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बागेश्वर में अध्यापकों और डीएलएफ प्रशिक्षकों की कार्यशाला, खिलौने के माध्यम से सिखाया गया पढ़ाना - Workshop for teachers and DLF trainers

प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद काम तेजी से हो रहा है. इसी कड़ी में बागेश्वर में अध्यापकों व डीएलएफ प्रशिक्षकों को खिलौने के माध्यम से पढ़ाना सिखाया गया.

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बागेश्वर में अध्यापकों और डीएलएफ प्रशिक्षकों की कार्यशाला
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Published : Dec 12, 2022, 8:14 PM IST

बागेश्वर: जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (District Education and Training Institute) की बागेश्वर में कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यशाला में अध्यापकों और डीएलएड प्रशिक्षुओं ने विद्यार्थियों को खिलौने के माध्यम से पढ़ाना सीखने के सामाजिक विज्ञान के बारे में जानकारी ली. कार्यशाला में प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल के 70 शिक्षकों ने भाग लिया.

कार्यक्रम समन्वयक रवि जोशी ने बताया सामाजिक विज्ञान विषय स्कूली पाठ्यचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जो विद्यार्थियों को उनके भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक वातावरण से परिचित कराता है. अल्प संसाधनों की सहायता से मानचित्र एवं ग्लोब का निर्माण, अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं की पहचान एवं उनकी उपयोगिता आदि पर समझ बनाई गई. इनको छात्रों के साथ किस प्रकार प्रयोगात्मक एवं खेल-खेल में किया जा सकता है, इस पर कार्य किया गया.

पढे़ं- हरिद्वार: BSNL बिल्डिंग में सफाई के दौरान मिला नरकंकाल, कर्मचारियों के उड़े होश

वैज्ञानिक आशुतोष उपाध्याय ने कहा अनुभव जनित ज्ञान ही स्थायी ज्ञान होता है. जब हम करके सीखते हैं. तभी शिक्षण प्रभावी होता है. कार्यशाला में टेलिस्कोप की मदद से बृहस्पति, मंगल एवं शनि एवं चंद्रमा का अवलोकन भी किया गया. दिशाओं का बोध, पृथ्वी की गतियां, चंद्रमा की कलाएं, ग्रहण कैसे लगता है जैसे जटिल विषयों पर प्रयोग के माध्यम से समझाया गया.

बागेश्वर: जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (District Education and Training Institute) की बागेश्वर में कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यशाला में अध्यापकों और डीएलएड प्रशिक्षुओं ने विद्यार्थियों को खिलौने के माध्यम से पढ़ाना सीखने के सामाजिक विज्ञान के बारे में जानकारी ली. कार्यशाला में प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल के 70 शिक्षकों ने भाग लिया.

कार्यक्रम समन्वयक रवि जोशी ने बताया सामाजिक विज्ञान विषय स्कूली पाठ्यचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जो विद्यार्थियों को उनके भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक वातावरण से परिचित कराता है. अल्प संसाधनों की सहायता से मानचित्र एवं ग्लोब का निर्माण, अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं की पहचान एवं उनकी उपयोगिता आदि पर समझ बनाई गई. इनको छात्रों के साथ किस प्रकार प्रयोगात्मक एवं खेल-खेल में किया जा सकता है, इस पर कार्य किया गया.

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वैज्ञानिक आशुतोष उपाध्याय ने कहा अनुभव जनित ज्ञान ही स्थायी ज्ञान होता है. जब हम करके सीखते हैं. तभी शिक्षण प्रभावी होता है. कार्यशाला में टेलिस्कोप की मदद से बृहस्पति, मंगल एवं शनि एवं चंद्रमा का अवलोकन भी किया गया. दिशाओं का बोध, पृथ्वी की गतियां, चंद्रमा की कलाएं, ग्रहण कैसे लगता है जैसे जटिल विषयों पर प्रयोग के माध्यम से समझाया गया.

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