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Climate Change: पूरी दुनिया के 180 देशों और 22 क्षेत्रों पर बीते तीन महीनों में पड़ा जलवायु परिवर्तन का असर

दुनिया भर में क्लाइमेट चेंज के चलते पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है. हाल ही में क्लाइमेट सेंट्रल एट्रिब्यूशन ने वैश्विक तापमान का विश्लेषण किया, जिसमें पाया गया कि दुनिया के 180 देशों और 22 क्षेत्रों में जून और अगस्त 2023 के बीच जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ा है. जानिए पर्यावरणविद एवं जलवायु परिवर्तन एवं साफ़ ऊर्जा की कम्युनिकेशन एक्सपर्ट, डॉ. सीमा जावेद इसे लेकर क्या कहती हैं.

impact of climate change
जलवायु परिवर्तन का असर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2023, 6:36 PM IST

नई दिल्ली: क्लाइमेट सेंट्रल एट्रिब्यूशन के वैश्विक तापमान के विश्लेषण पाया गया कि दुनिया के 180 देशों और 22 क्षेत्रों में से एक भी जून और अगस्त 2023 के बीच जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से नहीं बच पाया. संपूर्ण मानव आबादी का 98 प्रतिशत या लगभग 7.95 अरब लोगों ने इस तापमान का अनुभव किया, जो रिकॉर्ड किए गए इतिहास में सबसे गर्म बोरियल गर्मियों के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी ट्रेप करने वाले कार्बन प्रदूषण कि वजह से कम से कम दो गुना अधिक हो गया था.

क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स, जो कि क्लाइमेट सेंट्रल की वैश्विक एट्रिब्यूशन प्रणाली है, उसके अनुसार इस अवधि के दौरान 6.2 अरब लोगों ने कम से कम एक दिन ऐसे औसत तापमान का अनुभव किया, जो जलवायु परिवर्तन के कारण कम से कम पांच गुना अधिक हो गया था. क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स देखे गए या पूर्वानुमानित तापमान की तुलना उन मॉडलों द्वारा उत्पन्न तापमान से करता है, जो मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दूर करते हैं.

जून और अगस्त के बीच, 41 देशों में 60 से अधिक दिनों तक लगभग 2.4 बिलियन लोगों ने जलवायु परिवर्तन सूचकांक पर पांच तक पहुंचने वाले तापमान को अनुभव किया. वैश्विक आबादी का लगभग आधा हिस्सा- 3.9 बिलियन लोग - जून और अगस्त के बीच 30 या अधिक दिनों का अनुभव करते हैं, जिसमें जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान कम से कम तीन गुना अधिक हो जाता है. (जलवायु बदलाव सूचकांक पर तीन से पांच के अनुरूप)

1.5 अरब लोगों के लिए, इस अवधि के दौरान हर दिन तापमान उस स्तर तक पहुंच गया. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पूरी दुनिया में असमान रूप से वितरित हुआ, जी20 देशों के निवासियों को इस अवधि के दौरान औसतन 17 दिनों तक कम से कम तीन गुना अधिक तापमान का सामना करना पड़ा. इस बीच संयुक्त राष्ट्र के सबसे कम विकसित निवासी देश (47 दिन) और छोटे द्वीप विकासशील राज्य (65) जलवायु परिवर्तन सूचकांक पर तीन या उससे अधिक दिनों के जोखिम में थे.

क्लाइमेट सेंट्रल के विज्ञान उपाध्यक्ष डॉ. एंड्रयू पर्शिंग ने कहा कि पिछले तीन महीनों के दौरान पृथ्वी पर वस्तुतः कोई भी व्यक्ति ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से नहीं बच पाया है. दक्षिणी गोलार्ध के देशों में फिलहाल सर्दी का मौसम है, लेकिन वहां भी और हर उस देश में जहां हमें विश्लेषण किया, वहां हमने ऐसे तापमान देखे हैं, जो मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के बिना असंभव हैं.

इस सबके लिए कार्बन प्रदूषण स्पष्ट रूप से जिम्मेदार है. इस विश्लेषण के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स का उपयोग करके किया गया था, जो कार्बन प्रदूषण के मौजूदा स्तरों के साथ और उसके बिना दुनिया भर में स्थानीय, दैनिक तापमान की संभावना निर्धारित करने के लिए एक सहकर्मी-समीक्षित मॉडल और अवलोकन-संचालित पद्धति लागू करता है.

संभावना में परिवर्तन को पांच-बिंदु पैमाने पर स्कोर किया जाता है, जिसमें 1 (कम से कम 1.5 गुना अधिक संभावित) से 5 (कम से कम 5 गुना अधिक संभावित) तापमान का प्रतिनिधित्व करता है जिसे अधिक सामान्य बनाया गया है.

नई दिल्ली: क्लाइमेट सेंट्रल एट्रिब्यूशन के वैश्विक तापमान के विश्लेषण पाया गया कि दुनिया के 180 देशों और 22 क्षेत्रों में से एक भी जून और अगस्त 2023 के बीच जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से नहीं बच पाया. संपूर्ण मानव आबादी का 98 प्रतिशत या लगभग 7.95 अरब लोगों ने इस तापमान का अनुभव किया, जो रिकॉर्ड किए गए इतिहास में सबसे गर्म बोरियल गर्मियों के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी ट्रेप करने वाले कार्बन प्रदूषण कि वजह से कम से कम दो गुना अधिक हो गया था.

क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स, जो कि क्लाइमेट सेंट्रल की वैश्विक एट्रिब्यूशन प्रणाली है, उसके अनुसार इस अवधि के दौरान 6.2 अरब लोगों ने कम से कम एक दिन ऐसे औसत तापमान का अनुभव किया, जो जलवायु परिवर्तन के कारण कम से कम पांच गुना अधिक हो गया था. क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स देखे गए या पूर्वानुमानित तापमान की तुलना उन मॉडलों द्वारा उत्पन्न तापमान से करता है, जो मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दूर करते हैं.

जून और अगस्त के बीच, 41 देशों में 60 से अधिक दिनों तक लगभग 2.4 बिलियन लोगों ने जलवायु परिवर्तन सूचकांक पर पांच तक पहुंचने वाले तापमान को अनुभव किया. वैश्विक आबादी का लगभग आधा हिस्सा- 3.9 बिलियन लोग - जून और अगस्त के बीच 30 या अधिक दिनों का अनुभव करते हैं, जिसमें जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान कम से कम तीन गुना अधिक हो जाता है. (जलवायु बदलाव सूचकांक पर तीन से पांच के अनुरूप)

1.5 अरब लोगों के लिए, इस अवधि के दौरान हर दिन तापमान उस स्तर तक पहुंच गया. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पूरी दुनिया में असमान रूप से वितरित हुआ, जी20 देशों के निवासियों को इस अवधि के दौरान औसतन 17 दिनों तक कम से कम तीन गुना अधिक तापमान का सामना करना पड़ा. इस बीच संयुक्त राष्ट्र के सबसे कम विकसित निवासी देश (47 दिन) और छोटे द्वीप विकासशील राज्य (65) जलवायु परिवर्तन सूचकांक पर तीन या उससे अधिक दिनों के जोखिम में थे.

क्लाइमेट सेंट्रल के विज्ञान उपाध्यक्ष डॉ. एंड्रयू पर्शिंग ने कहा कि पिछले तीन महीनों के दौरान पृथ्वी पर वस्तुतः कोई भी व्यक्ति ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से नहीं बच पाया है. दक्षिणी गोलार्ध के देशों में फिलहाल सर्दी का मौसम है, लेकिन वहां भी और हर उस देश में जहां हमें विश्लेषण किया, वहां हमने ऐसे तापमान देखे हैं, जो मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के बिना असंभव हैं.

इस सबके लिए कार्बन प्रदूषण स्पष्ट रूप से जिम्मेदार है. इस विश्लेषण के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स का उपयोग करके किया गया था, जो कार्बन प्रदूषण के मौजूदा स्तरों के साथ और उसके बिना दुनिया भर में स्थानीय, दैनिक तापमान की संभावना निर्धारित करने के लिए एक सहकर्मी-समीक्षित मॉडल और अवलोकन-संचालित पद्धति लागू करता है.

संभावना में परिवर्तन को पांच-बिंदु पैमाने पर स्कोर किया जाता है, जिसमें 1 (कम से कम 1.5 गुना अधिक संभावित) से 5 (कम से कम 5 गुना अधिक संभावित) तापमान का प्रतिनिधित्व करता है जिसे अधिक सामान्य बनाया गया है.

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