बागेश्वर: जिले में इन दिनों विकास प्राधिकरण पर जनता आरोप लगा रही है. शुक्रवार को व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं और साथ ही प्राधिकरण को काला कानून बताया. व्यापारियों ने विरोध जताते हुए प्राधिकरण पर दो लोगों की आत्महत्या के लिए विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, जिलाधिकारी व सचिव को दोषी बताया है. साथ ही मौत के जिम्मेदार आरोपियों के निलंबन की मांग की है.
बता दें कि जिला प्राधिकरण हटाओ मोर्चा के आह्वान पर नगर के सभी व्यपारियों ने बंद को पूर्ण समर्थन देते हुए अपनी दुकानें बंद रखीं. वहीं पूरे नगर में प्राधिकरण के विरोध में जुलूस भी निकाला गया. जिसमें राज्य सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की गई.
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वहीं, नुक्कड़ सभा के माध्यम से आम जनता को प्राधिकरण जैसे काले कानून के लिए जागरुक किया गया. जिसके बाद चौक बाजार में सभा आयोजित की गई. जिसमें वक्ताओं ने प्राधिकरण के खिलाफ विरोध जताते हुए अपनी बात रखी. प्राधिकरण हटाओ मोर्चा के अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने बताया कि प्राधिकरण सिर्फ आम जनता पर ही लागू हो रहा है. जनप्रतिनिधियों को आम जनता की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है. राज्य सरकार ने प्राधिकरण जैसा काला कानून बिना पर्वतीय क्षेत्र की भगौलिक परिस्थितयों को जाने ही आम जनता पर जबरन लागू कर दिया है.
इसके विपरीत सरकारी भवनों का निर्माण कार्य प्राधिकरण के मानकों को दरकिनार करके धड़ल्ले से चल रहा है. वहीं, इन निर्माणों पर जिला प्राधिकरण आंखें मूंदे बैठा है. ऐसे में प्रशासन के तानाशाही के चलते आम जनता सड़क पर उतरकर इस काले कानून के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है.
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प्रमोद मेहता का कहना है कि प्राधिकरण के नियमों के बोझ तले दबकर दो लोगों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. ऐसे में उन्होंने जिला विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व सचिव को दोषी बताते हुए उनके निलंबन की मांग की है. साथ ही विरोध स्वरुप उन्होंने प्राधिकरण का पुतला भी फूंका है. वहीं, आगामी 8 सितंबर को जिला विकास प्राधिकरण हटाओ मोर्चा बैठक कर आगे की रणनीति तैयार करेगा.