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Sena Medal to Major Prashant: सेना मेडल से सम्मानित होंगे कौशानी के मेजर प्रशांत भट्ट, राष्ट्रपति ने की घोषणा

कौशानी के रहने वाले मेजर प्रशांत भट्ट को सेना मेडल से नवाजा जाएगा. मेजर प्रशांत भट्ट की इस उपलब्धि पर सरस्वती शिशु मंदिर कौशानी सहित पूरा क्षेत्र में खुशी का माहौल है. हर कोई मेजर प्रशांत भट्ट की इस उपलब्धि से खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

Sena Medal to Major Prashant:
सेना मेडल से सम्मानित होंगे कौशानी के मेजर प्रशांत भट्ट
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Published : Jan 27, 2023, 6:55 PM IST

बागेश्वर: गणतंत्र दिवस 2023 की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीरता पुरस्कारों की घोषणा की. जिसमें उत्तराखंड बागेश्वर जिले के कौसानी के रहने वाले युवा सैन्य अधिकारी मेजर प्रशांत का नाम भी शामिल है. कौशानी के मेजर प्रशांत को सेना मेडल से सम्मानित किया जाएगा. इस घोषणा के बाद से सभी खुश हैं.

युवा सैन्य अधिकारी मेजर प्रशांत भट्ट की प्रारंभिक शिक्षा कौशानी के शिशु मंदिर से हुई. कक्षा पांच के बाद उनका चयन सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए हुआ. तब उनके पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. जिसके कारण उन्होंने प्रशांत को नवोदय विद्यालय ताड़ीखेत में भर्ती करवाया. प्रशांत ने नवीं कक्षा के लिए सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए प्रयास किया. वो फिर से वहां चयनित कर लिये गये. इस पर उनके पिता भुवन मोहन भट्ट ने प्रयास कर प्रशांत को वहां भेज दिया.
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सैनिक स्कूल से बारवीं पास करने के बाद प्रथम प्रयास में प्रशांत का चयन 2014 में भारतीय सेना स्पेशल फोर्स में हो गया. बाद में कमीशंड मिलने पर वो मेजर के पद पर पहुंचे. प्रशांत को भारत सरकार ने कुशल नेतृत्व, कर्तव्य परायण, साहस और संवेदनशील मुद्दों को सरलता से हल करने के उपलक्ष में सेना मेडल से सम्मानित करने की घोषणा की है.
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मेजर प्रशांत को देश सेवा एवं देश भक्ति की प्रेरणा उनके दादा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य स्वर्गीय हरी दत्त भट्ट से मिली. उनके दादाजी प्रशांत को वीर जवानों की गाथा बार-बार सुनाया करते थे. जिससे मेजर प्रशांत बाल्यावस्था से ही देश सेवा में जाने को उत्सुक हो उठे. गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने सेना मेडल प्राप्त वीर जांबाज सैनिकों को पुरस्कार के तौर पर एकमुश्त 15 लाख एवं हर वर्ष रू.50,000 तथा भारत सरकार द्वारा भी लगभग इतनी ही धनराशि वीर जवानों को दी जाती है. मेजर प्रशांत भट्ट की इस उपलब्धि पर सरस्वती शिशु मंदिर कौशानी सहित पूरा क्षेत्र अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

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युवा सैन्य अधिकारी मेजर प्रशांत भट्ट की प्रारंभिक शिक्षा कौशानी के शिशु मंदिर से हुई. कक्षा पांच के बाद उनका चयन सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए हुआ. तब उनके पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. जिसके कारण उन्होंने प्रशांत को नवोदय विद्यालय ताड़ीखेत में भर्ती करवाया. प्रशांत ने नवीं कक्षा के लिए सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए प्रयास किया. वो फिर से वहां चयनित कर लिये गये. इस पर उनके पिता भुवन मोहन भट्ट ने प्रयास कर प्रशांत को वहां भेज दिया.
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सैनिक स्कूल से बारवीं पास करने के बाद प्रथम प्रयास में प्रशांत का चयन 2014 में भारतीय सेना स्पेशल फोर्स में हो गया. बाद में कमीशंड मिलने पर वो मेजर के पद पर पहुंचे. प्रशांत को भारत सरकार ने कुशल नेतृत्व, कर्तव्य परायण, साहस और संवेदनशील मुद्दों को सरलता से हल करने के उपलक्ष में सेना मेडल से सम्मानित करने की घोषणा की है.
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मेजर प्रशांत को देश सेवा एवं देश भक्ति की प्रेरणा उनके दादा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य स्वर्गीय हरी दत्त भट्ट से मिली. उनके दादाजी प्रशांत को वीर जवानों की गाथा बार-बार सुनाया करते थे. जिससे मेजर प्रशांत बाल्यावस्था से ही देश सेवा में जाने को उत्सुक हो उठे. गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने सेना मेडल प्राप्त वीर जांबाज सैनिकों को पुरस्कार के तौर पर एकमुश्त 15 लाख एवं हर वर्ष रू.50,000 तथा भारत सरकार द्वारा भी लगभग इतनी ही धनराशि वीर जवानों को दी जाती है. मेजर प्रशांत भट्ट की इस उपलब्धि पर सरस्वती शिशु मंदिर कौशानी सहित पूरा क्षेत्र अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

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