देहरादून: विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बिंदाल नदी में गंदगी साफ करने के लिए उतरे. वहीं उनके साथ मौजूद अधिकारियों ने महज औपचारिकताएं ही निभाई. दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह और समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य जब नदी में गंदगी साफ करने के लिए उतरे तो अधिकारियों ने उनके साथ नदी में उतरने के बजाय नदी के किनारे पर सफाई के नाम पर औपचारिकता ही पूरी की. जिसके बाद कहीं न कहीं अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमि है.
बिंदाल नदी की सफाई का बीड़ा उठाते हुए आज मुख्यमंत्री ने सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर खुद फावड़ा उठाकर प्रदेशवासियों और तमाम विभाग के अधिकारियों को संदेश देने का प्रयास किया.इस दौरान समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य और मेयर सुनील उनियाल गामा ने भी उनके साथ कदम से कदम मिलाते हुए नदी में उतरे. लेकिन बात अगर सरकार के अधिकारियों की करें तो उनमें से कोई भी सफाई के लिए नदीं में नहीं उतरा. बल्कि ये सभी नदी किनारे महज खानापूर्ति नजर आये. हालांकि इनमें से कुछ अधिकारी हाथ में दस्ताने पहनकर कुछ औपचारिकताएं पूरी करते जरूर नजर आये. बता दें कि इस मौके पर गढ़वाल कमिश्नर, आयुक्त नगर निगम, वीसी एमडीडीए और जिलाधिकारी समेत एसएसपी भी मौजूद थे.
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यह हाल तब था जब मौके पर गढ़वाल कमिश्नर, आयुक्त नगर निगम, वीसी एमडीडीए और जिलाधिकारी समेत एसएसपी भी मौजूद थे. इन सबमें सबसे सुखद बात ये रही कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, समाज करण मंत्री समेत मेयर सुनीला गामा ने बेहद गंदगी वाली जगह पर सफाई करते हुए प्रदेशवासियों को एक बड़ा संदेश देने की कोशश की.
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सफाई का काम पूरा होने के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई देते हुए कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी पर्यावरण की सुरक्षा और सफाई व्यवस्था को लेकर अपनी भूमिका भी तय करेंगे.बता दें कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने करीब आधा घंटे सफाई कार्यक्रम चलाया. जिसके बाद वे कार्यक्रम स्थल से रवाना हो गए. मुख्यमंत्री के यहां से रवाना होते ही 10 मिनट के अंदर सभी संस्थाएं और संबंधित अधिकारी भी सफाई अभियान की जगह से छू मंतर हो गये.
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विश्व पर्यावरण दिवस पर हर साल कार्यक्रम चलाए जाते हैं. तमाम जगहों पर सफाई अभियान के जरिए पर्यावरण को साफ रखने का संदेश भी दिया जाता है. लेकिन अक्सर अधिकारियों की औपचारिकताएं इस संदेश पर पलीता लगा देती हैं. अधिकारियों की ऐसी ही हिला-हवाली ऐसे अभियानों के फेल हो जाने की वजह बन जाती है.