अल्मोड़ा: अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने दोबारा जीत दर्ज की है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अल्मोड़ा लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले अजय टम्टा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी प्रदीप टम्टा को मात दी थी. अजय टम्टा की संगठन में सक्रियता और पार्टी कार्यकर्ताओं पर मजबूत पकड़ उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है. दलित नेता के रूप में उभरे अजय टम्टा की छवि निर्विवाद रही है. आइये डालते हैं एक नजर उनके राजनीतिक सफर पर-
अजय टम्टा का सफरनामा
- अजय टम्टा का जन्म 16 जुलाई 1972 को अल्मोड़ा के दुगालखोला गांव में हुआ था.
- अजय टम्टा बीजेपी के युवा चेहरे के साथ-साथ दलित नेता के रूप में उभर कर सामने आएं हैं.
- टम्टा ने राजनीतिक सफर की शुरुआत जिला पंचायत सदस्य के रूप में की थी.
- सबसे पहले अजय टम्टा ने तल्ला तिखून से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था.
- इसके बाद वे 1996 में जिलापंचायत उपाध्यक्ष बने.
- 2002 में उन्होंने सोमेश्वर से निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
- 2007 में विधानसभा चुनाव जीतकर वे फिर विधानसभा पहुंचे.
- अजय टम्टा खंडूरी कैबिनेट में राज्य और कैबिनेट मंत्री बने.
- 2009 में टम्टा ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
- इसके बाद 2012 में टम्टा एक बार फिर विधायक बने.
- 2014 में लोकसभा चुनाव में आरक्षित सीट अल्मोड़ा से उन्हें टिकट मिला, जहां उन्होंने जीत दर्ज की.
- इसके बाद तमाम बड़े नामों के होते हुए भी उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया.
- मोदी कैबिनेट में उन्हें कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया.
- अजय टम्टा उत्तराखंड के पहले दलित नेता हैं, जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिला है.
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अल्मोड़ा सीट की बात सबसे अलग है, क्योंकि यहां मुकाबला 'टम्टा बनाम टम्टा' रहा. दोनों चाचा-भतीजे के बीच हुए इस मुकाबले में अजय ने दो लाख के अंतर से जीत दर्ज की है.