देहरादून: प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत प्रकाश पंत के जाने के सदमे से प्रदेश के राजनीतिक दल अभी तक उभर नहीं पाये हैं. यही कारण है कि आज भी पंत को याद करते हुए हर किसी की आंखे छलक जाती हैं. प्रकाश पंत की यादें आज भी सभी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. सोमवार को विधानसभा में शोक प्रस्ताव पर बोलते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह की आंखें छलक आईं. उन्होंने पंत के साथ बिताये पलों को साझा करते हुए उन्हें याद किया. वहीं इस मामले में विपक्ष भी सरकार के साथ खड़ा नजर आया. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने भी पंत से जुड़ी यादों को साझा करते हुए कहा कि पंत उनके भाई की तरह थे, जो उन्हें यूं ही छोड़ कर चले गये.
सोमवार को विधानसभा में प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के दिवंगत नेता प्रकाश पंत के आकस्मिक निधन पर शोक प्रस्ताव रखा गया. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पंत को याद करते हुए उनके साथ बिताये गये पलों को बयां किया. इस दौरान सीएम ने कहा कि पंत के जाने से प्रदेश को भारी क्षति हुई है. उन्होंने पंत को सरकार का संकटमोचक बताते हुए कहा कि पंत सदन से लेकर सरकार तक हर जगह कारगर साबित होते थे. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पंत के पास हर किसी समस्या का समाधान था जिसके कारण वे पार्टी के संकटमोचक थे.
सीएम ने कहा कि पंत संसदीय मामलों के बड़े जानकार थे. वह अपने सौम्य स्वभाव से जनता के चहेते नेता थे, लेकिन आज दुख है कि वो हमारे बीच नहीं है, राज्य हमेशा उनको याद रखेगा. आपको बता दें सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सदन के भीतर शोक प्रस्ताव पढ़ते हुए कई बार भावुक हुए और उनकी आंखों से आंसू भी छलक पड़े थे.
वहीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने भी प्रकाश पंत से जुड़ी यादों को सदन में साझा किया. उन्होंने कहा कि प्रकाश पंत उत्तराखंड विधानसभा के पहले अध्यक्ष बने, लेकिन इतने कम आयु और कम अनुभव के बाद भी प्रकाश पंत ने बहुत अच्छे से विधानसभा को चलाया. साथ ही कहा कि इस सदन से मेरा छोटा भाई चला गया जो कभी लगता नहीं था कि वह किसी पार्टी से है और अपना एक व्यक्ति चला गया जिससे सभी दुखी हैं.
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि वित्त मंत्री रहते हुए जब उन्होंने बजट पेश किया था, तब भी उन्होंने अनुभव के आधार पर उनसे सलाह ली थी और पूछा था कि बेहतर बजट कैसे बनाया जा सकता है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज उनके ना रहने से सदन को एक कमी खल रही है.
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि कार्य मंत्रणा की बैठक में जो सौगंध को लेकर बिजनेस तय किया गया है, उसमें ही सरकार को सत्र की कार्यवाही आगे बढ़ानी चाहिए, क्योंकि जनहित के बहुत से प्रश्न हैं, जिनका पूछा जाना जरूरी है. साथ ही कहा कि यह सभी प्रश्न जनता से जुड़े हुए हैं और कोऑपरेटिव की परीक्षाएं राज्य से बाहर कराना, 108 के कर्मचारियों की सेवा बहाली अब तक ना होना और कर्मचारियों की तय समय पर सैलरी न आना बहुत सारे ऐसे विषय हैं जिस पर सरकार का जवाब आना जरूरी है.