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गर्भवती की मौत मामले में विस उपाध्यक्ष बोले- डेथ ऑडिट के बाद दोषियों पर होगी कार्रवाई - पीसी तिवारी

अल्मोड़ा में इलाज के अभाव में कोसी कटारमल निवासी गर्भवती महिला की आशा देवी की मौत हो गई थी. इस मामले में विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने डेथ ऑडिट कराने की बात कही है.

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रघुनाथ सिंह चौहान
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Published : Aug 22, 2020, 4:19 PM IST

अल्मोड़ा: कोरोना जांच के नाम पर कई अस्पतालों में समय पर इलाज न मिलने के कारण गर्भवती महिला की मौत मामले में विधानसभा उपाध्यक्ष ने गहरी नाराजगी जताई है. विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने जिला अस्पताल पहुंचकर डॉक्टरों के साथ मीटिंग की और इस मामले में डीजी हेल्थ से बात कर डेथ ऑडिट कराने की बात की है. वहीं, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने मामले में सरकार और स्वास्थ्य महकमे को दोषी ठहराते हुए इसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

जानकारी के मुताबिक, कोसी कटारमल निवासी आशा देवी जो कि 5 माह की गर्भवती थी. उसे सांस लेने में दिक्कत होने पर परिजन उसे उपचार के लिए बीते शुक्रवार को अल्मोड़ा नगर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां से अस्पताल की ओर से महिला की पहले कोविड जांच कराने की बात कहकर महिला को जिला अस्पताल भेज दिया.

गर्भवती महिला की मौत मामले में जांच की मांग.

वहीं, जिला अस्पताल ने भी महिला को कोरोना जांच कराने के लिए महिला को बेस अस्पताल भेज दिया. बेस अस्पताल पहुंचकर महिला की कोरोना जांच तो की गई, लेकिन कोरोना की रिपोर्ट के इंतजार में कई घंटे बीत गए. हालांकि, महिला की कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आई, जिसके बाद परिजन उसे लेकर फिर जिला अस्पताल पहुंचे. लेकिन, तब तक इलाज के अभाव में गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया.

ये भी पढ़ेंः अल्मोड़ा: कोरोना जांच के नाम पर अस्पतालों ने गर्भवती को दौड़ाया, हुई मौत

इस मामले पर आज रघुनाथ सिंह चौहान ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इसका डेथ ऑडिट किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों से अस्पताल का ही नाम खराब नहीं होता है बल्कि जिले का नाम बदनाम होता है. ये घटना काफी निंदनीय है.

उधर, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने महिला की इलाज के अभाव में हुई मौत मामले में जिला कलक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा. जिसमें उन्होंने मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि बदहाल स्वस्थ्य व्यवस्था की भेंट 24 साल की गर्भवती आशा चढ़ चुकी है, इसकी जिम्मेदार प्रदेश सरकार और उनका स्वास्थ्य महकमा है. मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

अल्मोड़ा: कोरोना जांच के नाम पर कई अस्पतालों में समय पर इलाज न मिलने के कारण गर्भवती महिला की मौत मामले में विधानसभा उपाध्यक्ष ने गहरी नाराजगी जताई है. विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने जिला अस्पताल पहुंचकर डॉक्टरों के साथ मीटिंग की और इस मामले में डीजी हेल्थ से बात कर डेथ ऑडिट कराने की बात की है. वहीं, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने मामले में सरकार और स्वास्थ्य महकमे को दोषी ठहराते हुए इसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

जानकारी के मुताबिक, कोसी कटारमल निवासी आशा देवी जो कि 5 माह की गर्भवती थी. उसे सांस लेने में दिक्कत होने पर परिजन उसे उपचार के लिए बीते शुक्रवार को अल्मोड़ा नगर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां से अस्पताल की ओर से महिला की पहले कोविड जांच कराने की बात कहकर महिला को जिला अस्पताल भेज दिया.

गर्भवती महिला की मौत मामले में जांच की मांग.

वहीं, जिला अस्पताल ने भी महिला को कोरोना जांच कराने के लिए महिला को बेस अस्पताल भेज दिया. बेस अस्पताल पहुंचकर महिला की कोरोना जांच तो की गई, लेकिन कोरोना की रिपोर्ट के इंतजार में कई घंटे बीत गए. हालांकि, महिला की कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आई, जिसके बाद परिजन उसे लेकर फिर जिला अस्पताल पहुंचे. लेकिन, तब तक इलाज के अभाव में गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया.

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इस मामले पर आज रघुनाथ सिंह चौहान ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इसका डेथ ऑडिट किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों से अस्पताल का ही नाम खराब नहीं होता है बल्कि जिले का नाम बदनाम होता है. ये घटना काफी निंदनीय है.

उधर, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने महिला की इलाज के अभाव में हुई मौत मामले में जिला कलक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा. जिसमें उन्होंने मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि बदहाल स्वस्थ्य व्यवस्था की भेंट 24 साल की गर्भवती आशा चढ़ चुकी है, इसकी जिम्मेदार प्रदेश सरकार और उनका स्वास्थ्य महकमा है. मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

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