अल्मोड़ाः कहा जाता है मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है. हर जीव की मदद करना ही सबसे बड़ा मानव धर्म है. इसी को चरितार्थ कर रहीं हैं कामिनी कश्यप, जिन्होंने बेजुबानों की सेवा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है. इतना ही नहीं पशु प्रेम में वो इतना भावविहल हो जाती है कि दुनिया की सारी खुशियां उनके आगे उन्हें बौनी लगती हैं. वहीं, ताउम्र अविवाहित रहने का फैसला कर समाज के विचारों को दरकिनार कर एक मिसाल कायम की है.
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मूल रूप से अल्मोड़ा की रहने वाली कामिनी कश्यप बीते 30 सालों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं. पशु प्रेम में कामिनी ने अपनी सारी खुशियां कुर्बान कर दी. आज शहर में कहीं आवारा गाय, भैंस या कुत्ते घायल हो जाएं तो लोग सबसे पहले उन्हें इसकी सूचना देते हैं. कामिनी कश्यप तुरंत मौके पर पहुंचकरघायल जानवरों को अपने घर लाकर उनका इलाज करती हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कामिनी कश्यप ने बताया कि वो बीते 1986 से पशुओं के लिए काम करती आ रही हैं. वो अपनी बहन के बेटे और बहू के साथ शहर में खोल्टा मोहल्ले में रहती हैं. उनका कहना है कि पशु सेवा में पूरा परिवार उनका साथ देता है. उन्होंने आज अपने घर में 50 कुत्ते,13 भैंस, 32 गाय और एक दर्जन बकरे समेत कई जानवर पाले हुए हैं. उनका कहना है कि इस कार्य में उन्हें बीते 30 सालों से ज्यादा का वक्त हो चुका है. साथ ही बतातीं हैं कि अभी तक उन्हें सरकार और शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, लेकिन अपने प्रयासों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं.
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कामिनी बताती है कि शाम को कोर्ट से आने के बाद सीधे पशुओं की देखभाल करती हैं. जानवरों को चारा पत्ती और खाना खिलाने के बाद ही खुद खाना खाती हैं.पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप को अब तक राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर पशु प्रेम को देखते हुए कई बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है. कामिनी बीते 2005 में पशु कल्याण बोर्ड की सदस्य भी रह चुकीं हैं. अभी पीपल फॉर एनिमल्स, राष्ट्रीय गौ सेवा समिति के सदस्य भी हैं.