बागेश्वर: जिले में महात्मा गांधीजी की 150वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. सुबह शहर में प्रभातफेरी निकाली गई. इस दौरान नेताओं, अधिकारी और स्थानीय लोगों ने गांधीजी मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया. इस अवसर पर जिलाधिकारी ने सभी कर्मचारियों को स्वच्छता की शपथ दिलाई. इसके साथ ही अनासक्ति आश्रम में गांधी जयंती पर विशेष कार्यक्रमों को आयोजन किया गया था. इस आश्रम में गांधी की करीब 2 सप्ताह तक रूके थे.
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कौसानी के अनासक्ति आश्रम में गांधीजी के भजनों को गाकर उन्हें याद किया गया. इसी स्थान पर गांधी जी ने गीता पर आधारित अपनी प्रसिद्व पुस्तक 'अनासक्ति योग' की प्रस्तावना लिखी थी.
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बता दें कि कुली-बेगार आंदोलन 1921 में उत्तर भारत के बागेश्वर नगर में आम जनता द्वारा अहिंसक आन्दोलन था. इस आन्दोलन का नेतृत्व बद्री दत्त पाण्डे ने किया था. आंदोलन के सफल होने के बाद उन्हें 'कुमाऊं केसरी' की उपाधि दी गई. इस आन्दोलन का उद्देश्य कुली बेगार प्रथा बंद कराने के लिये अंग्रेजों पर दबाव बनाना था. इस आंदोलन से महात्मा गांधी बहुत प्रभावित हुए और 1929 में वे खुद बागेश्वर आये थे. इसके बाद गांधी जी ने यंग इंडिया में इस आन्दोलन के बारे में लिखा था कि, 'इसका प्रभाव संपूर्ण था, यह एक रक्तहीन क्रान्ति थी'.
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बताते हैं कि कुली-बेगार आंदोलन की सफलता में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अपील का बड़ा असर हुआ था. कुमाऊं परिषद के एक दल ने गांव गांव जाकर लोगों को इस प्रथा के खिलाफ लामबंद किया. वहीं, दूसरे दल ने नागपुर जाकर महात्मा गांधी को इसकी जानकारी दी थी. महात्मा गांधी उस वक्त तो पहाड़ नहीं आए लेकिन उन्होंने पहाड़ के लोगों से अपील की कि वह बेगार प्रथा का विरोध करें और किसी भी ब्रिटिश अधिकारी के आवास व भोजन की व्यवस्था न करें. बापू के इसी संदेश को लेकर परिषद के कार्यकर्ता गांव-गांव गए थे.