ETV Bharat / state

देश ही नहीं सात समुंदर पार भी मिठास घोल रही अल्मोड़ा की बाल मिठाई

कई सालों से लोगों की जुबां ने मिठास घोल रही बाल मिठाई देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी खास पहचान रखती है. ऐसा माना जाता है कि इस मिठाई का निर्माण कई सालों पहले अल्मोड़ा में हुआ था.

दीपावली पर बाल मिठाई की धूम.
author img

By

Published : Oct 26, 2019, 12:00 PM IST

अल्मोड़ा: दीपावली के त्योहार में नई-नई किस्म की मिठाइयों से बाजार सजे हुए हैं. लेकिन, ऐतिहासिक नगरी अल्मोड़ा की चर्चित बाल मिठाई लोगों के जुबां में मिठास बनाए हुए है. वहीं अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट की देश ही नहीं, बल्कि सात समुंदर पार भी खासी मशहूर है.जिसको बनाने का इतिहास काफी पुराना है.

दीपावली पर बाल मिठाई की धूम.

बाल मिठाई का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. पर्वतीय शहर अल्मोड़ा में बाल मिठाई के जनक हलवाई जोगा लाल शाह माने जाते हैं. जोगा लाल शाह ने ही सबसे पहले ब्रिटिश शासनकाल में सन् 1865 में बाल मिठाई का निर्माण शुरू किया था. धीरे-धीरे बाल मिठाई ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी. आज अल्मोड़ा शहर में जोगा लाल शाह की दुकान के साथ ही खीम सिंह, मोहन सिंह समेत दर्जनों दुकानें बाल मिठाई को बनाने लगे. आज बाल मिठाई न केवल अपने देश में प्रसिद्ध है बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है. बाल मिठाई की एक खासियत ये भी है कि ये जल्दी खराब नहीं होती है.

जोगा लाल शाह की दुकान को आज उनकी पांचवीं पीढ़ी यहां लाला बाजार में चला रही है. उनके पौत्र निखिल शाह बताते हैं कि सबसे पहले बाल मिठाई के निर्माता उनके परदादा ही थे. सुना है कि उस दौर में अंग्रेज भी बाल मिठाई को पसंद करते थे. वो यहां से बाल मिठाई पानी के जहाज से ले जाते थे. आज भी ये मिठाई अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पसंद की जाती है.

ये भी पढ़ें: ओरछा में रसोई में बैठकर सत्ता चला रहे रामराजा, खाली पड़ा है भगवान का चतुर्भुज मंदिर

बाल मिठाई बनाने का तरीका
बाल मिठाई को बनाने के लिए शुद्ध दूध का प्रयोग किया जाता है. जिसके बाद ढूध को पकाकर खोया तैयार किया जाता है. खोया और चीनी को तब तक पकाया जाता है जब तक उसका रंग भूरे रंग का न हो जाए. उसके बाद उसको एक बर्तन में ठंडा करके फिर आयताकार टुकड़ों में काटा जाता है. फिर खसखस और चीनी को मिलाकर छोटे-छोटे बॉल तैयार की जाते हैं. इन छोटे दानों को आयताकार टुकड़ों के बाहर से चिपकाया जाता है, जिसके बाद बाल मिठाई बनकर तैयार हो जाती है.

अल्मोड़ा: दीपावली के त्योहार में नई-नई किस्म की मिठाइयों से बाजार सजे हुए हैं. लेकिन, ऐतिहासिक नगरी अल्मोड़ा की चर्चित बाल मिठाई लोगों के जुबां में मिठास बनाए हुए है. वहीं अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट की देश ही नहीं, बल्कि सात समुंदर पार भी खासी मशहूर है.जिसको बनाने का इतिहास काफी पुराना है.

दीपावली पर बाल मिठाई की धूम.

बाल मिठाई का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. पर्वतीय शहर अल्मोड़ा में बाल मिठाई के जनक हलवाई जोगा लाल शाह माने जाते हैं. जोगा लाल शाह ने ही सबसे पहले ब्रिटिश शासनकाल में सन् 1865 में बाल मिठाई का निर्माण शुरू किया था. धीरे-धीरे बाल मिठाई ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी. आज अल्मोड़ा शहर में जोगा लाल शाह की दुकान के साथ ही खीम सिंह, मोहन सिंह समेत दर्जनों दुकानें बाल मिठाई को बनाने लगे. आज बाल मिठाई न केवल अपने देश में प्रसिद्ध है बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है. बाल मिठाई की एक खासियत ये भी है कि ये जल्दी खराब नहीं होती है.

जोगा लाल शाह की दुकान को आज उनकी पांचवीं पीढ़ी यहां लाला बाजार में चला रही है. उनके पौत्र निखिल शाह बताते हैं कि सबसे पहले बाल मिठाई के निर्माता उनके परदादा ही थे. सुना है कि उस दौर में अंग्रेज भी बाल मिठाई को पसंद करते थे. वो यहां से बाल मिठाई पानी के जहाज से ले जाते थे. आज भी ये मिठाई अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पसंद की जाती है.

ये भी पढ़ें: ओरछा में रसोई में बैठकर सत्ता चला रहे रामराजा, खाली पड़ा है भगवान का चतुर्भुज मंदिर

बाल मिठाई बनाने का तरीका
बाल मिठाई को बनाने के लिए शुद्ध दूध का प्रयोग किया जाता है. जिसके बाद ढूध को पकाकर खोया तैयार किया जाता है. खोया और चीनी को तब तक पकाया जाता है जब तक उसका रंग भूरे रंग का न हो जाए. उसके बाद उसको एक बर्तन में ठंडा करके फिर आयताकार टुकड़ों में काटा जाता है. फिर खसखस और चीनी को मिलाकर छोटे-छोटे बॉल तैयार की जाते हैं. इन छोटे दानों को आयताकार टुकड़ों के बाहर से चिपकाया जाता है, जिसके बाद बाल मिठाई बनकर तैयार हो जाती है.

Intro:दीपावली के त्यौहार में नई- नई किस्म की मिठाइयो से बाजार सजे हुए हैं, लेकिन उत्तराखंड की एक ऐसी मिठाई भी है जो सैकड़ो सालो से लोगो के मुंह में मिठास बनाये हुए हैं। यानी सैकड़ो साल पुरानी इस मिठाई के न तो स्वाद में कोई कमी आयी और न ही इसकी डिमांड में कोई कमी आई है। बल्कि दिनोदिन इस मिठाई की डिमांड बढ़ रही है। हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा की बाल मिठाई की। अगर आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा आए और अपने यहां की लजीज बाल मिठाई का स्वाद नहीं लिया तो समझ लो कि आप अल्मोड़ा की एक पहचान से ठीक ढंग से रूबरू नहीं हो पाए ।अल्मोड़ा की पहचान यहां की बाल मिठाई भी है । यह मिठाई देश मे ही नही बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है।



Body:बाल मिठाई का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है ।उत्तराखंड का पर्वतीय शहर अल्मोड़ा में बाल मिठाई के अविष्कारक हलवाई स्वर्गीय जोगा लाल शाह माने जाते हैं। जोगा लाल शाह ने ही सबसे पहले ब्रिटिश शासनकाल में 1865 में बाल मिठाई का निर्माण शुरू किया था। धीरे-धीरे बाल मिठाई ने अपनी पहचान बनानी शुरू की आज अल्मोड़ा शहर में जोगा लाल शाह की दुकान के साथ ही साथ ही खीम सिंह मोहन सिंह समेत दर्जनों दुकानें बाल मिठाई को निर्मित करते हैं। आज बाल मिठाई न केवल अपने देश में प्रसिद्ध है विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है। इस मिठाई की विदेशों में बसे भारतीय भी मांग करते रहते हैं। बाहर से अल्मोड़ा आने वाले पर्यटक वापस लौटते समय अल्मोड़ा की बाल मिठाई ले जाना नहीं भूलते हैं। बाल मिठाई की एक खासियत यह भी है कि यह जल्द खराब नहीं होती है।
स्वर्गीय जोगा लाल शाह की दुकान को आज उनकी पांचवी पीढ़ी यहां लाला बाजार में चला रही है। उनके पौत्र निखिल शाह बताते हैं कि सबसे पहले बाल मिठाई के निर्माता उनके परदादा ही थे । सुना है कि उस दौर में अंग्रेज भी बाल मिठाई को पसंद करते थे वह यहां से बाल मिठाई पानी के जहाज से ले जाते थे। वह बताते कि आज भी मिठाई अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में जाति है।
बाल मिठाई को बनाने के लिए यहां गांवो से गाय और भैंस का शुद्ध दूध मंगाया जाता है, उस ढूध को पकाकर खोया तैयार किया जाता है, खोया और चीनी को तब तक पकाया जाता है जब तक उसका रंग भूरे रंग का न हो जाय।उसके बाद उसको एक बर्तन में ठंडा करके फिर आयताकार टुकड़ों में काटा जाता है। फिर खसखस और चीनी को मिलाकर छोटे-छोटे बाल तैयार की जाते हैं इन छोटे दानों को आयताकार टुकड़ों के बाहर से चिपकाया जाता है। जिसके बाद वह बाल मिठाई बन जाती है।
बाइट-प्रेम सिंह,स्थानीय
बाइट2 गिरीश तिवारी ग्राहक
बाइट 3 निखिल शाह, दुकानदार व पौत्र जोगा लाल शाह


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.