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गरुड़ नदी पर बना पुल लोगों के लिए बना खतरा, जिम्मेदार अधिकारी नहीं ले रहे सुध

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Published : Jun 13, 2021, 8:02 PM IST

गरुड़ नदी पर बना पुल स्थानीय ग्रामीणों के लिए खतरे का सबब बना हुआ है. लोग अपनी जान हथेली पर रखकर इस पुल से आवागमन करते हैं. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.

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गरुड़ नदी पर बना पुल लोगों के लिए बना खतरा

बागेश्वर: गरुड़ गंगा नदी पर बना पुल स्थानीय लोगों के लिए अब खतरा साबित हो रहा है. लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर इस पुल से आवाजाही करते हैं. लोगों ने प्रशासन से इस पुल को दुरुस्त कराने की कई बार मांग की, लेकिन आजतक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है.

दरअसल, चक्रवर्तेश्वर मंदिर के पास गरुड़ नदी पर बने पुल का निर्माण साल 1983 में कराया गया था. ये पुल मटेना, जिनखोला, कोटूली, बंड, सेलखोला, भंडारीधार, बाड़ेश्वर, महरपाली और बाड़ीखेत गांव को विकासखंड मुख्यालय से जोड़ता है. इन गांवो के ग्रामीण इसी पुल से होकर मरीजों को अस्पताल लेकर पहुंचते हैं. खेती करने के लिए स्थानीय महिलाएं भी प्रतिदिन इस पुल से होकर गुजरती हैं.

ये भी पढ़ें: आज CM तीरथ का दो दिवसीय दिल्ली दौरा, विकास कार्यों को लेकर केंद्रीय मंत्रियों से करेंगे मुलाकात

पुल के दो दर्जन पटाल गरुड़ नदी में गिर गए हैं और अन्य पटाल भी कब टूट जाएं ये कहा नहीं जा सकता. ऐसे में यहां पर कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है. इसे लेकर ग्राम प्रधान रविशंकर ने बताया कि उन्होंने लोक निर्माण विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से कई बार अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी के कानों में जूं तक नहीं रेंगा.

ये भी पढ़ें: 'इंदिरा में दिखती थी बहुगुणा और एनडी तिवारी की छाप', कहते ही छलके सुबोध उनियाल के आंसू

वहीं, उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इस पुल को जल्द दुरुस्त नहीं कराया गया तो वो सभी स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. उधर, लोनिवि के अभियंता केके तिलारा का कहना है शीघ्र ही इस पुल का निरीक्षण कर इसे दुरुस्त करा दिया जाएगा. दुर्घटना रोकने के लिए पटालों की वैकल्पिक व्यवस्था भी की जाएगी.

बागेश्वर: गरुड़ गंगा नदी पर बना पुल स्थानीय लोगों के लिए अब खतरा साबित हो रहा है. लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर इस पुल से आवाजाही करते हैं. लोगों ने प्रशासन से इस पुल को दुरुस्त कराने की कई बार मांग की, लेकिन आजतक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है.

दरअसल, चक्रवर्तेश्वर मंदिर के पास गरुड़ नदी पर बने पुल का निर्माण साल 1983 में कराया गया था. ये पुल मटेना, जिनखोला, कोटूली, बंड, सेलखोला, भंडारीधार, बाड़ेश्वर, महरपाली और बाड़ीखेत गांव को विकासखंड मुख्यालय से जोड़ता है. इन गांवो के ग्रामीण इसी पुल से होकर मरीजों को अस्पताल लेकर पहुंचते हैं. खेती करने के लिए स्थानीय महिलाएं भी प्रतिदिन इस पुल से होकर गुजरती हैं.

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पुल के दो दर्जन पटाल गरुड़ नदी में गिर गए हैं और अन्य पटाल भी कब टूट जाएं ये कहा नहीं जा सकता. ऐसे में यहां पर कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है. इसे लेकर ग्राम प्रधान रविशंकर ने बताया कि उन्होंने लोक निर्माण विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से कई बार अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी के कानों में जूं तक नहीं रेंगा.

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वहीं, उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इस पुल को जल्द दुरुस्त नहीं कराया गया तो वो सभी स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. उधर, लोनिवि के अभियंता केके तिलारा का कहना है शीघ्र ही इस पुल का निरीक्षण कर इसे दुरुस्त करा दिया जाएगा. दुर्घटना रोकने के लिए पटालों की वैकल्पिक व्यवस्था भी की जाएगी.

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