बागेश्वर: लॉकडाउन के दौरान में कुमाऊं मंडल विकास निगम के विश्राम गृह कौसानी में फंसे बाहरी राज्यों के पर्यटकों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे हालातों में पर्यटन विभाग के सरकारी गेस्ट हाउस कौसानी स्थित पर्यटक आवास गृह के कार्यालय ने 45 दिनों से कोलकाता के दो परिवारों को अलग-अलग दिनांक में लाखों रुपए का बिल दिया थमा दिया. इसके अलावा दिल्ली के एक परिवार को भी 36 हजार का बिल दिया गया है. जिसको देखते हुए इन परिवारों ने कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड नैनीताल से बिल माफ करने की मांग की है.
कोलकाता से आए पर्यटक सुब्रतो गांगुली ने बताया कि उनका परिवार 21 मार्च को पर्यटन विभाग के सरकारी विश्राम गृह में पहुंचा था और 25 मार्च 2020 तक उन्हें कौसानी रहना था, उसके बाद उनकी वापसी होनी थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते वे पिछले 45 दिन से यहां फंसे हुए हैं. उन्होंने बताया कि पहले उन्हें 1 लाख 33 हजार का बिल दिया गया, जब उन्होंने इसका विरोध किया तो अब 72 हजार का दो कमरों का बिल थमाया गया है. उनका कहना है कि जितने दिन वह अपनी मर्जी से रहे, उसका भुगतान कर दिया है. लेकिन सरकार के आदेश के बाद भी बिलों का भुगतान उनसे जबरन लिया जा रहा है.
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वहीं, दिल्ली के अशोक हुड्डा का कहना है कि वे दिल्ली हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं, वे परिवार के साथ यहां आए थे और लॉकडाउन के चलते यहां फंस गए. अपने भोजन की व्यवस्था वह खुद कर रहे हैं, इसके बाद भी उनसे हजारों रुपए का बिल लिया जा रहा है, जो कानूनन गलत है. उनका कहना है कि उनके रहने का भुगतान भी अब सरकार को करना चाहिए, इतनी बड़ी राशि का भुगतान वह नहीं करेंगे.
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इस मामले में जिला पर्यटन अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अभी कौसानी में अलग-अलग होटल्स में कुल 128 पर्यटक रुके हुए है, जिसमें से 124 पश्चिम बंगाल और 4 दिल्ली के हैं. पर्यटक आवास गृह कौसानी में 6 पर्यटक 21 मार्च 2020 से यहां रह रहे है. उन्होंने बताया कि मेरी जनरल मैनेजर कुमाऊं मंडल विकास निगम से बात हुई है, उनके द्वारा बताया गया है कि छूट तो दी जाएगी लेकिन पूरा अमाउंट माफ़ नहीं किया जाएगा. जल्द ही इन सभी पर्यटकों को अपने-अपने घरों को वापस भेजा जाएगा, इनके खाने का पूरा इंतजाम किया गया है.
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लॉकडाउन के दौरान ज़िले में बाहरी राज्यों के फ़से हुए पर्यटकों को सुविधा देने के बजाय कुमाऊं मंडल विकास निगम लॉकडाउन में फंसे पर्यटकों को लाखों के बिल थमा रहा है, ऐसे में भविष्य में पर्यटक राज्य और जिलों के पर्यटक केंद्रों में कैसे आएंगे, यह बड़ा सवाल है.