अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी में काफी समय से लोग विकास प्राधिकरण को हटाये जाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. वहीं, सरकार इन मांगों को लेकर खामोश बनी हुई है. सर्वदलीय संघर्ष समिति के लोगों का कहना है कि अल्मोड़ा जैसे भौगौलिक परिस्थिति वाले पहाड़ी जिले और अल्मोड़ा जैसे प्राचीन नगर में विकास प्राधिकरण लगाना उचित नहीं है. विकास प्राधिकरण लगाए जाने से शहर समेत गांवों तक में लोगों को मकान बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सर्वदलीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने बताया कि सरकार ने मैदानी जिलों के नियमों को पहाड़ी क्षेत्रों में जबरन थोप दिया है. जबकि पहाड़ और मैदान की भू-संरचना में जमीन-आसमान का फर्क है. अल्मोड़ा जबकि प्राचीन समय मे बसा हुआ शहर है. जहां शहर के अंदर सीढ़ीदार रास्ते है, वहां सरकार मैदानों वाले नियमों को थोपकर जनता को परेशान करने का काम कर रही है. इसको लेकर वो विकास प्राधिकरण का काफी समय से विरोध कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें: निजी दौरे पर उत्तराखंड पहुंची उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, नैनीताल की वादियों का उठाएंगी लुत्फ
बता दें कि विकास प्राधिकरण के खिलाफ आंदोलन को लेकर अल्मोड़ा में सर्वदलीय संघर्ष समिति को लगभग डेढ़ साल पूरा हो चुका है. लेकिनस अभी तक सरकार द्वारा उनकी मांगों पर कोई समाधान नहीं निकाला गया है. पहाड़ी जिलों में विकास प्राधिकरण लगाने से लोगों को मकान बनाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. विकास प्राधिकरण की कई दिक्कतों से परेशान होकर बीते 2 माह पहले बागेश्वर के एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली थी.