बागेश्वर: कुमाऊंनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सभी लोग योगदान दे रहे हैं. समय समय पर लोग विभिन्न माध्यमों के जरिए संस्कृति और परंपरा को बचाने का प्रयास करते हैं. इसी कड़ी में भागीरथी की रहने वाली नेहा बघरी भी इसी पहल से जुड़ते हुए नृत्य के माध्यम से संस्कृति और कला के संरक्षण के लिए कार्य कर रही हैं. वो बालिकाओं और महिलाओं को कुमाऊंनी, गढ़वाली और जौनसारी नृत्य की बारीकियां से रूबरू कराने के साथ ही झोड़ा, चांचरी और छपेली नृत्य के संरक्षण को भी बढ़ावा दे रही हैं.
नेहा बघरी का नृत्य की ओर रुझान स्कूली पढ़ाई के दौरान ही हो गया था. परिजनों नेहा के शौक को पहचाना और उसे आगे बढ़ाने में उसकी सहायता की. नृत्य सीखने के लिए नेहा बागेश्वर से अल्मोड़ा जाया करती थीं. नेहा ने कत्थक में भातखंडे अल्मोड़ा से जूनियर डिप्लोमा, प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से सीनियर डिप्लोमा और विशारद की शिक्षा हासिल की है. शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने नेहा डांस अकादमी नाम से खुद का प्रशिक्षण संस्थान खोला.
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वहीं, नेहा अपने प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से बच्चों को कुमाऊंनी, गढ़वाली, जौनसारी के अलावा बॉलीवुड नृत्य के गुर भी सिखा रही हैं. उनसे प्रशिक्षण ले चुकी कामाक्षी चौधरी, कल्पना कालाकोटी, नेहा गड़िया और प्रार्थना बिष्ट ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भागीदारी की है. वहीं, नृत्यांगना नेहा बताती हैं कि उनकी प्रशिक्षण अकादमी में केवल बालिकाओं को ही प्रशिक्षण दिया जाता है.
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उनका कहना है कि समाज में बालिकाओं पर कई तरह की बंदिशें लगाई जाती रही हैं. ऐसे में वो स्वयं मुश्किल हालातों का सामना करके बच्चों को नृत्य सिखा रही हैं. जिसके चलते वह केवल बालिकाओं को ही नृत्य सिखाकर उन्हें संस्कृति और कला संरक्षण का वाहक बनाने पर जोर दे रही हैं. नेहा ने बताया कि वो अपनी अकादमी में 50 महिलाओं को कुमाऊंनी और गढ़वाली नृत्य का प्रशिक्षण दे रही हैं और इस सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए उन्हें प्रेरित कर रही हैं.