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अंकिता के सपनों को मिली उड़ान, डीएम भदौरिया ने गरीब बेटी की पढ़ाई का उठाया खर्च

अंकिता 12वीं में 82 प्रतिशत अंकों के साथ पास हुई थी, लेकिन आगे की पढ़ाई के कारण के लिए उसकी गरीबी आड़े आ रही थी. ऐसे में डीएम नितिन भदौरिया ने उसकी मदद की.

अंकिता आर्या
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Published : Aug 6, 2019, 9:07 PM IST

Updated : Aug 6, 2019, 10:38 PM IST

अल्मोड़ा: हौसले बुलंद हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं. यह साबित किया है अल्मोड़ा के दूरस्थ गांव नैनोली की अंकिता आर्या ने. पत्थर तोड़कर गुजर बसर करने वाले की बेटी के आगे की पढ़ाई के लिए जब गरीबी आड़े आयी तो वह अपनी फरियाद लेकर डीएम के दरवाजे तक पहुंच गई. अंकिता की पढ़ाई के प्रति लगन को देखते हुए जिलाधिकारी ने खुद के खर्चे से कॉलेज में न केवल उसका एडमिशन करवाया, बल्कि हॉस्टल में रहने की व्यवस्था कर आगे की पूरी पढ़ाई का खर्चा खुद वहन करने का भरोसा दिया.

अंकिता के सपनों को मिली उड़ान.

अंकिता आर्य के घर की स्थिति बहुत खराब है. घर चलाने के लिए पिता पत्थर तोड़ते है. इस गरीबों को अंकिता ने पढ़ाई के आड़े नहीं आना दिया और मन लगाकर पढ़ाई की. इसी मेहनत के बल पर अंकिता 12वीं में 82 प्रतिशत अंकों के साथ पास हुई थी.

पढ़ें- लेक सिटी के रूप में विकसित होगा उत्तरकाशी, पर्यटन विभाग को भेजा गया ₹15 करोड़ का प्रस्ताव

तीन भाई बहनों में अंकिता सबसे बड़ी है. अंकिता ने अपनी पढ़ाई के साथ घर की सभी जिम्मेदारी भी सभाली है. क्योंकि, अंकिता की मां काफी बीमार रहती है. अंकिता को घर से स्कूल जाने के लिए पहाड़ जैसी चढ़ाई चढ़कर करीब 6 किमी पैदल चलना पड़ता था. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अंकित अब आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही है. उच्च शिक्षा प्राप्त करना उसके लिए असंभव हो गया, लेकिन गरीबी उसका हौसला नहीं तोड़ पाई और उसने हिम्मत नहीं हारी.

अपनी समस्या को लेकर अंकिता कुछ दिनों पहले डीएम नितिन भदौरिया के पास गई और उन्हें अपनी परेशानी बताई. अंकिता की हिम्मत और पढ़ाई में उसकी रुची को देखकर डीएम भदौरिया काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उसकी मदद की.

डीएम भदौरिया ने अंकिता का अल्मोड़ा एसएसजे कैंपस में न केवल एडमिशन कराया, बल्कि तीन साल के हॉस्टल की फीस भी उन्होंने खुद अपनी जेब से दी. इतना ही नहीं उन्होंने आगे की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने की आश्वासन भी अंकिता को दिया.

पढ़ें- CM के पास ज्यादा विभाग होने पर इंदिरा हृदयेश ने साधा निशाना, कहा- दिखाई दे रहा भ्रष्टाचार

अंकिता बताती है कि घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण आगे की पढ़ाई करना उसके लिए काफी मुश्किल हो गया था, लेकिन जिलाधिकारी की मदद से यह संभव हो पाया. वह कहती है कि जिलाधिकारी ने उनसे अधिकारी बनने को कहा है. वो पीसीएस अधिकारी बनकर उनके इस उपकार को चुकाएंगी.

अंकिता का कहना है कि उसके घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि शाम का चूल्हा जलाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में अल्मोड़ा डिग्री कॉलेज में उनको एडमिशन मिलना किसी सपने से कम नहीं है. अपने एडमिशन से गदगद अंकिता कहती है कि जिलाधिकारी ने उन्हें कभी भी कोई समस्या होने पर तुरंत उन्हें फोन करने को कहा है.

अल्मोड़ा: हौसले बुलंद हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं. यह साबित किया है अल्मोड़ा के दूरस्थ गांव नैनोली की अंकिता आर्या ने. पत्थर तोड़कर गुजर बसर करने वाले की बेटी के आगे की पढ़ाई के लिए जब गरीबी आड़े आयी तो वह अपनी फरियाद लेकर डीएम के दरवाजे तक पहुंच गई. अंकिता की पढ़ाई के प्रति लगन को देखते हुए जिलाधिकारी ने खुद के खर्चे से कॉलेज में न केवल उसका एडमिशन करवाया, बल्कि हॉस्टल में रहने की व्यवस्था कर आगे की पूरी पढ़ाई का खर्चा खुद वहन करने का भरोसा दिया.

अंकिता के सपनों को मिली उड़ान.

अंकिता आर्य के घर की स्थिति बहुत खराब है. घर चलाने के लिए पिता पत्थर तोड़ते है. इस गरीबों को अंकिता ने पढ़ाई के आड़े नहीं आना दिया और मन लगाकर पढ़ाई की. इसी मेहनत के बल पर अंकिता 12वीं में 82 प्रतिशत अंकों के साथ पास हुई थी.

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तीन भाई बहनों में अंकिता सबसे बड़ी है. अंकिता ने अपनी पढ़ाई के साथ घर की सभी जिम्मेदारी भी सभाली है. क्योंकि, अंकिता की मां काफी बीमार रहती है. अंकिता को घर से स्कूल जाने के लिए पहाड़ जैसी चढ़ाई चढ़कर करीब 6 किमी पैदल चलना पड़ता था. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अंकित अब आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही है. उच्च शिक्षा प्राप्त करना उसके लिए असंभव हो गया, लेकिन गरीबी उसका हौसला नहीं तोड़ पाई और उसने हिम्मत नहीं हारी.

अपनी समस्या को लेकर अंकिता कुछ दिनों पहले डीएम नितिन भदौरिया के पास गई और उन्हें अपनी परेशानी बताई. अंकिता की हिम्मत और पढ़ाई में उसकी रुची को देखकर डीएम भदौरिया काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उसकी मदद की.

डीएम भदौरिया ने अंकिता का अल्मोड़ा एसएसजे कैंपस में न केवल एडमिशन कराया, बल्कि तीन साल के हॉस्टल की फीस भी उन्होंने खुद अपनी जेब से दी. इतना ही नहीं उन्होंने आगे की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने की आश्वासन भी अंकिता को दिया.

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अंकिता बताती है कि घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण आगे की पढ़ाई करना उसके लिए काफी मुश्किल हो गया था, लेकिन जिलाधिकारी की मदद से यह संभव हो पाया. वह कहती है कि जिलाधिकारी ने उनसे अधिकारी बनने को कहा है. वो पीसीएस अधिकारी बनकर उनके इस उपकार को चुकाएंगी.

अंकिता का कहना है कि उसके घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि शाम का चूल्हा जलाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में अल्मोड़ा डिग्री कॉलेज में उनको एडमिशन मिलना किसी सपने से कम नहीं है. अपने एडमिशन से गदगद अंकिता कहती है कि जिलाधिकारी ने उन्हें कभी भी कोई समस्या होने पर तुरंत उन्हें फोन करने को कहा है.

Intro:
हौसले बुलंद हो तो कुछ भी मुश्किल नही। यह साबित किया है अल्मोड़े के दूरस्थ गांव नैनोली की अंकिता आर्या ने। पत्थर तोड़ घर का गुजर बसर करने वाले की बेटी को जब आगे की पढ़ाई के लिए गरीबी आड़े आयी तो वह अपनी फरियाद लेकर डीएम के दरवाजे तक पहुच गयी। अंकिता की पढ़ाई के प्रति लगन को देखते हुए जिलाधिकारी ने खुद के खर्चे से कॉलेज में न केवल उसका एडमिसन करवा दिया बल्कि हॉस्टल में रहने की व्यवस्था कर आगे की पूरी पढ़ाई का खर्चा खुद वहन करने का भरोसा दिया है।




Body:अल्मोड़ा के नैनोली गांव निवासी अंकिता आर्या ने घर की आर्थिक स्थिती खराब होने के बावजूद भगतोला राजकीय इंटर कॉलेज से 82 प्रतिशत अंको के साथ इंटर की परीक्षा पास की। अंकिता आर्या के पिता आंनद आर्या मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं, जबकि उनकी माँ बीमार है। 3 बहनों और एक भाई के परिवार में सबसे बड़ी अंकिता ने घर की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही अपनी इंटर तक की पढ़ाई की। गांव से 6 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर उसने 12वी में अच्छे अंको के साथ परीक्षा तो पास कर ली ,लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण आगे की उच्च शिक्षा प्राप्त करना उसके लिए असंभव हो गया। लेकिन वह आगे पढ़ाई कर अधिकारी बनने का ख्वाब देखती रही ।इसी समस्या को लेकर पिछले दिनों जब अंकिता जिलाधिकारी नितिन भदौरिया से मिली तो उसके 12वी में उसके अंक और पढ़ाई के प्रति रुचि को देखते हुए जिलाधिकारी काफी प्रभावित हुए।उन्होंने अंकिता का अल्मोड़ा एसएसजे केम्पस में अपने जेब से पैसा देकर एडमिशन करवा दिया। साथ ही कॉलेज के हॉस्टल में 3 साल की फीस भरकर अपनी जेब से भरकर डीएम में इस मेघावी बेटी को आगे की पढ़ाई पूरी होने तक पूरा खर्चा उठाने का आश्वाशन दिया है।
अंकिता आर्या कहती है कि घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण आगे की पढ़ाई करना उसके लिए काफी मुश्किल हो गया था लेकिन जिलाधिकारी की मदद से यह संभव हो पाया।वह कहती है कि जिलाधिकारी ने उनसे अधिकारी बनने को कहा है मैं पीसीएस अधिकारी बनकर उनके इस उपकार को चुकाउंगी।अंकिता का कहना है उसके घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि शाम का चूल्हा जलाना मुश्किल हो जाता है ऐसे में अल्मोड़ा डिग्री कॉलेज में उनको एडमिशन मिलना उनके लिए किसी सपने से कम नही है। अपने एडमिशन से गदगद अंकिता कहती है कि जिलाधिकारी ने उन्हें कभी भी कोई समस्या होने पर तुरंत उन्हें फोन करने को कहा है।

बाइट अंकिता आर्या, छात्रा


Conclusion:
Last Updated : Aug 6, 2019, 10:38 PM IST
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