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जागेश्वर धाम में तपस्या में लीन हुए भगवान शिव, 51 लीटर शुद्ध घी से ढका गया ज्योतिर्लिंग

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Published : Jan 15, 2020, 7:54 PM IST

जागेश्वर धाम में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को एक माह के लिए घी से ढक दिया गया है. मान्यता के अनुसार यहां भगवान भोलेनाथ मकर संक्रांति के दिन से एक माह की तपस्या के लिए गुफा में लीन हो जाते हैं.

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घी से ढ़का भगवान शिव का ज्योर्तिलिंग.

अल्मोड़ा: विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को परंपरा के मुताबिक एक माह के लिए घी से ढक दिया गया है. वहीं, अब एक माह बाद फाल्गुन मास की संक्रांति के दिन भक्तों को भगवान शिव के दर्शन कराने के लिए शिवलिंग को खोल दिया जाएगा. फिलहाल, श्रद्धालु घी से ढके हुए ज्योतिर्लिंग पर ही जल अर्पित करेंगे. यद देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां ज्योतिर्लिंग को एक माह के लिए घी से ढक दिया जाता है.

जागेश्वर धाम में एक माह की तपस्या में लीन हुए भगवान शिव.

प्राचीन काल से चली आ रही मान्यता के अनुसार यहां भगवान भोलेनाथ मकर संक्रांति के दिन से एक माह की तपस्या के लिए गुफा में लीन हो जाते हैं. परंपरा के अनुसार प्रत्येक मकर संक्रांति के अवसर पर गाय के घी को खौलते पानी में उबालकर शुद्ध किया जाता है. इसके बाद घी से ज्योतिर्लिंग को ढककर गुफा का रूप दिया जाता है. इसी क्रम में इस बार भी 51 लीटर घी से भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को ढक दिया गया है. वहीं, आज मकर संक्रांति के दिन जागेश्वर धाम में जनेऊ संस्कार, चूड़ाकर्म, यज्ञोपवीत आदि धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए गए.

ये भी पढ़ें: सबरीमाला मंदिर से मकर ज्योति दर्शनम LIVE

मंदिर के पुजारी हेमंत भट्ट ने बताया कि आज मकर संक्रांति के दिन से एक माह बाद फाल्गुन मास की संक्रांति पर शिवलिंग के दर्शन होंगे. उसी दिन घी से बनाए गए गुफा रूपी शिवलिंग को प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है. मान्यता है कि इस गुफा के प्रसाद रूपी घी को सर पर रखने से कई गंभीर बीमारियां दूर हो जाती है.

अल्मोड़ा: विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को परंपरा के मुताबिक एक माह के लिए घी से ढक दिया गया है. वहीं, अब एक माह बाद फाल्गुन मास की संक्रांति के दिन भक्तों को भगवान शिव के दर्शन कराने के लिए शिवलिंग को खोल दिया जाएगा. फिलहाल, श्रद्धालु घी से ढके हुए ज्योतिर्लिंग पर ही जल अर्पित करेंगे. यद देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां ज्योतिर्लिंग को एक माह के लिए घी से ढक दिया जाता है.

जागेश्वर धाम में एक माह की तपस्या में लीन हुए भगवान शिव.

प्राचीन काल से चली आ रही मान्यता के अनुसार यहां भगवान भोलेनाथ मकर संक्रांति के दिन से एक माह की तपस्या के लिए गुफा में लीन हो जाते हैं. परंपरा के अनुसार प्रत्येक मकर संक्रांति के अवसर पर गाय के घी को खौलते पानी में उबालकर शुद्ध किया जाता है. इसके बाद घी से ज्योतिर्लिंग को ढककर गुफा का रूप दिया जाता है. इसी क्रम में इस बार भी 51 लीटर घी से भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को ढक दिया गया है. वहीं, आज मकर संक्रांति के दिन जागेश्वर धाम में जनेऊ संस्कार, चूड़ाकर्म, यज्ञोपवीत आदि धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए गए.

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मंदिर के पुजारी हेमंत भट्ट ने बताया कि आज मकर संक्रांति के दिन से एक माह बाद फाल्गुन मास की संक्रांति पर शिवलिंग के दर्शन होंगे. उसी दिन घी से बनाए गए गुफा रूपी शिवलिंग को प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है. मान्यता है कि इस गुफा के प्रसाद रूपी घी को सर पर रखने से कई गंभीर बीमारियां दूर हो जाती है.

Intro:विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर में भगवान शिव के ज्योर्तिलिंग को आज परंपरा के मुताबिक एक माह के लिए घी से ढक दिया गया है। मकर संक्रांति पर्व के मौके पर भोग पूजन के दौरान ज्योर्तिलिंग को 51 किलो गाय के घी को पानी में उबालकर शुद्ध रूप देते हुए गुफा का रूप देकर ढक दिया गया है। एक माह बाद संक्रांति के दिन शिवलिंग को भक्तजनों के लिए खोल दिया जाएगा। फिलहाल श्रद्धालु ढके ज्योतिर्लिंग पर ही जल अर्पित करेंगे। मान्यता है कि आज से एक माह तक भगवान शिव तपस्या में लीन रहेंगे। यह विधान हर वर्ष परंपरा के साथ जागेश्वर धाम में ही किया जाता है। यद देश का एकमात्र एेसा मंदिर है जहां ज्योतिर्लिंग को एक माह के लिए घी से ढक दिया जाता है।


Body:प्राचीन काल से चली आ रही मान्यता के अनुसार यहाँ भगवान भोलेनाथ मकर संक्रांति के दिन एक माह के लिए गुफा में तपस्या में लीन हो जाते हैं। प्राचीन परंपरा के अनुसार प्रत्येक माघ मास की संक्रांति के अवसर पर गाय के घी को खौलते पानी में उबालकर शुद्ध किया जाता है। इसके बाद घी से ज्योर्तिलिंग को ढककर गुफा का रूप दिया जाता है। मंदिर के पुजारी हेमंत भट्ट ने बताया कि अब एक माह बाद फाल्गुन मास की संक्रांति पर शिवलिंग के दर्शन होंगे। उस दिन गुफा रूपी शिवलिंग को प्रसाद रूप में भक्तों को बांटा जाता है। यह मान्यता है कि इस गुफा के प्रसाद रूपी घी को माथे या सर पर मलने पर कई गंभीर बीमारियां दूर हो जाती है।
वही आज मकर संक्रांति के दिन जागेश्वर धाम में जनेऊ संस्कार, चूड़ाकर्म, यज्ञोपवीत आदि धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किये गए।

बाइट हेमंत भट्ट , पुजारी जागेश्वरConclusion:
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