अल्मोड़ा: दीपावली के त्योहार में नई-नई किस्म की मिठाइयों से बाजार सजे हुए हैं. लेकिन, ऐतिहासिक नगरी अल्मोड़ा की चर्चित बाल मिठाई लोगों के जुबां में मिठास बनाए हुए है. वहीं अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट की देश ही नहीं, बल्कि सात समुंदर पार भी खासी मशहूर है.जिसको बनाने का इतिहास काफी पुराना है.
बाल मिठाई का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. पर्वतीय शहर अल्मोड़ा में बाल मिठाई के जनक हलवाई जोगा लाल शाह माने जाते हैं. जोगा लाल शाह ने ही सबसे पहले ब्रिटिश शासनकाल में सन् 1865 में बाल मिठाई का निर्माण शुरू किया था. धीरे-धीरे बाल मिठाई ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी. आज अल्मोड़ा शहर में जोगा लाल शाह की दुकान के साथ ही खीम सिंह, मोहन सिंह समेत दर्जनों दुकानें बाल मिठाई को बनाने लगे. आज बाल मिठाई न केवल अपने देश में प्रसिद्ध है बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है. बाल मिठाई की एक खासियत ये भी है कि ये जल्दी खराब नहीं होती है.
जोगा लाल शाह की दुकान को आज उनकी पांचवीं पीढ़ी यहां लाला बाजार में चला रही है. उनके पौत्र निखिल शाह बताते हैं कि सबसे पहले बाल मिठाई के निर्माता उनके परदादा ही थे. सुना है कि उस दौर में अंग्रेज भी बाल मिठाई को पसंद करते थे. वो यहां से बाल मिठाई पानी के जहाज से ले जाते थे. आज भी ये मिठाई अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पसंद की जाती है.
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बाल मिठाई बनाने का तरीका
बाल मिठाई को बनाने के लिए शुद्ध दूध का प्रयोग किया जाता है. जिसके बाद ढूध को पकाकर खोया तैयार किया जाता है. खोया और चीनी को तब तक पकाया जाता है जब तक उसका रंग भूरे रंग का न हो जाए. उसके बाद उसको एक बर्तन में ठंडा करके फिर आयताकार टुकड़ों में काटा जाता है. फिर खसखस और चीनी को मिलाकर छोटे-छोटे बॉल तैयार की जाते हैं. इन छोटे दानों को आयताकार टुकड़ों के बाहर से चिपकाया जाता है, जिसके बाद बाल मिठाई बनकर तैयार हो जाती है.