वाले शुल्क को बंद किया जाना चाहिए.
  • सरकारी अध्यापकों की तरह इन स्कूलों की अध्यापकों की भर्ती भी शिक्षक पात्रता परीक्षा के आधार पर होनी चाहिए.
  • शिक्षा के अलावा अगर कोई अन्य सुविधा स्कूल देना चाहता है तो उसका बोझ अभिभावकों पर नहीं पड़ना चाहिए.
  • फीस प्रत्येक माह में ही ली जानी चाहिए ना कि 3 माह की एडवांस में.

उत्तराखंड महिला मंच की कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वृद्धि और एनुअल चार्जेस के रूप में अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है. कई सालों से लगातार निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं लेकिन, बावजूद इसके सरकार इन प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय अभिभावकों पर बोझ पर ही बोझ डाल रही है.

Intro:सरकारी स्कूलों की बदहाली और प्राइवेट स्कूलों की लूटखसोट व मनमानी रोकने के लिए उत्तराखंड महिला मंच की कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क के मुख्य द्वार पर धरना दिया और प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।


Body:उत्तराखंड महिला मन से जुड़ी कार्यकर्ताओं ने सरकार पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य गठन के बाद से लेकर अभी तक निरंतर सरकारों ने खुद उसके द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों के प्रति जो बेरुखी अपनाई है उसी के कारण प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में लूट का सूट व मनमानी को बढ़ावा मिला है, मनमाने ढंग से फीस वृद्धि व एनुअल चार्जेस के रूप में अभिभावकों का निरंतर शोषण किया जा रहा है। बीते वर्षों से लगातार निजी स्कूलों की मनमानी पर बहस व ज्ञापन सौपे जा रहे हैं ,लेकिन उसके बावजूद इस साल भी सभी प्राइवेट स्कूलों ने अपने तरीके से अभिभावकों पर बोझ डाला है।

बाईट-निर्मला, महिला कार्यकर्ता,उत्तराखंड महिला मंच


Conclusion:उत्तराखंड महिला मंच की प्रमुख मांगे-

सभी प्राइवेट स्कूलों की सालाना फीस सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए
सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य रूप से लागू होनी चाहिए
प्रत्येक जिले में जांच कमेटी बनाई जाए जो समय-समय पर इन स्कूलों में जांच कर सके।
सुविधाओं के नाम पर विभिन्न मदों के अंतर्गत किए जाने वाले शुल्क को बंद किया जाना चाहिए।
सरकारी अध्यापकों की तरह इन स्कूलों की अध्यापकों की भर्ती भी शिक्षक पात्रता परीक्षा के आधार पर होनी चाहिए।
शिक्षा के अलावा अगर कोई अन्य सुविधा स्कूल देना चाहता है तो उसका बोझ अभिभावकों पर नहीं पड़ना चाहिए।
फीस प्रत्येक माह में ली जानी चाहिए ना कि 3 माह की एडवांस में ।
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