रुड़की: देवभूमि में आजादी के दौर के हजारों किस्से और कहानियां मौजूद हैं. इनमें कुछ अनकहे और अनुसने किस्से भी हैं. ऐसी ही एक कहानी राष्ट्रभक्त जगदीश प्रसाद वत्स और प्रेम शंकर श्रीवास्तव की है. आजादी के दिनों में जगदीश प्रसाद वत्स को प्रेम शंकर ने अपने फर्ज को निभाने के लिए गोली मारी थी. जिसके लिए उन्हें पुरस्कार से नवाजा गया. वहीं राष्ट्रभक्त जगदीश प्रसाद वत्स को आजादी के बाद सम्मान दिया गया.
आपको बता दें कि 14 अगस्त सन 1942 को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्र जगदीश प्रसाद वत्स ने सुभाष घाट डाकघर और रेलवे स्टेशन पर अलग-अलग तिरंगा फहराया था. इस दौरान जीआरपी इंस्पेक्टर प्रेम शंकर श्रीवास्तव ने उन्हें 3 गोली मारी थी. जिसके लिए अंग्रेजों ने उन्हें पुलिस मेडल प्रदान किया था. वहीं देश आजाद होने के बाद प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 17 वर्षीय जगदीश की शहादत को याद करते हुए उनके गांव खजुरी अकबरपुर में जाकर परिवार को विजय ट्रॉफी प्रदान की थी.
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पंडित जवाहर लाल नेहरु ने जगदीश वत्स की बहादुरी को सलाम करते हुए उन्हें याद किया था. आज भी जगदीश प्रसाद वत्स की याद में हरिद्वार जिला प्रशासन प्रत्येक वर्ष 14 अगस्त को उनका बलिदान दिवस मनाता है. साथ ही उनके गांव खजुरी अकबरपुर में उनके जन्मदिवस पर जगदीश प्रसाद स्मारक विद्यालय में उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है.
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आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले जगदीश प्रसाद वत्स का परिवार आज भी बदहाली की मार झेल रहा है. देश के लिए शहादत देने वाले शहीद का परिवार भी आज सरकार से सम्मान की उम्मीद में बैठा है. जगदीश प्रसाद वत्स के भांजे श्रीगोपाल नारसन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उनके परिवार की हालत बयां की. जगदीश बोस के भांजे श्रीगोपाल नारसन ने उनकी जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ ही उनके नाम पर सरकारी पुरस्कार घोषित करने की मांग की है.