बागेश्वर: टनकपुर बागेश्वर रेल मार्ग संघर्ष समिति के बैनर तले आज तहसील परिसर में लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान संघर्ष समिति के सदस्यों ने टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन का निर्माण जल्द करने की मांग की.उनका कहना था कि रेल लाइन निर्माण में लेटलतीफी हो रही है. जिससे उनका सब्र का बांध टूट रहा है.
1882 में टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन का हुआ था सर्वे: टनकपुर बागेश्वर रेल मार्ग संघर्ष समिति की अध्यक्ष नीमा दफौटी ने कहा कि अंग्रेजों के समय यानी साल 1882 में सबसे पहले टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन का सर्वे हुआ था. इसके बाद साल 1912, 1980, 2006, 2008, 2009 और 2012 में सर्वे किया गया. इस तरह से 6 बार इस रेल लाइन का सर्वे हो चुका है, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मांग को केंद्र सरकार ने पहले ही राष्ट्रीय प्रोजक्ट में शामिल कर दिया है, लेकिन अभी तक इसका निर्माण न होना दुख की बात है.
रेल लाइन निर्माण की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी घोषणा: नीमा दफौटी ने कहा कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान हल्द्वानी में बीजेपी की सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन के निर्माण की घोषणा की थी, लेकिन इसके लिए बजट स्वीकृत नहीं किया गया है. ऐसे में रेल लाइन निर्माण की आस में लोगों की आंखें पथरा गई है.
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रेल मार्ग निर्माण संघर्ष समिति आंदोलन करेगी तेज: पूर्व पालिकाध्यक्ष गीता रावल ने कहा कि अगर जल्द से जल्द टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन निर्माण नहीं किया गया तो समिति अपने संघर्ष को और तेज करेगी. उन्होंने कहा कि रेल लाइन का लाभ बागेश्वर के अलावा आसपास के जिलों को भी होगा. सामरिक दृष्टि से भी इस रेल लाइन का काफी ज्यादा महत्व है, लेकिन सरकार केवल चुनावी वादे तक सीमित है.