अल्मोड़ा: कुछ दिनों पहले कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को उत्तराखंड में शामिल किए जाने वाले पत्र को लेकर विवादों में घिर गये थे. जिसके बाद अब प्रोफेसर केएस राणा अपने विवादास्पद टिप्पणी से पलटी मारते नजर आ रहे हैं. प्रोफेसर राणा का कहना है कि जो पत्र पिछले दिनों उनके नाम से वायरल हुआ था, वह 3 साल पुराना है.
जिले में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केएस राणा ने वायरल पत्र के जवाब में अपनी राय रखी. उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के जिलों को शामिल किए जाने की बात नहीं कही है. उनके नाम से वायरल किया गया पत्र 3 साल पुराना है.
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कुलपति प्रोफेसर केएस राणा ने कहा कि वह कभी भी उत्तराखंड में यूपी के जिलों को शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं रहे. कुलपति ने बताया कि वह कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं, जो इस तरह की सिफारिशी पत्र के माध्यम से भेजेंगे. प्रोफेसर राणा ने कहा कि पत्र को गलत तरीके से वायरल कर एक संपादक ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, जिस पर उन्होंने संपादक को नोटिस जारी कर दिया है.
बता दें कि पिछले दिनों सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों को उत्तराखंड में मिलाए जाने का पत्र कुलपति के नाम से वायरल हुआ था. जिसके बाद तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं, प्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों ने कुलपति के बयान की निंदा की थी. साथ ही उनके इस्तीफे तक की मांग की थी.