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उत्तराखंड में प्रतिदिन हो रहा 2.15 लाख लीटर दुग्ध उत्पादन, पढ़िए विशेष रिपोर्ट

देवभूमि में मिल्क इंडस्ट्री दिन दूनी रात चौगुनी की तर्ज पर तरक्की कर रही है. राज्य में गत वर्षों की तुलना में रिकॉर्ड पैमाने पर दुग्ध उत्पादन बढ़ रहा है. सहकारिता विभाग के सकारात्मक प्रयासों से राज्य के सभी दुग्ध संघ काफी मजबूत स्थिति में आ चुके हैं.

दुग्ध उत्पादन
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Published : Jun 23, 2019, 12:18 PM IST

देहरादूनः अगर आप दुग्ध व्यवसाय से जुड़े हैं या फिर उत्तराखंड में दुग्ध व्यवसाय से जुड़ने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद खास है. उत्तराखंड में सहकारिता विभाग की तमाम योजनाओं और दुग्ध व्यवसाय से जुड़ी तमाम जानकारियों के साथ पेश है ये विशेष रिपोर्ट...

देवभूमि में दुग्ध व्यवसाय तेजी से प्रगति की ओर है.

देवभूमि उत्तराखंड में दुग्ध व्यवसाय अपने आप में एक अलग स्थान रखती है. यहां लोगों में दुग्ध उत्पादन के प्रति खासा रुझान है. लिहाजा, सूबे सहकारिता विभाग द्वारा दुग्ध व्यवसाय पर खासा ध्यान दिया जा रहा है. हालांकि, दुग्ध उत्पाद में अभी उम्मीद के मुताबिक परिणाम सामने नहीं आ पाए है. लेकिन पूर्व के मुकाबले सूबे में दुग्ध उत्पादन बढ़ा है. यह जानकारी सूबे के सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने एक विभागीय बैठक के बाद दी है.

मुनाफे में चल रहे हैं सूबे के दुग्ध संघ

पृथक राज्य बनने के बाद उत्तराखंड के हिस्से में आये दुग्ध संघों की हालत अच्छी नहीं थी. कई सालों तक राज्य के सभी दुग्ध संघ उभर नहीं पाए. लेकिन, मौजूदा सरकार ने उत्तराखंड के दुग्ध संघों को पंख लगाये हैं. आज केवल टिहरी जनपद के दुग्ध संघ को छोड़कर राज्य के सभी 10 दुग्ध संघ मुनाफे में है. जिसमें से रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में अभी दुग्धसंघ की स्थापना नहीं हुई है.

मैदानी जिलों में 50 हजार लीटर दूध प्रतिदिन प्रोसेसिंग का लक्ष्य

राज्य बनने के बाद से ही केवल मैदानी जिलों में दुग्ध संघ के हालात संतोषजनक थे. पहाड़ी जिलों में लगातार दुग्ध संघ संघर्षरत थे लेकिन अब सभी जिलों में हालात सुधरी है. टिहरी जिले में भी विभाग लगातार प्रयासरत है. आज स्थिति यह है कि जब उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी तो उत्तराखंड में प्रतिदिन केवल 55 हजार लीटर दुग्ध उत्पादन होता था. लेकिन अब यह उत्पादन बढ़कर 2.15 लाख लीटर प्रतिदिन हो चुका है.

यह भी पढ़ेंः रॉयल वेडिंगः 200 करोड़ की शाही शादी में पहुंचे बिन बुलाए मेहमान, सोशल मीडिया पर लूट रहे वाहवाही

सहकारिता मंत्री धन सिंह ने बताया कि केवल नैनीताल जिला 1 लाख लीटर दूध प्रतिदिन प्रोसेस कर रहा है और आज हम इस क्षमता को बढ़ाते हुए नैनीताल जिले का लक्ष्य 2 लाख लीटर और अन्य 3 मैदानी जिले देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की क्षमता को 50 हजार लीटर प्रतिदिन करने का लक्ष्य रखा है.

सभी जिलों में होगा 70 करोड़ की डेयरी योजना का विस्तार
सहकारिता विभाग की आज एक महत्वपूर्ण बैठक में निर्णय लिया गया कि डेयरी विकास योजना राज्य में वंचित हर क्षेत्र तक पहुंचाया जाएगा साथ ही 19 करोड़ की लागत से डाटा प्रोसेसिंग मिल्क यूनिट और मिल्क एटीएम की व्यवस्था की जाएगी.

इसके अलावा सहकारिता विभाग 10 करोड़ की लागत से सभी जिलों में दुग्ध भंडारण के लिए चिलिंग सेंटर की स्थापना करने जा रही है. इसमें कुछ पहले से मौजूद चिलिंग सेंटर की क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा तो वहीं कुछ नए चिलिंग सेंटर की स्थापना की जाएगी.

सहकारिता मंत्री ने बताया कि जल्द ही सहकारिता विभाग में 7 सातवें वेतनमान का भी लाभ दिया जाएगा. धन सिंह ने कहा कि महिला डेयरी में काम करने वाली महिलाओं का दुग्ध संघ में समायोजन किया जाएगा और उनके मानदेय में वृद्धि की जाएगी. साथ ही दुग्ध संघ में रिक्त पदों को भरने के लिए 10 दिन के भीतर भर्ती प्रक्रिया के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.

देहरादूनः अगर आप दुग्ध व्यवसाय से जुड़े हैं या फिर उत्तराखंड में दुग्ध व्यवसाय से जुड़ने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद खास है. उत्तराखंड में सहकारिता विभाग की तमाम योजनाओं और दुग्ध व्यवसाय से जुड़ी तमाम जानकारियों के साथ पेश है ये विशेष रिपोर्ट...

देवभूमि में दुग्ध व्यवसाय तेजी से प्रगति की ओर है.

देवभूमि उत्तराखंड में दुग्ध व्यवसाय अपने आप में एक अलग स्थान रखती है. यहां लोगों में दुग्ध उत्पादन के प्रति खासा रुझान है. लिहाजा, सूबे सहकारिता विभाग द्वारा दुग्ध व्यवसाय पर खासा ध्यान दिया जा रहा है. हालांकि, दुग्ध उत्पाद में अभी उम्मीद के मुताबिक परिणाम सामने नहीं आ पाए है. लेकिन पूर्व के मुकाबले सूबे में दुग्ध उत्पादन बढ़ा है. यह जानकारी सूबे के सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने एक विभागीय बैठक के बाद दी है.

मुनाफे में चल रहे हैं सूबे के दुग्ध संघ

पृथक राज्य बनने के बाद उत्तराखंड के हिस्से में आये दुग्ध संघों की हालत अच्छी नहीं थी. कई सालों तक राज्य के सभी दुग्ध संघ उभर नहीं पाए. लेकिन, मौजूदा सरकार ने उत्तराखंड के दुग्ध संघों को पंख लगाये हैं. आज केवल टिहरी जनपद के दुग्ध संघ को छोड़कर राज्य के सभी 10 दुग्ध संघ मुनाफे में है. जिसमें से रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में अभी दुग्धसंघ की स्थापना नहीं हुई है.

मैदानी जिलों में 50 हजार लीटर दूध प्रतिदिन प्रोसेसिंग का लक्ष्य

राज्य बनने के बाद से ही केवल मैदानी जिलों में दुग्ध संघ के हालात संतोषजनक थे. पहाड़ी जिलों में लगातार दुग्ध संघ संघर्षरत थे लेकिन अब सभी जिलों में हालात सुधरी है. टिहरी जिले में भी विभाग लगातार प्रयासरत है. आज स्थिति यह है कि जब उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी तो उत्तराखंड में प्रतिदिन केवल 55 हजार लीटर दुग्ध उत्पादन होता था. लेकिन अब यह उत्पादन बढ़कर 2.15 लाख लीटर प्रतिदिन हो चुका है.

यह भी पढ़ेंः रॉयल वेडिंगः 200 करोड़ की शाही शादी में पहुंचे बिन बुलाए मेहमान, सोशल मीडिया पर लूट रहे वाहवाही

सहकारिता मंत्री धन सिंह ने बताया कि केवल नैनीताल जिला 1 लाख लीटर दूध प्रतिदिन प्रोसेस कर रहा है और आज हम इस क्षमता को बढ़ाते हुए नैनीताल जिले का लक्ष्य 2 लाख लीटर और अन्य 3 मैदानी जिले देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की क्षमता को 50 हजार लीटर प्रतिदिन करने का लक्ष्य रखा है.

सभी जिलों में होगा 70 करोड़ की डेयरी योजना का विस्तार
सहकारिता विभाग की आज एक महत्वपूर्ण बैठक में निर्णय लिया गया कि डेयरी विकास योजना राज्य में वंचित हर क्षेत्र तक पहुंचाया जाएगा साथ ही 19 करोड़ की लागत से डाटा प्रोसेसिंग मिल्क यूनिट और मिल्क एटीएम की व्यवस्था की जाएगी.

इसके अलावा सहकारिता विभाग 10 करोड़ की लागत से सभी जिलों में दुग्ध भंडारण के लिए चिलिंग सेंटर की स्थापना करने जा रही है. इसमें कुछ पहले से मौजूद चिलिंग सेंटर की क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा तो वहीं कुछ नए चिलिंग सेंटर की स्थापना की जाएगी.

सहकारिता मंत्री ने बताया कि जल्द ही सहकारिता विभाग में 7 सातवें वेतनमान का भी लाभ दिया जाएगा. धन सिंह ने कहा कि महिला डेयरी में काम करने वाली महिलाओं का दुग्ध संघ में समायोजन किया जाएगा और उनके मानदेय में वृद्धि की जाएगी. साथ ही दुग्ध संघ में रिक्त पदों को भरने के लिए 10 दिन के भीतर भर्ती प्रक्रिया के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.

Intro:Summary- उत्तराखंड दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ और डेयरी विकास विभाग के तहत हुई समीक्षा बैठक में उत्तराखंड में दुग्ध उत्पादन को लेकर क्या स्थिति है इस पर विस्तृत खबर है। बहुत सारे अलग अलग बिंदु है इसलिए स्पेशल बना कर एक ही ख़बर भेजी गई है।


एंकर- अगर आप दुग्ध व्यवसाय से जुड़े हैं या फिर उत्तराखंड में दुग्ध व्यवसाय से जुड़ने की सोच रहे हैं और इसे समझना चाहते हैं तो ये ख़बर आपके लिए बेहद खास है। उत्तराखंड में सहकारिता विभाग की तमाम योजनाओं और दुग्ध व्यवसाय से जुड़ी तमाम जानकारियों के साथ पेश ये रिपोर्ट।




Body:वीओ- परिपूर्ण जैव विविधिता वाली देवभूमि उत्तराखंड में दुग्ध व्यवसाय अपने आप मे एक अलग स्थान रखता है यंहा की भरपूर प्रकृति और यंहा की आबोहवा दुग्ध व्यवसाय के लिए बेहद अनुकूल है और यही वजह है कि उत्तराखंड सहकारिता विभाग के अंर्तगत दुग्ध व्यवसाय पर खाशा ध्यान दे रही है हालांकि इस क्षेत्र में पूर्व की सरकारों से उम्मीद के मुताबिक परिणाम नही आ पाए। बहरहाल अब उत्तराखंड सहकारिता विभाग के तहत इस क्षेत्र में काफी प्रयास किये जा रहे है जिसके परिणाम आने शुरू हो चुके है जिनकी जानकारी आज सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने एक विभागीय बैठक के बाद दी।

1-----घाटे में चल रहे थे राज्य के सभी दुग्ध संघ अब आ गए हैं मुनाफे में----
उत्तरप्रदेश के समय से ही उत्तराखंड के क्षेत्र में पड़ने वाले सभी दुग्ध संघो के हालात मंदी में थे और उत्तराखंड राज्य अलग बनने के बाद उत्तराखंड के हिस्से में आये दुग्ध संघो पर ओर गहराया जिससे कई सालों तक राज्य के सभी दुग्ध संघ उभर नही पाए लेकिन मोजूद सरकार ने उत्तराखंड के दुग्ध संघो को पंख लागये हैं और आज केवल टेहरी जनपद के दुग्ध संघ को छोड़कर राज्य के सभी 10 दुग्ध संघ मुनाफे में है जिसमे से रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में अभी दुग्धसंघ की स्थापना निहि हुई है।

2----नैनीताल में 2 लाख तो अन्य 3 मैदानी जिलों में 50 हजार लीटर दूध प्रति दिन प्रोसेसिंग का लक्ष्य----
राज्य बनने के बाद से ही केवल मैदानी जिलों में दुग्ध संघ के हालात संतोषजनक थे। पहाड़ी जिलों में लगातार दुग्ध संघ संघर्षरत थे लेकिन अब सभी जिलों में हालात सुधरे हैं और टेहरी जिले में भी विभाग लगातार प्रयासरत है। आज स्थिति यह है कि जब उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी तो उत्तराखंड में प्रतिदिन केवल 55 हजार लीटर दुग्ध उत्पादन होता था लेकिन आज ये उत्पादन क्षमता बढ़कर 2.15 लाख प्रति दिन हो चुकी है। सहकारिता मंत्री धन सिंह ने बताया की केवल नैनीताल जिला 1 लाख लीटर दूध प्रतिदिन प्रोसेस कर रहा है और आज हम इस क्षमता को बढ़ाते हुए नैनीताल जिले का लक्ष्य 2 लाख लीटर और अन्य 3 मैदानी जिले देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की क्षमता को 50 हजार लीटर प्रतिदिन करने का लक्ष्य रखा है।

3----सभी जिलों में होगा 70 करोड़ की डेयरी योजना का विस्तार----
सहकारिता विभाग की आज एक महत्वपूर्ण बैठक में निर्णय लिया गया कि डेयरी विकास योजना राज्य में वंचित हर क्षेत्र तक पहुंचाया जाएगा साथ ही 19 करोड़ की लागत से डाटा प्रोसेसिंग मिल्क यूनिट और मिल्क एटीएम की व्यवस्था की जाएगी।

4----सभी जिलों में खुलेंगे चिल्लिंग सेंटर, सातवे वेतन का भी जल्द मिलेगा लाभ-----
सहकारिता विभाग 10 करोड़ की लागत से सभी जिलों में दुग्ध भंडारण के लिए चिल्लिंग सेंटर की स्थापना करने जा रही है। इसमें कुछ पहले से मौजूद चिल्लिंग सेंटर की क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा तो वहीं कुछ नए चिलिंग सेंटर की स्थापना की जाएगी।
इसके अलावा सहकारिता मंत्री ने बताया कि जल्द ही सहकारिता विभाग में 7 सातवें वेतन मान का भी लाभ दिया जाएगा। धन सिंह ने कहा कि महिला डेयरी में काम करने वाली महिलायों का दुग्ध संघ में समायोजन किया जाएगा और और उनके मानदेय में वृद्धि की जाएगी साथ ही दुग्ध संघ में रिक्त पदों को भरने के लिए 10 दिन के भीतर भर्ती प्रक्रिया के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए।

बाइट- धनसिंह रावत, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार, सहकारिता विभाग


Conclusion:
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