सोमेश्वर: देवभूमि के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शताब्दियों से चली आ रही परम्परा और संस्कृति जीवित है. इसी की झलक ग्रामीण क्षेत्रों की होलियों में देखने को मिलता है. बदलते परिवेश में आज भी पुरुषों की खड़ी होलियों और महिलाओं की होलियों में प्राचीन परंपरा झलकती है.
बौरारौ घाटी में होली महोत्सव की शुरूआत चीर बंधन और मन्दिरों में देव होलियों के गायन के साथ हो गई है. शुक्रवार सुबह से लगातार हो रही बारिश के बावजूद क्षेत्र के सभी गांवों में खड़ी होलियों में होल्यारों ने बृज और मथुरा के प्राचीन और परंपरागत होलियों का गायन ढोल और मंजीरों आदि वाद्य यंत्रों की थाप पर किया जा रहा है.
वहीं, दूसरी ओर महिला होल्यारों की टोलियां भी होली का घर-घर गायन कर रही हैं. खीराकोट में वरिष्ठ होली डांगर हीरा सिंह भाकुनी के नेतृत्व में गोलू मन्दिर, कालिका मन्दिर और हरज्यू मन्दिर में शानदार खड़ी देव होलियों का गायन किया गया.
ये भी पढ़ें: अबीर गुलाल के त्योहार की तैयारियां शुरू, रंगों से सजे बाजार
दूसरी ओर महिलाओं की होलियों में लोकगीत, झोड़े, चाचरी के साथ परंपरागत कुमाउंनी होलियों का गायन क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में किया जा रहा है. शनिवार को महिलाओं की होली टीम ने चनौदा के राम निवास में जमकर रंगों की होली खेली और महिला होल्यारों ने स्वांग कर खूब मनोरंजन किया. बता दें कि सोमेश्वर, मनसा घाटी, लोद घाटी, रनमन, मनान, ताकुला और बसौली के सभी गांवों में हर साल होली पर्व एकादशी से होलिका दहन तक धूमधाम से मनाया जाता है.