देहरादून: 11 अप्रैल को प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान किया गया. जिसके बाद 23 मई तक के लिए उम्मीदवारों की किस्मत पेटियों में कैद हो गई है. वहीं इस बार प्रदेश में लोकसभा चुनाव के मतदान के लिए निर्वाचन आयोग को ऐसे दो बूथ बनाने पड़े थे, जहां केवल 14-14 मतदाता ही थे. 11 अप्रैल को हुए मतदान में इन दो बूथों में से एक बूथ पर तो केवल 6 ही लोगों ने मतदान किया. वहीं बात अगर दूसरे बूथ की करें तो यहां केवल 11 लोगों ने मतदान किया. ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर निर्वाचन आयोग एक बूथ के निर्माण पर कितना खर्च करता है.
एक बूथ पर क्या-क्या व्यवस्थाएं की जाती हैं
इस बार लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर मतदान के लिए कुल 11229 पोलिंग बूथ बनाए गए थे. वहीं बात अगर एक पोलिंग बूथ की व्यवस्थाओं की करें तो एक बूथ पर तमाम व्यवस्थाएं की जाती हैं. जिनमें पीठासीन अधिकारी के साथ चार से पांच सहायक अधिकारी और सुरक्षा जवान शामिल होते हैं. इसके साथ ही बूथ पर बिजली, इंटरनेट, पानी, खाना, चुनाव सामग्री, अधिकारियों की सैलरी, ईवीएम-वीवीपैट खर्चा, ट्रांसपोर्टेशन के साथ ही सीसीटीवी कैमरे आदि के तमाम खर्चे आते हैं. अगर इन सभी खर्चों को जोड़ लिया जाए तो एक बूथ पर तकरीबन एक लाख तक का खर्च आ जाता है.
प्रदेश में सबसे कम मतदाताओं वाले बूथों की बात करें तो पौड़ी जिले के दो बूथ ऐसे हैं जहां सिर्फ 14-14 मतदाता ही थे. जिनमें यमकेश्वर विधानसभा में बने लालढांग बूथ पर 14 मतदाताओं में से सिर्फ 6 मतदाताओं ने ही मतदान किया. अगर ऐसे में बूथ पर होने वाले खर्चे को जोड़ा जाए तो इस बूथ पर एक मतदान के लिए निर्वाचन आयोग ने अंदाजन 16 से 17 हजार रुपए का खर्च किया.
वहीं दूसरे सबसे कम मतदाता वाले बूथ की बात करें तो कोटद्वार विधानसभा में बने ढिकाला बूथ पर कुल 14 मतदाताओं में से सिर्फ 11 मतदाताओं ने ही मतदान किया. अगर ऐसे में इस बूथ पर किये गये खर्चे की बात करें तो इसके लिए निर्वाचन आयोग ने एक मतदाता के लिए 9 हजार रुपए खर्च किये.
हालांकि ये दोनों बूथ प्रदेश के सबसे कम मतदाताओं वाले बूथ थे. जहां एक मत के लिए निर्वाचन आयोग को हजारों रुपए खर्च करने पड़े.