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वायरल पत्र पर बोले कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति, कहा- मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं

कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति केएस राणा का कहना है कि उन्होंने कभी भी उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के जिलों को शामिल किए जाने की बात नहीं कही है. उनके नाम से वायरल किया गया पत्र 3 साल पुराना है. उन्होंने कहा कि अगर वे राजनीतिक व्यक्ति होते तो ऐसा कह सकते थे, लेकिन वह अकादमिक व्यक्ति हैं.

कुलपति केएस राणा.
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Published : Sep 29, 2019, 8:09 PM IST

अल्मोड़ा: कुछ दिनों पहले कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को उत्तराखंड में शामिल किए जाने वाले पत्र को लेकर विवादों में घिर गये थे. जिसके बाद अब प्रोफेसर केएस राणा अपने विवादास्पद टिप्पणी से पलटी मारते नजर आ रहे हैं. प्रोफेसर राणा का कहना है कि जो पत्र पिछले दिनों उनके नाम से वायरल हुआ था, वह 3 साल पुराना है.

कुलपति केएस राणा .

जिले में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केएस राणा ने वायरल पत्र के जवाब में अपनी राय रखी. उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के जिलों को शामिल किए जाने की बात नहीं कही है. उनके नाम से वायरल किया गया पत्र 3 साल पुराना है.

पढे़ं- DIGI लॉकर में सेव रखें कागजात, नहीं कटेगा चालान

कुलपति प्रोफेसर केएस राणा ने कहा कि वह कभी भी उत्तराखंड में यूपी के जिलों को शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं रहे. कुलपति ने बताया कि वह कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं, जो इस तरह की सिफारिशी पत्र के माध्यम से भेजेंगे. प्रोफेसर राणा ने कहा कि पत्र को गलत तरीके से वायरल कर एक संपादक ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, जिस पर उन्होंने संपादक को नोटिस जारी कर दिया है.

बता दें कि पिछले दिनों सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों को उत्तराखंड में मिलाए जाने का पत्र कुलपति के नाम से वायरल हुआ था. जिसके बाद तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं, प्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों ने कुलपति के बयान की निंदा की थी. साथ ही उनके इस्तीफे तक की मांग की थी.

अल्मोड़ा: कुछ दिनों पहले कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को उत्तराखंड में शामिल किए जाने वाले पत्र को लेकर विवादों में घिर गये थे. जिसके बाद अब प्रोफेसर केएस राणा अपने विवादास्पद टिप्पणी से पलटी मारते नजर आ रहे हैं. प्रोफेसर राणा का कहना है कि जो पत्र पिछले दिनों उनके नाम से वायरल हुआ था, वह 3 साल पुराना है.

कुलपति केएस राणा .

जिले में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केएस राणा ने वायरल पत्र के जवाब में अपनी राय रखी. उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के जिलों को शामिल किए जाने की बात नहीं कही है. उनके नाम से वायरल किया गया पत्र 3 साल पुराना है.

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कुलपति प्रोफेसर केएस राणा ने कहा कि वह कभी भी उत्तराखंड में यूपी के जिलों को शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं रहे. कुलपति ने बताया कि वह कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं, जो इस तरह की सिफारिशी पत्र के माध्यम से भेजेंगे. प्रोफेसर राणा ने कहा कि पत्र को गलत तरीके से वायरल कर एक संपादक ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, जिस पर उन्होंने संपादक को नोटिस जारी कर दिया है.

बता दें कि पिछले दिनों सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों को उत्तराखंड में मिलाए जाने का पत्र कुलपति के नाम से वायरल हुआ था. जिसके बाद तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं, प्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों ने कुलपति के बयान की निंदा की थी. साथ ही उनके इस्तीफे तक की मांग की थी.

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उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को उत्तराखंड में शामिल किए जाने को लेकर पिछले दिनों विवादों से सुर्खियां बटोर चुके कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के .एस .राणा अब अपने विवादास्पद टिप्पणी से पलटी मारते नजर आ रहे हैं ।प्रोफेसर राणा का कहना है कि जो पत्र पिछले दिनों उनके नाम से वायरल हुआ वह 3 साल पुराना है। उन्होंने कहा कि वह संवेदनशील मुद्दे पर कोई भी बयानबाजी नहीं करना चाहते हैं । यदि वे राजनीतिक व्यक्ति होते तो कर सकते थे, लेकिन वह अकादमिक व्यक्ति हैं।




Body:अल्मोड़ा में एक कार्यक्रम में प्रतिभाग करने पहुंचे कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.एस .राणा ने वायरल पत्र के जवाब में अपनी राय रखी। उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के जिलों को शामिल किए जाने की बात नहीं कही। उनके नाम से वायरल किया गया पत्र 3 साल पुराना है, जो पार्टी फोरम में कैसे केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है पर राय मांगी गई थी। जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने में अपनी राय लिखी थी ,उन्होंने कहा कि पत्र के माध्यम से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए यूपी के कुछेक जिलों को राजधानी में मिलाया जाने की अपनी बात रखी थी। कहा कि वह कभी भी उत्तराखंड में यूपी के जिलों को शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं रहे ।वह कोई राजनीतिक व्यक्ति थोड़ी है जो इस तरह की सिफारिश पत्र के माध्यम से भेजेंगे। प्रोफेसर राणा ने कहा कि पत्र को गलत तरीके से वायरल कर एक संपादक ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया जिस पर उन्होंने नोटिस जारी किया है।
बता दें कि पिछले दिनों सोशल मीडिया में उत्तर प्रदेश के बिजनौर सहारनपुर ,मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों को उत्तराखंड में मिलाए जाने का पत्र कुलपति के नाम से वायरल होने के बाद जब वह मीडिया के द्वारा सामने आया तो उसके बाद तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं प्रतिनिधियों एवं राजनीतिक दलों ने कुलपति के बयान की निंदा की थी और उनके इस्तीफे की मांग तक कर डाली थी।

बाइट प्रो के एस राणा, कुलपति कुमाऊं विवि



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