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अल्मोड़ा: पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ रहा मानव वन्यजीव संघर्ष, अबतक नौ लोगों ने गंवाई जान

पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार मानव वन्य जीव संघर्ष के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है. अल्मोड़ा में इसी वर्ष अब तक नौ लोगों को जंगली जानवर अपना शिकार बना चुके हैं. कोरोना काल में गुलदार की आबादी वाले क्षेत्रों में धमक ज्यादा दिखाई दी है.

almora
मानव वन्य जीव संघर्ष
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Published : Oct 13, 2020, 5:21 PM IST

अल्मोड़ा: पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार मानव वन्य जीव संघर्ष के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है. अल्मोड़ा में इस साल अब तक 9 लोगों को जंगली जानवर अपना शिकार बना चुके हैं. कोरोना काल में गुलदार की आबादी वाले क्षेत्रों में धमक ज्यादा दिखाई दी है. जिसको लेकर वन विभाग भी ग्रामीणों को अलर्ट कर रहा है.

बता दें कि, अल्मोड़ा में अभी विगत 19 सितंबर को भिकियासैंण के बाडीकोट में गुलदार ने घर के आंगन में खेल रही एक बच्ची (5वर्षीय) को अपना निवाला बना दिया था. जिसके बाद गुलदार को आदमखोर घोषित कर विगत 6 अक्टूबर को शिकारियों ने उसे ढेर किया था. इससे पहले विगत जुलाई माह में गुलदार ने पेटशाल क्षेत्र में ही दो लोगो को अपना निवाला बना दिया था. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विगत 2 सालों में मानव वन्य जीव संघर्ष में अल्मोड़ा जिले में 25 लोग शिकार बन चुके हैं. 2019-20 में 9 लोगों को गुलदार ने अपना निवाला बनाया. जबकि, 7 लोग सुअर और अन्य जंगली जानवरों की शिकार बने. वन विभाग ने इस वर्ष अब तक जिले में 2 आदमखोर गुलदारों को ढेर कर चुका है.

अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ महातिम यादव का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों घास काटने का मौसम है. इस सीजन में महिलाएं घास काटने के लिए जंगलों की ओर जाती है, जिससे गुलदार और अन्य जंगली जानवरों की आक्रमक होने की घटनाएं भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि, इस मौसम में ग्रामीणों को अलर्ट होकर सावधानियां बरतने की जरूरत है. गुलदारों के आदमखोर होने के पीछे उनका कहना है कि जंगलों में लगातार मानवों की हलचल बढ़ रही है. साथ ही उनका शिकार भी जंगल मे घट चुका है. जिस कारण उनका आबादी वाले क्षेत्रों में आना शुरू हो रहा है. शुरुआत में गुलदार इंसानी बस्ती में आकर कुत्ते या फिर पालतू जानवर को ही अपना शिकार बनाता था. लेकिन अब इंसानों को गुलदार अपना शिकार बना रहा है.

पढ़ें: बिना सरकारी मदद के ओम बहुगुणा ने गांव में शुरू किया होम स्टे, युवाओं को कर रहे प्रेरित

अल्मोड़ा के कंजरवेटर प्रवीण कुमार का कहना है कि गुलदार द्वारा दो से अधिक लोगों पर हमला कर घायल करने या फिर किसी एक को निवाला बनाने के बाद उसको नरभक्षी घोषित करने का प्रस्ताव देहरादून चीफ वाइल्ड लाइफ कार्यालय को भेजा जाता है. जबकि, पहले डीएफओ स्तर से गुलदार को नरभक्षी घोषित किया जाता था.

अल्मोड़ा: पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार मानव वन्य जीव संघर्ष के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है. अल्मोड़ा में इस साल अब तक 9 लोगों को जंगली जानवर अपना शिकार बना चुके हैं. कोरोना काल में गुलदार की आबादी वाले क्षेत्रों में धमक ज्यादा दिखाई दी है. जिसको लेकर वन विभाग भी ग्रामीणों को अलर्ट कर रहा है.

बता दें कि, अल्मोड़ा में अभी विगत 19 सितंबर को भिकियासैंण के बाडीकोट में गुलदार ने घर के आंगन में खेल रही एक बच्ची (5वर्षीय) को अपना निवाला बना दिया था. जिसके बाद गुलदार को आदमखोर घोषित कर विगत 6 अक्टूबर को शिकारियों ने उसे ढेर किया था. इससे पहले विगत जुलाई माह में गुलदार ने पेटशाल क्षेत्र में ही दो लोगो को अपना निवाला बना दिया था. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विगत 2 सालों में मानव वन्य जीव संघर्ष में अल्मोड़ा जिले में 25 लोग शिकार बन चुके हैं. 2019-20 में 9 लोगों को गुलदार ने अपना निवाला बनाया. जबकि, 7 लोग सुअर और अन्य जंगली जानवरों की शिकार बने. वन विभाग ने इस वर्ष अब तक जिले में 2 आदमखोर गुलदारों को ढेर कर चुका है.

अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ महातिम यादव का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों घास काटने का मौसम है. इस सीजन में महिलाएं घास काटने के लिए जंगलों की ओर जाती है, जिससे गुलदार और अन्य जंगली जानवरों की आक्रमक होने की घटनाएं भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि, इस मौसम में ग्रामीणों को अलर्ट होकर सावधानियां बरतने की जरूरत है. गुलदारों के आदमखोर होने के पीछे उनका कहना है कि जंगलों में लगातार मानवों की हलचल बढ़ रही है. साथ ही उनका शिकार भी जंगल मे घट चुका है. जिस कारण उनका आबादी वाले क्षेत्रों में आना शुरू हो रहा है. शुरुआत में गुलदार इंसानी बस्ती में आकर कुत्ते या फिर पालतू जानवर को ही अपना शिकार बनाता था. लेकिन अब इंसानों को गुलदार अपना शिकार बना रहा है.

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अल्मोड़ा के कंजरवेटर प्रवीण कुमार का कहना है कि गुलदार द्वारा दो से अधिक लोगों पर हमला कर घायल करने या फिर किसी एक को निवाला बनाने के बाद उसको नरभक्षी घोषित करने का प्रस्ताव देहरादून चीफ वाइल्ड लाइफ कार्यालय को भेजा जाता है. जबकि, पहले डीएफओ स्तर से गुलदार को नरभक्षी घोषित किया जाता था.

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