बागेश्वर: मुनार में आजीविका परियोजना से जुड़ी महिलाओं की मेहनत अब रंग लाने लगी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में मुनार में बन रहे मंडुवे के बिस्किटों का जिक्र किया था. इसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी एकीकृत आजीविका परियोजना के तहत काम करके मंडुवे के बिस्किट बनाने वाली महिलाओं को पुरस्कार दिया था. सोमवार को एकीकृत आजीविका परियोजना की बैठक में बागेश्वर जिलाधिकारी रंजना राजगुरु ने भी उन महिलाओं की तरीफ की.
जिलाधिकारी ने कहा कि एकीकृत आजीविका परियोजना द्वारा जनपद में अच्छा कार्य किया जा रहा है. जिससे लोगों की आजीविका के संसाधन बढ़े हैं. उन्होंने आजीविका को जिले में पौष्टिक युक्त फसलों के लिए भी उचित मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित कराने को कहा.
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जिलाधिकारी ने बैठक में कहा कि मंडुवा की वजह से बागेश्वर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. इस पहचान का कामय रखने के लिए सभी को और बेहतर ढंग से कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने आजीविका परियोजना से संस्थाओं के माध्यम से तैयार होने वाले उत्पादों की बेहतर पैकेजिंग, मार्केटिंग व विपणन पर फोकस करने को कहा ताकि उत्पादों का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके.
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बैठक में आजीविका परियोजना के प्रबंधक धर्मेंद्र पांडे ने स्लाइड शो के माध्यम से परियोजना की प्रगति की आख्या पेश कर की. जिसमें उन्होंने दिखाया की गरुड़ के नौघर और ज्वाणा स्टेट में एकीकृत खेती मॉडल के लिए 20 हजार लीटर की क्षमता का एलडीपीई टैंक, पॉलीहाउस, शेडनेट हाउस, मधुमक्खी बॉक्स, डेयरी व पोल्ट्री फॉर्म, सब्जी, मसाला उत्पादन सहित अन्य कार्य किए जा रहे हैं.