अल्मोड़ा: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक हीरा सिंह राणा का आज 77 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन के बाद कलाकारों के साथ ही सामाजिक और राजनैतिक आंदोलनों से जुड़े लोग भी व्यथित हैं. हीरा सिंह राणा की पहचान ना केवल लोक गायक के तौर पर थी बल्कि उत्तराखंड और पहाड़ के जनआंदोलनों को लेकर भी उनको जाना जाता था.
हीरा सिंह राणा तमाम समाजिक और राजनैतिक जनांदोलनों के मंच पर अक्सर देखे जाते थे. उनके गाए हुए गीत आंदोलनकारियों को एक हिम्मत का अहसास कराते थे. उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष और आंदोलकारी पीसी तिवारी ने बताया कि वे एक महान लोक कलाकार थे. उनके व्यक्तित्व, गीतों और आवाज का जादू पहाडों से निकलने वाली ठंडी हवाओं की तरह सकून देता था. हीरा सिंह राणा के निधन से पीसी तिवारी दुखी और स्तब्ध हैं. उन्होंने बताया कि हीरा सिंह राणा पहाड़ की अस्मिता के तौर भी जाने जाते थे. वह समाज के दुश्मनों की पहचान और उनसे लड़ने की प्रेरणा देते थे.
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यादों में गूंजेंगे हीरा सिंह राणा के गीत...
आंदोलकारी पीसी तिवारी ने बताया कि हीरा सिंह राणा का गाया गीत 'लसके कमर बांधा हिम्मत का साथा' आज भी समाज को हिम्मत के साथ अपने हितों के लिए लड़ने की प्रेरणा देता है. उनके गीत आगे भी समाज को प्रेरणा देते रहेंगे. पीसी तिवारी ने बताया कि 15-16 जून 2013 को उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के रुद्रपुर में हुए दूसरे महाधिवेशन में हीरा सिंह राणा मुख्य अतिथि थे. उनसे अंतिम मुलाकात दिसंबर 2019 को सेंट्रल पार्क दिल्ली में आयोजित कुमाऊंनी, गढ़वाली, जौनसारी एकेडमी के कार्यक्रम में हुई थी. उनकी रचनाएं, गीत और आवाज पहाड़ के विरोधियों और जन विरोधी नीतियां चलाने वालों की पहचान कराते रहेंगे.