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युवाओं के लिए नजीर पेश कर रहे जगत सिंह, काश्तकारी को बनाया रोजगार का जरिया - developing self employment Someshwar

कोरोनाकाल में कई युवाओं को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा और अपने गांव की तरफ लौटना पड़ा. ऐसी ही कहानी है सोमेश्वर के जगत सिंह की. जिन्होंने नौकरी खोने के बाद भी हार नहीं मानी और मूली उत्पादन कर अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं.

स्वरोजगार के क्षेत्र में नजीर पेश कर रहा युवा
स्वरोजगार के क्षेत्र में नजीर पेश कर रहा युवा
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Published : Oct 21, 2020, 12:49 PM IST

सोमेश्वर: प्रदेश में कोरोनाकाल में महानगरों से नौकरी छोड़ अपने गांव लौटे प्रवासी युवा अब कृषि और उद्यानीकरण से स्वरोजगार की राह अपना रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूटने पर डौनी गांव के एक ऐसे ही युवा जगत सिंह ने अपने बंजर पड़े खेतों में मूली उगाकर बेरोजगारों को स्वरोजगार का संदेश दिया है. बेरोजगारी की मार झेल रहे इस युवा ने अब तक कई कुंतल मूली बेच दी है. अब भी उनके बगीचे में सैकड़ों कुंतल मूली पड़ी हुई है.

मुंबई में प्राइवेट नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले जगत सिंह ने गांव में ही मूली उगाकर स्वरोजगार विकसित करने की ठान ली है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते उन्हें मुंबई से अपना काम छोड़कर घर वापस आना पड़ा. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने बंजर पड़े खेतों में मूली उगाकर स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाए. उन्होंने अबतक कई कुंतल मूली बेच दी है. वह 10 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से अपने बगीचे में मूली की बिक्री कर रहे हैं. अबतक उन्होंने मूली बेचकर 50,000 से अधिक रुपए कमा लिए हैं.

पढ़ें- त्योहारी सीजन में मिलावट खोरों की खैर नहीं, खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमें करेंगी छापेमारी

उन्होंने बेरोजगार युवाओं से परिश्रम के साथ स्वरोजगार को अपनाने की अपील की. उन्होंने आगे कहा कि अगर साधनों का सदुपयोग और परिश्रम से बागवानी और कृषि या पशुपालन का काम किया जाए तो इससे अच्छी आमदनी अर्जित की जा सकती है. वहीं, धोनी गांव के युवा सामाजिक कार्यकर्ता किशन सिंह मेहरा ने कहा कि जगत सिंह की मेहनत आज के परिपेक्ष में बेरोजगारों के लिए प्रेरणाश्रोत है.

सोमेश्वर: प्रदेश में कोरोनाकाल में महानगरों से नौकरी छोड़ अपने गांव लौटे प्रवासी युवा अब कृषि और उद्यानीकरण से स्वरोजगार की राह अपना रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूटने पर डौनी गांव के एक ऐसे ही युवा जगत सिंह ने अपने बंजर पड़े खेतों में मूली उगाकर बेरोजगारों को स्वरोजगार का संदेश दिया है. बेरोजगारी की मार झेल रहे इस युवा ने अब तक कई कुंतल मूली बेच दी है. अब भी उनके बगीचे में सैकड़ों कुंतल मूली पड़ी हुई है.

मुंबई में प्राइवेट नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले जगत सिंह ने गांव में ही मूली उगाकर स्वरोजगार विकसित करने की ठान ली है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते उन्हें मुंबई से अपना काम छोड़कर घर वापस आना पड़ा. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने बंजर पड़े खेतों में मूली उगाकर स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाए. उन्होंने अबतक कई कुंतल मूली बेच दी है. वह 10 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से अपने बगीचे में मूली की बिक्री कर रहे हैं. अबतक उन्होंने मूली बेचकर 50,000 से अधिक रुपए कमा लिए हैं.

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उन्होंने बेरोजगार युवाओं से परिश्रम के साथ स्वरोजगार को अपनाने की अपील की. उन्होंने आगे कहा कि अगर साधनों का सदुपयोग और परिश्रम से बागवानी और कृषि या पशुपालन का काम किया जाए तो इससे अच्छी आमदनी अर्जित की जा सकती है. वहीं, धोनी गांव के युवा सामाजिक कार्यकर्ता किशन सिंह मेहरा ने कहा कि जगत सिंह की मेहनत आज के परिपेक्ष में बेरोजगारों के लिए प्रेरणाश्रोत है.

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