हैदराबाद : कोविड-19 से लड़ने के लिए अमेरिका के टॉप ब्रास (उच्च पदों पर बैठे अधिकारी) के मजबूत आश्वासनों के बावजूद आसमान छूती घटनाओं के आंकड़ों और कोरोना संक्रमण के मामलों ने देश की कमजोर रणनीतियों को उजागर किया है. यह स्थिति विश्व शक्ति कहे जाने वाले अमेरिका के लिए साख पर चोट होने जैसी है.
अमेरिका जो कोरोना के उद्गम स्थल वुहान से काफी दूर है, उसने इस बीमारी में चीन को भी पीछे छोड़ दिया. यहां सबसे ज्यादा मौतों (8,452) और संक्रमण के (3,00000) आंकड़े दर्ज हुए.
राष्ट्र अब कम लोगों की जांच करने और शुरुआती मामलों की अनदेखी करने के कारण फैल रहे वायरस पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.
बता दें कि वायरस फैलने के प्रारंभिक चरण में बड़े पैमाने पर जांच ने दक्षिण कोरिया में वायरस के बढ़ते प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
जब अमेरिका में वायरस फैलने लगा, तो प्रशासन पर्याप्त जांच करने में विफल रहा और जब यह वायरस को लेकर गंभीरता दिखाने लगा, तब तक यह कईं जगहों, समुदायों में फैल चुका था.
सीडीसी (रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र) के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी के महीने में सरकारी प्रयोगशालाओं में कोविड-19 के मात्र 352 टेस्ट हुए यानी औसतन प्रतिदिन केवल एक दर्जन परीक्षण.
इस तथ्य से कहा जा सकता है कि वायरस ने वाकई अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में अपनी जड़ें जमा लीं हैं.
मार्च की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के लोगों को आश्वासन देते हुए कहा था कि सीडीसी द्वारा कोविड-19 के आंकड़े सही हैं और जो भी जांच करवाना चाहे, करवा सकता है.
परीक्षणों को लेकर हुई इन बड़ी भूलों ने महामारी को हराने के लिए वॉशिंगटन की प्रतिक्रियाओं का प्रभाव भी कम कर दिया.
दो संघीय स्वास्थ्य अधिकारी, जिन्हें स्थिति का प्रत्यक्ष ज्ञान था. उन्होंने कहा कि सीडीसी विशेषज्ञों को यह नहीं पता कि एजेंसी की कईं जांच किट वायरस का पता लगाने में क्यों असफल रहीं.
संक्रमितों की पहचान, उनके संपर्कों का इतिहास जानने और समुदाय के लिए व्यापक जोखिम को कम करने में कुशल लोगों को प्रशिक्षित करने के बावजूद अमेरिका 3,600 से ज्यादा संक्रमितों का पता लगाने में नाकामयाब रहा लेकिन मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि शुरुआती जांच में लापरवाही के कारण सही तरह से काम नहीं हो पाया.
ट्रंप ने अपनी एडमिनिस्ट्रेशन को संकट के दौर में रिस्पॉस देने के लिए टॉप 10 रेटिंग दी थी. हालांकि, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिसीज (एलर्जी और संक्रामक रोगों का राष्ट्रीय संस्थान) के निदेशक डॉ. एंथोनी फौसी ने कहा कि सीडीसी की प्रणाली को इस व्यापक प्रकोप को ट्रैक करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया था, जिसे असफल बताया गया.
डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज (स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग), जिसमें सीडीसी भी शामिल है, ने अपनी गलतियों का आंकलन करने के लिए आंतरिक समीक्षा की शुरुआत कर दी है, लेकिन बाहर के पर्यवेक्षकों और संघीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने चार प्राथमिक मुद्दों की ओर इशारा किया है, जो एक साथ राष्ट्रीय प्रतिक्रिया में बाधा उत्पन्न करते हैं-
- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जांच को लेकर बताए निर्देशों का पालन न करने का प्रारंभिक निर्णय.
- सीडीसी द्वारा विकसित जांचों की खामियां.
- किन लोगों की जांच कब होनी है, उन सरकारी दिशानिर्देशों को प्रतिबंधित करना.
- निजी कंपनियों को टेस्ट करने के लिए शामिल करने में देरी.
महामारी और व्यापक विफलताओं का मुकाबला करने के इस दृष्टिकोण के साथ यह पता लगाना मुश्किल होगा कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र एक बार फिर सर्व शक्तिशाली होगा.