ETV Bharat / state

बेजुबानों की सेवा के लिए कुर्बान कर दी अपनी खुशियां, मां की ममता से भरा है दामन, कुछ ऐसी है कामिनी की कहानी - हल्द्वानी न्यूज,

बेजुबानों को नई जिंदगी और सहारा देकर कामिनी कश्यप कर रहीं मानवता की नई मिसाल पेश. इसी के बदौलत पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप को अब तक राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर पशु प्रेम को देखते हुए कई बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है.

पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप
author img

By

Published : Mar 2, 2019, 12:12 PM IST

अल्मोड़ाः कहा जाता है मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है. हर जीव की मदद करना ही सबसे बड़ा मानव धर्म है. इसी को चरितार्थ कर रहीं हैं कामिनी कश्यप, जिन्होंने बेजुबानों की सेवा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है. इतना ही नहीं पशु प्रेम में वो इतना भावविहल हो जाती है कि दुनिया की सारी खुशियां उनके आगे उन्हें बौनी लगती हैं. वहीं, ताउम्र अविवाहित रहने का फैसला कर समाज के विचारों को दरकिनार कर एक मिसाल कायम की है.

पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप

पढ़ें-आयकर विभाग का छापा: दुकान खुलते ही बाहर खड़ी थी पुलिस, मालिक के उड़े होश

मूल रूप से अल्मोड़ा की रहने वाली कामिनी कश्यप बीते 30 सालों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं. पशु प्रेम में कामिनी ने अपनी सारी खुशियां कुर्बान कर दी. आज शहर में कहीं आवारा गाय, भैंस या कुत्ते घायल हो जाएं तो लोग सबसे पहले उन्हें इसकी सूचना देते हैं. कामिनी कश्यप तुरंत मौके पर पहुंचकरघायल जानवरों को अपने घर लाकर उनका इलाज करती हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कामिनी कश्यप ने बताया कि वो बीते 1986 से पशुओं के लिए काम करती आ रही हैं. वो अपनी बहन के बेटे और बहू के साथ शहर में खोल्टा मोहल्ले में रहती हैं. उनका कहना है कि पशु सेवा में पूरा परिवार उनका साथ देता है. उन्होंने आज अपने घर में 50 कुत्ते,13 भैंस, 32 गाय और एक दर्जन बकरे समेत कई जानवर पाले हुए हैं. उनका कहना है कि इस कार्य में उन्हें बीते 30 सालों से ज्यादा का वक्त हो चुका है. साथ ही बतातीं हैं कि अभी तक उन्हें सरकार और शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, लेकिन अपने प्रयासों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं.

undefined

पढ़ें-महिला दिवस विशेषः मुसीबत भी नहीं तोड़ पाई तनुजा के हौसले, शहर को बना दिया गुलमोहर सिटी

कामिनी बताती है कि शाम को कोर्ट से आने के बाद सीधे पशुओं की देखभाल करती हैं. जानवरों को चारा पत्ती और खाना खिलाने के बाद ही खुद खाना खाती हैं.पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप को अब तक राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर पशु प्रेम को देखते हुए कई बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है. कामिनी बीते 2005 में पशु कल्याण बोर्ड की सदस्य भी रह चुकीं हैं. अभी पीपल फॉर एनिमल्स, राष्ट्रीय गौ सेवा समिति के सदस्य भी हैं.

अल्मोड़ाः कहा जाता है मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है. हर जीव की मदद करना ही सबसे बड़ा मानव धर्म है. इसी को चरितार्थ कर रहीं हैं कामिनी कश्यप, जिन्होंने बेजुबानों की सेवा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है. इतना ही नहीं पशु प्रेम में वो इतना भावविहल हो जाती है कि दुनिया की सारी खुशियां उनके आगे उन्हें बौनी लगती हैं. वहीं, ताउम्र अविवाहित रहने का फैसला कर समाज के विचारों को दरकिनार कर एक मिसाल कायम की है.

पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप

पढ़ें-आयकर विभाग का छापा: दुकान खुलते ही बाहर खड़ी थी पुलिस, मालिक के उड़े होश

मूल रूप से अल्मोड़ा की रहने वाली कामिनी कश्यप बीते 30 सालों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं. पशु प्रेम में कामिनी ने अपनी सारी खुशियां कुर्बान कर दी. आज शहर में कहीं आवारा गाय, भैंस या कुत्ते घायल हो जाएं तो लोग सबसे पहले उन्हें इसकी सूचना देते हैं. कामिनी कश्यप तुरंत मौके पर पहुंचकरघायल जानवरों को अपने घर लाकर उनका इलाज करती हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कामिनी कश्यप ने बताया कि वो बीते 1986 से पशुओं के लिए काम करती आ रही हैं. वो अपनी बहन के बेटे और बहू के साथ शहर में खोल्टा मोहल्ले में रहती हैं. उनका कहना है कि पशु सेवा में पूरा परिवार उनका साथ देता है. उन्होंने आज अपने घर में 50 कुत्ते,13 भैंस, 32 गाय और एक दर्जन बकरे समेत कई जानवर पाले हुए हैं. उनका कहना है कि इस कार्य में उन्हें बीते 30 सालों से ज्यादा का वक्त हो चुका है. साथ ही बतातीं हैं कि अभी तक उन्हें सरकार और शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, लेकिन अपने प्रयासों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं.

undefined

पढ़ें-महिला दिवस विशेषः मुसीबत भी नहीं तोड़ पाई तनुजा के हौसले, शहर को बना दिया गुलमोहर सिटी

कामिनी बताती है कि शाम को कोर्ट से आने के बाद सीधे पशुओं की देखभाल करती हैं. जानवरों को चारा पत्ती और खाना खिलाने के बाद ही खुद खाना खाती हैं.पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप को अब तक राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर पशु प्रेम को देखते हुए कई बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है. कामिनी बीते 2005 में पशु कल्याण बोर्ड की सदस्य भी रह चुकीं हैं. अभी पीपल फॉर एनिमल्स, राष्ट्रीय गौ सेवा समिति के सदस्य भी हैं.

Intro:वकालत के साथ अल्मोड़ा की कामिनी कश्यप पिछले 30 वर्षों से पशुओ की सेवा में जुटी हुई है। पशुप्रेम में कामिनी कश्यप ने अपनी सारी खुशियां जहां कुर्बान कर दी वही ताउम्र अविवाहित रहने का फैसला कर समाज के विचारों को दरकिनार कर एक मिसाल कायम की। इसी पशुप्रेम के कारण उन्हें आज राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर कई पुरूष्कार मिल चुके है।


Body: आज शहर में यदि कहीं आवारा गाय, भैंस या कुत्ते घायल हो जाए तो लोग सबसे पहले उन्हें इसकी सूचना देते हैं। और वह फौरन उस जगह पहुचकर उन घायल जानवरो को अपने घर लाकर उनका इलाज करती हैं। उनके अंदर की ममता ही है जो सभी को अपने घर में समेट लेती है । सुबह घर से निकलने के बाद शाम को जब वह कोर्ट से घर आती है तो या पशु अपने प्रेम का प्रदर्शन ऐसे करते हैं जैसे इनके खुद के बच्चे हों। इनके प्रेम का असर यह है कि यह बिना जानवरों को खिलाएं खाना नहीं खाती। वहीं जानवरो की पीड़ा देखकर सामने वाले से भी दो-दो हाथ करने में नहीं कतराती हैं । अल्मोड़ा की एकमात्र पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप को अब तक राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर पशु प्रेम को देखते हुए अनेको बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है वह पीपल फॉर एनिमल्स, राष्ट्रीय गौ सेवा समिति के सदस्य भी हैं। कामिनी कश्यप ने बताया कि वह वर्ष 1986 से पशुओं के लिए काम कर रही हैं सड़क पर घायल होकर तड़प रहे पशुओं को देखकर उनके मन में प्रेम उमड़ पड़ता है। कई बार वह जानवरो को लेकर शासन और प्रशासन से भी टकरा चुकी हैं लेकिन जीत हर बार इनकी हुई। उनका ही प्रयास रहा कि जिले के किसी भाग में वह शहर में अब तक स्लॉटर हाउस नहीं संचालित किया जा सका। इस पशु प्रेम के सामने अपनी जिंदगी विवाह नही करने का फैसला लिया । आज वह अपनी बहन के बेटे और बहू के साथ शहर में खोल्टा मोहल्ले में रह रही है। इस पशु सेवा में पूरा परिवार उनकी तन्मयता के साथ देता है। वह पशु कल्याण बोर्ड की सदस्य भी 2005 में रह चुकी है। उन्होंने आज अपने घर मे 50 कुत्ते ,13 भैंस, 32 गाय, और एक दर्जन बकरे सहित कई जानवर पाल रखे हैं। उनका कहना है कि वह विगत 30 सालो से जानवरो की सेवा में जुटी हुई हैं। इसके लिए अभी तक उन्हें सरकार और शासन प्रशासन से कोई मदद नही मिली । वह खुद के प्रयासों से उनकी सेवा में जुटी हुई हैं।
पशुप्रेम में वह इतना भावविहल हो जाती है कि संसार की सारी खुशियां उनके आगे उन्हें बौनी लगती है।उनका मानना है कि पशु सिर्फ प्रेम की भाषा समझते हैं।

बाइट- कामिनी कश्यप, पशुप्रेमी


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.