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बागेश्वर: बेटियों को बराबरी का दर्जा दिलाने रोजाना 60KM दौड़ रहीं दिव्यांग अंजू राठौर

अक्सर हम अपने समाज में बेटा-बेटियों के बीच होने वाले भेदभाव को देखते हैं. इसीलिए वर्तमान में कई तरह के कार्यक्रमों, योजनाओं और अभियानों के द्वारा बेटियों को बराबर का हक दिलाने के प्रयास किये जा रहे हैं. इसी तरह उत्तराखंड की अंजू राठौर बेटियों को समाज में बराबर का अधिकार दिलाने और उनके साथ हो रहे भेदभावों को मिटाने के लिये हर दिन उत्तराखंड की सड़कों पर 60 किमी दौड़ रहीं हैं.

बेटियों को बराबरी का हक दिलाने अंजु राठौर हर दिन दौड़ रही
बेटियों को बराबरी का हक दिलाने अंजु राठौर हर दिन दौड़ रही
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Published : Apr 12, 2023, 6:05 PM IST

दिव्यांग अंजू राठौर के संघर्ष की कहानी.

बागेश्वर: बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव एवं उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए उत्तराखंड की बेटी अंजू राठौर ने 17 मार्च को उधमसिंह नगर के किच्छा से दौड़ शुरू की. इसके बाद उधमसिंहनगर, अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़ से होते हुए आज बागेश्वर पहुंची. यहां पहुंचने पर बागेश्वर के जिलाधिकारी, रेडक्रॉस सोसायटी एवं विभिन्न संगठनों के लोगों ने अंजू का फूल-मालाओं के साथ जोरदार स्वागत किया.

दिव्यांग हैं अंजू: बागेश्वर की बेटियों को बराबर का हक दिलाने के उद्देश्य से किच्छा से उत्तराखंड की सडकों पर दौड़ रही अंजू पांव से दिव्यांग हैं. लेकिन फिर भी वे समाज में बेटियों को बराबर का हक दिलाने के लिये निरंतर प्रयास कर रही हैं. अंजू राठौर के बागेश्वर पहुंचने पर जिलाधिकारी अनुराधा पाल एवं रेडक्रॉस ने उन्हें कलेक्ट्रेट में सम्मानित किया.

यह भी पढें: ऋषिकेश में उत्तराखंड BJP महिला मोर्चा कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक, सीएम धामी ने की शिरकत

मैराथन दौड़ने का है लक्ष्य: बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के संदेश को आगे बढ़ाते हुए अंजू राठौर ने अपनी दौड़ उधमसिंह नगर से शुरू की और अभी वह बागेश्वर पहुंची हैं. जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. यहां से वह चमोली के लिए दौड़ लगाएंगी. लोगों ने कहा अंजू महिला सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल है. सभी लोगों ने उनके इस प्रयास की सराहना करते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. अंजू राठौर ने दो हजार किमी दौड़ने का लक्ष्य रखा है, अभी तक अंजू पांच जिलों में दौड़ चुकी हैं. अंजू का लक्ष्य मैराथन दौड़ में भाग लेने का है. इसके लिए उन्होंने 2021 में इंदौर में कोचिंग भी ली है. इस दौड़ के दौरान अंजू राठौर को लोगों द्वारा काफी प्रोत्साहन मिला.

दिव्यांग अंजू राठौर के संघर्ष की कहानी.

बागेश्वर: बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव एवं उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए उत्तराखंड की बेटी अंजू राठौर ने 17 मार्च को उधमसिंह नगर के किच्छा से दौड़ शुरू की. इसके बाद उधमसिंहनगर, अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़ से होते हुए आज बागेश्वर पहुंची. यहां पहुंचने पर बागेश्वर के जिलाधिकारी, रेडक्रॉस सोसायटी एवं विभिन्न संगठनों के लोगों ने अंजू का फूल-मालाओं के साथ जोरदार स्वागत किया.

दिव्यांग हैं अंजू: बागेश्वर की बेटियों को बराबर का हक दिलाने के उद्देश्य से किच्छा से उत्तराखंड की सडकों पर दौड़ रही अंजू पांव से दिव्यांग हैं. लेकिन फिर भी वे समाज में बेटियों को बराबर का हक दिलाने के लिये निरंतर प्रयास कर रही हैं. अंजू राठौर के बागेश्वर पहुंचने पर जिलाधिकारी अनुराधा पाल एवं रेडक्रॉस ने उन्हें कलेक्ट्रेट में सम्मानित किया.

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मैराथन दौड़ने का है लक्ष्य: बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के संदेश को आगे बढ़ाते हुए अंजू राठौर ने अपनी दौड़ उधमसिंह नगर से शुरू की और अभी वह बागेश्वर पहुंची हैं. जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. यहां से वह चमोली के लिए दौड़ लगाएंगी. लोगों ने कहा अंजू महिला सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल है. सभी लोगों ने उनके इस प्रयास की सराहना करते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. अंजू राठौर ने दो हजार किमी दौड़ने का लक्ष्य रखा है, अभी तक अंजू पांच जिलों में दौड़ चुकी हैं. अंजू का लक्ष्य मैराथन दौड़ में भाग लेने का है. इसके लिए उन्होंने 2021 में इंदौर में कोचिंग भी ली है. इस दौड़ के दौरान अंजू राठौर को लोगों द्वारा काफी प्रोत्साहन मिला.

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