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जागेश्वर मंदिर में शुरू हुआ श्रावण मेला, भक्तों का लगा तांता

जागेश्वर मंदिर की मान्यता है कि यहां शिव के महामृत्युंजय रूप वाले मंदिर में जाप करने से काल भी टल जाता है. इतिहासकार मानते हैं कि इस मंदिर समूह का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी में कत्यूरी और चंद्र शासकों ने करवाया था.

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Published : Jul 17, 2019, 4:31 PM IST

Updated : Jul 17, 2019, 6:09 PM IST

जागेश्वर मंदिर में शुरू हुआ श्रावण मेला

अल्मोड़ा: प्रदेश के प्रसिद्ध शिव धाम जागेश्वर में आज से श्रावणी मेला शुरू हो चुका है. जिसके चलते श्रावण माह के पहले दिन मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा हुआ है. यह मेला सावन माह में पूरे एक महीने तक चलता है. इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं.

जागेश्वर मंदिर में शुरू हुआ श्रावण मेला

एक माह तक चलने वाले इस मेले के लिए प्रशासन और मेला समिति ने पूरे इंतजाम किए हुए हैं. पूरे मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है. मेला क्षेत्र को 5 सेक्टरों में बांटा गया है. हर सेक्टर में बिजली , पानी, सफाई की व्यवस्था की गई है.

पढे़ं- Exclusive: सील हटाकर लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही जारी, बेखबर प्रशासन

जागेश्वर मंदिर में कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं. लेकिन मुख्य मंदिर भगवान शिव का है. मान्यता है कि शिव के महामृत्युंजय रूप वाले मंदिर में जाप करने से काल भी टल जाता है. इतिहासकार मानते हैं कि इस मंदिर समूह का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी में कत्यूरी और चंद्र शासकों ने करवाया था.

प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपस्थली है. पुराणों में कहा गया है कि भगवान शिव यहां ध्यान के लिए आया करते थे. इस स्थान में कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजा आदि की जाती है. यहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं.

अल्मोड़ा: प्रदेश के प्रसिद्ध शिव धाम जागेश्वर में आज से श्रावणी मेला शुरू हो चुका है. जिसके चलते श्रावण माह के पहले दिन मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा हुआ है. यह मेला सावन माह में पूरे एक महीने तक चलता है. इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं.

जागेश्वर मंदिर में शुरू हुआ श्रावण मेला

एक माह तक चलने वाले इस मेले के लिए प्रशासन और मेला समिति ने पूरे इंतजाम किए हुए हैं. पूरे मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है. मेला क्षेत्र को 5 सेक्टरों में बांटा गया है. हर सेक्टर में बिजली , पानी, सफाई की व्यवस्था की गई है.

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जागेश्वर मंदिर में कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं. लेकिन मुख्य मंदिर भगवान शिव का है. मान्यता है कि शिव के महामृत्युंजय रूप वाले मंदिर में जाप करने से काल भी टल जाता है. इतिहासकार मानते हैं कि इस मंदिर समूह का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी में कत्यूरी और चंद्र शासकों ने करवाया था.

प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपस्थली है. पुराणों में कहा गया है कि भगवान शिव यहां ध्यान के लिए आया करते थे. इस स्थान में कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजा आदि की जाती है. यहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं.

Intro:प्रसिद्ध शिव का धाम जागेश्वर में आज से श्रावणी मेला शुरू हो चुका है। श्रावण माह के पहले दिन आज सुबह से मंदिर में दूर दूर से श्रद्धालुओ का तांता लगा हुआ है। मेले का उद्घाटन उच्चशिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने किया। यह मेला सावन माह में पूरे एक महीने चलता है। सावन के माह में यहाँ लाखो श्रद्धालु पूजा पाठ शिवार्चन,महामृत्युंजय जाप करने पहुचते हैं।
Body:एक माह तक चलने वाले इस मेले के लिए प्रशासन और मेला समिति ने पूरे इंतजाम किए हुए हैं। पूरे मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है। मेला क्षेत्र को 5 सेक्टरों में बांटा गया है। हर सेक्टर में बिजली , पानी, सफाई की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए आरतोला में पार्किंग की व्यवस्था की गई है। वर्षात का सीजन को देखते हुए श्रद्धालुओं के लिए मंदिर समिति ने आरतोला से 200 छतरियों की व्यवस्था की गई जो टोकन द्वारा आसानी से प्राप्त की जा सकती है। वही मेले में जेब कतरो आदि अराजक लोगो से बचाने के लिए पुलिस द्वारा पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

जागेश्वर मंदिर में सभी बड़े देवी देवताओं के मंदिर हैं. लेकिन मुख्य मंदिर भगवान शिव का है। मान्यता है कि शिव के महामृत्युंजय रूप वाले मंदिर में जाप करने से मृत्यु तुल्य कष्ट टल जाते हैं. इतिहासकार मानते हैं कि इन मंदिर समूह का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी में कत्यूरी और चंद्र शासकों ने बनवाया था. इस स्थल के मुख्य मंदिरों में डंडेश्वर मंदिर, चंडीका मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नव दुर्गा मंदिर, नवाग्रह मंदिर, पिरामिड मंदिर शामिल हैं.प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपोस्थली है. पुराणों में कहा जाता है कि भगवान शिव यहां ध्यान के लिए आया करते थे. इस स्थान में कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजा आदि की जाती है. यहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं.

धन सिंह रावत उच्च शिक्षा मंत्री
बाइट हेमंत भट्ट पुजारी जागेश्वर मंदिरConclusion:
Last Updated : Jul 17, 2019, 6:09 PM IST
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