सोमेश्वर: बौरारौ घाटी में पिछले महीने बादल फटने से बड़ी तबाही हुई थी. इस दौरान कोसी नदी की तमाम सिंचाई नहरों भी ध्वस्त हो गई थी. किसानों का आरोप है कि सिंचाई विभाग ने डेढ़ माह बीतने के बाद भी नहरों की सुध नहीं ली है. जिस कारण उनकी धान की पौंध और आलू की फसल सूख रही है.
बीते महीने दैवीय आपदा के बाद बौरारौ घाटी में कई नदियां उफान पर आ गई थी. जिससे कई सिंचाई नहरें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी. सिंचाई विभाग की गांधी आश्रम के समीप से निकलने वाली चनौदा सिंचाई गूल का हेड भी पूरा क्षतिग्रस्त हो गया है, जिस कारण किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है और उनकी फसल सूखने की कगार पर है.
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बूंगा के ग्राम प्रधान रमेश सिंह भाकुनी ने कहा कि आलू, प्याज, लहसुन और गेहूं की फसल पहले अतिवृष्टि और ओलावृष्टि की कारण बर्बाद हो गई थी. अब काश्तकार ने खेतों में धान की पौंध रखी हुई है, जिसके लिए सिंचाई के पानी की आवश्यतकता होती है. लेकिन सिंचाई गूल के क्षतिग्रस्त होने के कारण ये असंभव हो गया है. उन्होंने सिंचाई विभाग से जल्द से जल्द गूल का हेड निर्माण करने और मलबे को हटाने की मांग की है. जिससे लोगों की परेशानी जल्द हल हो सके.
सामाजिक कार्यकर्ता मित्रा सिंह भाकुनी, हंसी बोरा, हरीश राम, अनिल भाकुनी, मुन्नी देवी, केदार सिंह, चन्दन सिंह, मोहन सिंह, शोभा देवी आदि किसानों ने विभागीय लापरवाही पर आक्रोश जताया है. किसानों का कहना है कि इस गूल की न तो मरम्मत की जाती है और न ही हैडबंदी होती है. जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है.