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ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि से पहाड़ी क्षेत्रों में खतरा बढ़ा

अल्मोड़ा के जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हो गया है. पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के असर पर चिंता व्यक्त करने के लिए आयोजित किए गए इस सम्मेलन में देश भर के 15 बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया था.

अंतराष्ट्रीय पर्वत दिवस न्यूज अल्मोड़ा में सम्मेलन न्यूज
तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन
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Published : Dec 12, 2019, 12:04 AM IST

अल्मोड़ा: अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के मौके पर जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हो गया है. इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हिमालयी और पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के असर पर चिंता व्यक्त करने के लिए किया गया था. इस सम्मेलन में हिमालयी क्षेत्रों में कार्य कर रहे देश भर के 15 बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया है. जबकि 30 संस्थानों के एक्सपर्ट प्रतिनिधि सेमिनार में मौजूद रहे. वहीं देशभर और नेपाल से 120 हिमालय एक्सपर्ट इस सम्मेलन में मौजूद रहे.

वैज्ञानिक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेसन जयंत बंदोपाध्याय ने बताया कि जिस तेजी से दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है. वह हिमालय और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए खतरे की घंटी है. यदी समय रहते इस सब पर रोक नहीं लगाई तो इसके परिणाम भयावह होंगे. हिमालय हो या दुनिया का कोई भी पहाड़ी क्षेत्र सबके लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है. उन्होंने बताया कि ग्रीन हाउस उत्सर्जन में आ रही बढ़ोतरी के कारण इसका सबसे ज्यादा असर पहाड़ी क्षेत्रों में हो रहा है. जितना तामपान मैदानी क्षेत्रों में बढ़ेगा उससे डेढ़ गुना ज्यादा तामपान पहाड़ी क्षेत्रों में बढेगा.

जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ.

उन्होंने कहा कि ग्रीन हाउस गैसों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिसके जिम्मेदार अमेरिका और चीन जैसे देश हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल ग्रीन हाउस गैस का स्तर 403 पीपी था. जो अब बढ़कर 408 पीपी हो चुका है. इसे कम करने के लिए साल 1992 से लगातार काम चल रहा है. लेकिन ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में और बढ़ोत्तरी हो गयी है. जिससे तापमान और मौसम चक्र बिगड़ गया है.

ये भी पढ़े: देवभूमि की महिलाओं की सुंदरता में चार-चांद लगाती है नथ, दुनिया है मुरीद

निदेशक जीबी पंत पर्यावरण संस्थान आर एस रावल ने बताया कि सम्मेलन में अल्मोड़ा में एक माउंटेन एकेडमी बनाने की भी योजना बनाई गई है. जो सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में कार्य करेगी. इस एकेडमी के माध्यम से सूचनाओं का संकलन किया जाएगा. इस पर्वतीय एकेडमी को शुरू करने के लिए हिमालय पर कार्य कर रहे देश के 15 बड़े संस्थानों का सहयोग मिला है.

अल्मोड़ा: अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के मौके पर जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हो गया है. इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हिमालयी और पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के असर पर चिंता व्यक्त करने के लिए किया गया था. इस सम्मेलन में हिमालयी क्षेत्रों में कार्य कर रहे देश भर के 15 बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया है. जबकि 30 संस्थानों के एक्सपर्ट प्रतिनिधि सेमिनार में मौजूद रहे. वहीं देशभर और नेपाल से 120 हिमालय एक्सपर्ट इस सम्मेलन में मौजूद रहे.

वैज्ञानिक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेसन जयंत बंदोपाध्याय ने बताया कि जिस तेजी से दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है. वह हिमालय और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए खतरे की घंटी है. यदी समय रहते इस सब पर रोक नहीं लगाई तो इसके परिणाम भयावह होंगे. हिमालय हो या दुनिया का कोई भी पहाड़ी क्षेत्र सबके लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है. उन्होंने बताया कि ग्रीन हाउस उत्सर्जन में आ रही बढ़ोतरी के कारण इसका सबसे ज्यादा असर पहाड़ी क्षेत्रों में हो रहा है. जितना तामपान मैदानी क्षेत्रों में बढ़ेगा उससे डेढ़ गुना ज्यादा तामपान पहाड़ी क्षेत्रों में बढेगा.

जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ.

उन्होंने कहा कि ग्रीन हाउस गैसों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिसके जिम्मेदार अमेरिका और चीन जैसे देश हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल ग्रीन हाउस गैस का स्तर 403 पीपी था. जो अब बढ़कर 408 पीपी हो चुका है. इसे कम करने के लिए साल 1992 से लगातार काम चल रहा है. लेकिन ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में और बढ़ोत्तरी हो गयी है. जिससे तापमान और मौसम चक्र बिगड़ गया है.

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निदेशक जीबी पंत पर्यावरण संस्थान आर एस रावल ने बताया कि सम्मेलन में अल्मोड़ा में एक माउंटेन एकेडमी बनाने की भी योजना बनाई गई है. जो सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में कार्य करेगी. इस एकेडमी के माध्यम से सूचनाओं का संकलन किया जाएगा. इस पर्वतीय एकेडमी को शुरू करने के लिए हिमालय पर कार्य कर रहे देश के 15 बड़े संस्थानों का सहयोग मिला है.

Intro:अंतराष्ट्रीय पर्वत दिवस के उपलक्ष्य में अल्मोड़ा के जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हो गया है । इस राष्ट्रीय सम्मेलन में हिमालयी और पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के असर पर चिंता व्यक्त की गई। वैज्ञानिकों ने कहा कि जिस तेजी से दुनिया मे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है ,वह हिमालय और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए खतरे की घंटी है। अगर इसको तत्काल समय रहते रोका नही गया तो इसके परिणाम भयावह होंगे।इस सम्मेलन में हिमालयी क्षेत्रों में कार्य कर रहे देश भर के 15 बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया है। जबकि 30 संस्थानों के एक्सपर्ट प्रतिनिधि सेमीनार में मौजूद रहे। वहीं देश भर और नेपाल से 120 हिमालय एक्सपर्ट इस सम्मेलन में मौजूद रहें ।
Body:वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय क्षेत्र हो या दुनिया का कोई भी पहाड़ी क्षेत्र सबके लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने बताया कि ग्रीन हाउस उत्सर्जन में आ रही बढ़ोतरी के कारण इसका सबसे ज्यादा असर पहाड़ी क्षेत्रों में पड़ रहा है। जितना तामपान मैदानी क्षेत्रों में बढ़ेगा उससे डेढ़ गुना ज्यादा तामपान पहाड़ी क्षेत्रों में बढेगा। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाउस गैसों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसके जिम्मेदार अमेरिका और चीन जैसे देश है। उन्होंने कहा कि पिछले साल ग्रीन हाउस गैस का स्तर 403 पीपी था जो अब बढ़कर 408 पीपी हो चुका है।इसको कम करने के लिए 1992 से लगातार काम चल रहा है लेकिन ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी हो गयी है। जिससे तापमान और मौसम चक्र बिगड़ गया है।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में यहाँ एक माउंटेन एकेडमी बनाने की योजना भी तय हुई है जो सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों पर कार्य करेगी। इस एकेडमी के माध्यम से सूचनाओं का संकलन किया जाएगा। इस पर्वतीय एकेडमी को शुरू करने के लिए हिमालय पर कार्य कर रहे देश के 15 बड़े संस्थानों का सहयोग मिला है।

बाइट जयंत बंदोपाध्याय, वैज्ञानिक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेसन कोलकाता
बाइट आर एस रावल , निदेशक जीबी पंत पर्यावरण संस्थान


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