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भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जन्म स्थली खूंट आज भी उपेक्षित, 40 फीसदी लोग कर गए पलायन - गोविंद बल्लभ पंत का पैतृक गांव खूंट उपेक्षा की उपेक्षा

भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के जयंती पर तो राजनेता श्रद्धांजलि देने पहुंच जाते हैं, लेकिन उनके गांव की सुध नहीं लेते हैं. आज भी खूंट गांव में कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. स्थिति ये हो चुकी है कि गांव से 40 फीसदी पलायन हो चुका है.

khunt village
गोविंद बल्लभ पंत का खूंट गांव
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Published : Sep 10, 2021, 8:27 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 8:49 PM IST

अल्मोड़ाः महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की आज (10 सितंबर) 134वीं जयंती मनाई गई. हर साल उनकी जयंती पर राजनीतिक दलों से जुड़े लोग उनके पैतृक गांव खूंट में जाकर उन्हें याद करते हैं, लेकिन इतने महान शख्सियत का गांव आज भी उपेक्षित है. सरकारों की उपेक्षा के चलते यह गांव पलायन का दंश झेल रहा है. आलम तो ये है कि रोजगार और मूलभूत सुविधाएं की कमी के चलते गांव से करीब 40 फीसदी पलायन हो चुका है.

गोविंद बल्लभ पंत समिति के अध्यक्ष और खूंट गांव के निवासी ललित चंद्र पंत बताते हैं कि गोविंद बल्लभ पंत ने इस गांव से निकलकर देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ी. आज पूरा देश उन्हें जनता है, लेकिन इतने बड़े शख्सियत का यह गांव आज उपेक्षित. आज तक जो विकास होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया है. आज इस गांव में कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. गर्मियों में यहां पेयजल की किल्लत शुरू हो जाती है. लोग नौलों-धारों से पानी की जरूरत को पूरी करते हैं.

गोविंद बल्लभ पंत की जन्म स्थली खूंट आज भी उपेक्षित

ये भी पढ़ेंः पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 134वीं जयंती आज, जानिए राजनीतिक सफरनामा

गांव के लोग लंबे समय से मिनी स्टेडियम बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक स्टेडियम नहीं बन सका है. खेल मैदान के अभाव में गांव के बच्चे खेतों में खेलने को मजबूर हैं, जिससे खेल प्रतिभाएं भी नहीं उभर रहीं हैं. आईटीआई खूंट में पर्याप्त ट्रेड नहीं है. क्षेत्र के युवाओं को तकनीकी शिक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ेंः खतरे में पद्मश्री जीवन सिंह का तिदांग गांव, 80 फीसदी जमीन निगल चुके नदी और नाले

40 फीसदी लोग कर चुके पलायनः ललित चंद्र पंत का कहना है कि ग्रामीण महारुद्रेश्वर मंदिर को धार्मिक पर्यटन सर्किट से जोड़ने की मांग भी करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक इसके लिए भी कोई काम नहीं हुआ है. इसके अलावा यहां की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां रोजगार का बड़ा अभाव है. रोजगार के कारण इस गांव से अभी तक 40 फीसदी लोग बाहर पलायन कर चुके हैं.

ये भी पढ़ेंः सिर्फ यादों में रह गए गोविंद बल्लभ पंत, पुण्यतिथि पर जनप्रतिनिधियों ने भुलाया

बता दें, भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत (Pandit Govind Ballabh Pant) का जन्म 10 सितंबर 1887 को अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था. पंडित गोविंद बल्लभ महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, वकील और उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री से लेकर भारत के गृह मंत्री तक रहे. आज उनके 134वी जयंती के मौके पर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में भव्य कार्यक्रम कर उनको याद किया जा रहा हैं.

अल्मोड़ाः महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की आज (10 सितंबर) 134वीं जयंती मनाई गई. हर साल उनकी जयंती पर राजनीतिक दलों से जुड़े लोग उनके पैतृक गांव खूंट में जाकर उन्हें याद करते हैं, लेकिन इतने महान शख्सियत का गांव आज भी उपेक्षित है. सरकारों की उपेक्षा के चलते यह गांव पलायन का दंश झेल रहा है. आलम तो ये है कि रोजगार और मूलभूत सुविधाएं की कमी के चलते गांव से करीब 40 फीसदी पलायन हो चुका है.

गोविंद बल्लभ पंत समिति के अध्यक्ष और खूंट गांव के निवासी ललित चंद्र पंत बताते हैं कि गोविंद बल्लभ पंत ने इस गांव से निकलकर देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ी. आज पूरा देश उन्हें जनता है, लेकिन इतने बड़े शख्सियत का यह गांव आज उपेक्षित. आज तक जो विकास होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया है. आज इस गांव में कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. गर्मियों में यहां पेयजल की किल्लत शुरू हो जाती है. लोग नौलों-धारों से पानी की जरूरत को पूरी करते हैं.

गोविंद बल्लभ पंत की जन्म स्थली खूंट आज भी उपेक्षित

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गांव के लोग लंबे समय से मिनी स्टेडियम बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक स्टेडियम नहीं बन सका है. खेल मैदान के अभाव में गांव के बच्चे खेतों में खेलने को मजबूर हैं, जिससे खेल प्रतिभाएं भी नहीं उभर रहीं हैं. आईटीआई खूंट में पर्याप्त ट्रेड नहीं है. क्षेत्र के युवाओं को तकनीकी शिक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है.

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40 फीसदी लोग कर चुके पलायनः ललित चंद्र पंत का कहना है कि ग्रामीण महारुद्रेश्वर मंदिर को धार्मिक पर्यटन सर्किट से जोड़ने की मांग भी करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक इसके लिए भी कोई काम नहीं हुआ है. इसके अलावा यहां की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां रोजगार का बड़ा अभाव है. रोजगार के कारण इस गांव से अभी तक 40 फीसदी लोग बाहर पलायन कर चुके हैं.

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बता दें, भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत (Pandit Govind Ballabh Pant) का जन्म 10 सितंबर 1887 को अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था. पंडित गोविंद बल्लभ महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, वकील और उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री से लेकर भारत के गृह मंत्री तक रहे. आज उनके 134वी जयंती के मौके पर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में भव्य कार्यक्रम कर उनको याद किया जा रहा हैं.

Last Updated : Sep 10, 2021, 8:49 PM IST
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